OMG: सूडान में फंसे हैं `सुप्रीम कोर्ट` और `शाहरुख खान`, घूम-घूमकर करते हैं व्यापार
Karnataka Hakki Pikki Tribe: जनजाति में किसी बच्चे का नाम `सुप्रीम कोर्ट` है तो किसी का नाम `शाहरुख खान` है तो किसी का नाम `गूगल` भी है. इतना ही नहीं, इस जनजाति के लोगों ने अपने बच्चों का नाम कॉफी, मयसोर पाक, ओबामा, डॉलर, अमेरिका तक रखा है.
Karnataka Hakki Pikki Tribe: भारत कई तरह की विविधताओं का देश है. यहां पर सदियों से कई तरह की जनजातियां बसी और उजड़ गई. अलग तरह की जनजातियों की अलग-अलग मान्यताएं और रीति-रिवाज होते हैं. कई सारी जनजातियां तो पूरी दुनिया में सिर्फ अपने रिवाजों की वजह से प्रसिद्ध हुई हैं. एक ऐसे ही जनजाति आजकल चर्चा का विषय बनी हुई है, जो कि सूडान में फंसी हुई है.
जी हां, जानकारी के मुताबिक हक्की-पिक्की जनजाति के करीब 181 लोग आजकल सूडान में फंसे हैं. बताया जा रहा है कि यह जनजाति भारत की है. सवाल तो यह भी उठते हैं कि यह जनजाति खास क्यों है और आखिर कैसे यह सूडान पहुंच गई. टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक, हक्की-पिक्की जनजाति बेहद अनोखी है. यह कर्नाटक के भद्रपुर की रहने वाली है. इस जनजाति के बच्चों का नाम अगर आप सुनते हैं तो आप हैरान रह जाएंगे.
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इस जनजाति में किसी बच्चे का नाम 'सुप्रीम कोर्ट' है तो किसी का नाम 'शाहरुख खान' है तो किसी का नाम 'गूगल' भी है. इतना ही नहीं, इस जनजाति के लोगों ने अपने बच्चों का नाम कॉफी, मयसोर पाक, ओबामा, डॉलर, अमेरिका तक रखा है. भले ही अन्य लोग इन बच्चों के नामों का मजाक उड़ाते हों लेकिन यह बच्चे अपने नामों को काफी गंभीरता से लेते हैं. कहते हैं कि हर नाम के पीछे कोई ना कोई कहानी है.
कैसे पड़े इनके ये नाम
एक रिपोर्ट के मुताबिक, मयसोर पाक के माता-पिता को यह मिठाई काफी पसंद आई थी इसलिए उन्होंने मिठाई के नाम पर ही अपने बच्चे का नाम रख दिया बता देगी. हक्की-पिक्की जनजाति घुमंतू होती है. यह व्यापार करने के लिए अलग-अलग देशों में जाती रहती है. इनके पासपोर्ट पर भी यही नाम लिखा होता है.
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बता दें कि हक्की-पिक्की का मतलब चिड़िया पकड़ने वाले होता है. यह जनजाति पुराने समय से चिड़िया पकड़ने का काम करती थी और इनके परिवार में मातृसत्तात्मक सत्ता होती है. यानी की शादी के समय दुल्हन नहीं बल्कि दूल्हा दहेज देता है और तलाक के समय दुल्हन आधी रकम लौटाती है.
कहां पाई जाती है यह जनजाति
एक रिपोर्ट के अनुसार हक्की पिक्की जनजाति के करीब 181 लोग आजकल सूडान में फंसे हैं. वहां पर गृह युद्ध छिड़ा हुआ है. यह जनजाति ज्यादातर गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान में रहती है. काफी समय पहले यह जनजाति जंगलों में शिकार करके अपना पालन पोषण करती थी लेकिन शिकार पर रोक लगने के बाद यह लोग आयुर्वेदिक सामानों को बेचने लगे. हक्की-पिक्की जनजाति के सामानों की अफ्रीका जैसे देशों में भी खूब डिमांड होती है इसके चलते वे अलग-अलग जगहों पर घूम कर सामान बेचने जाते हैं.
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