Viral Video: एक समय था, जब घर के बच्चे मां-बाप या दादा-दादी को परेशान करते थे तो वह मारने-पीटने के बजाय सीधे यही कहते थे कि 'शैतानी न करना वरना बहुरूपिया आ जाएगा.' बहुरूपिया का नाम सुनते ही शैतान से शैतान बच्चा भी शांति से बैठ जाता था. 


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जिस जमाने में न तो ज्यादा घरों में टेलीविजन थे और न ही मोबाइल फोन, इंटरनेट का तो नाम भी शायद ही लोगों ने सुना होगा, उस समय लोगों के मनोरंजन का सबसे बेहतरीन साधन बहुरूपिया हुआ करते थे. कभी आशिक, कभी कुम्हार, कभी मजनू तो कभी पागल बनकर जिस भी गली मोहल्ले में पहुंच जाते थे, लोगों को हंसा-हंसाकर बेहाल कर देते थे. 



इतना ही नहीं, इनकी वेषभूशा और कलाकारी के लिए लोग इन्हें पैसे तक देते थे. इससे इनके घर की रोजी-रोटी चलती थी. वैसे तो यह कला कई जगहों पर फेमस थी लेकिन राजस्थान में इसका ज्यादा महत्व था. माना जाता है कि बहुरूपिया कला राजस्थान की देन है लेकिन आज के मॉडर्न युग में धीरे-धीरे राजस्थान की यह कला विलुप्त होने की कगार पर आ गई है.



आजकल के ज्यादातर राजस्थानी बच्चों को तो बहुरूपिया के बारे में एक शब्द भी पता न होगा. बता दें कि बहरूपिया कला राजस्थान की प्रसिद्ध परंपरागत कलाओं में से एक है लेकिन अब यह कला अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. कहा जा रहा है कि हो सकता है शायद अगली दो-तीन पीढ़ी बाद यह कला पूरी तरह से विलुप्त ही हो जाए. 



बहरूपिया कलाकारों पर अब रोजी-रोटी का संकट मंडराने लगा है. राजे-रजवाड़ो के समय इन्हें उचित मान-सम्मान मिलता था लेकिन अब स्थिति ये है कि लोग इन्हें भिखारी तक कह देते हैं. लोगों का तंज होता है - "मेहनत मजदूरी करके कुछ कमाओ, ऐसे भीख मांगने से कुछ नहीं होगा."



आज के वायरल वीडियो में आप बहुरूपिया को देखेंगे तो समझेंगे कि ये बेचारे कितने घंटों की मेहनत के बाद तैयार होते हैं. कई कलाकारों का कहना है कि लोग इनकी इज्जत नहीं करते हैं. इस वीडियो को indiain_lens नाम के इंस्टा अकाउंट से शेयर किया गया है और तमाम लोग इसे लाइक कर चुके हैं.