Shitala Saptami: डूंगरपुर जिलेभर में आज शीतला सप्तमी का पर्व श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया गया. इस दौरान महिलाओं ने मंदिरों में जाकर परिवार के आरोग्य एवं सुख समृद्धि की कामनाओं के साथ मां शीतला की विधि विधान से पूजा की. वहीं शीतला सप्तमी पर घरों में चूल्हा नहीं जला. लोगों ने कल बने बासी व्यंजनों का सेवन किया.


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शुभ मुहूर्त में हुई पूजा


डूंगरपुर जिले में सुबह शुभ मुहूर्त में महिलाओं ने नवीन परिधान धारण कर पूजा की थाली सजाई और विभिन्न मंदिरों में पहुंच कर मां शीतला की विधि विधान से पूजा की. महिलाओं ने बीती रात बनाए हुए व्यंजन-दही चावल से बना ओलिया, पूड़ी, पकौड़ी, हलवे से मां को भोग लगाया और कथा श्रवण कर अपने परिवार की उत्तम स्वास्थ्य की मां शीतला से मंगल कामना की.


मंदिरों में उमड़ी भीड़


इधर जिले के विभिन्न मंदिरों के साथ डूंगरपुर शहर के नया महादेव मंदिर, गेपसागर की पाल विजवामाता मंदिर, फ़ौज का बड़ला शीतला माता मंदिरों में श्रद्धालु महिलाओं की भारी भीड़ जुटी. जहां पर महिलाओं ने माता शीतला की पूजा अर्चना की. पूजन कर रही महिलाओं ने बताया कि शीतला माता आरोग्य प्रदान करने वाली देवी हैं. शीतला माता लाल वस्त्र धारण करने वाली चार भुजाओं वाली माता हैं, जो अपने हाथों में नीम के पत्ते, कलश, सूप और झाड़ू धारण करती हैं.


मां शीतला के हाथों में नीम के पत्ते, कलश, सूप और झाड़ू स्वच्छता के प्रतीक हैं. महिलाओं ने बताया कि मां शीतला की कृपा से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. छोटे बच्चों के उत्तम स्वास्थ्य के लिए शीतला सप्तमी का व्रत रखा जाता है और पूजा की जाती है. स्कंदपुराण के अनुसार, ब्रम्हाजी ने शीतला माता को सृष्टि को आरोग्य रखने की जिम्मेदारी दी है और उसी के तहत रोगों से मुक्ति के लिए शीतला माता की पूजा की जाती है.