व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए आवारा पशुओं के चारा पानी की हो रही व्यवस्था, जाने कैसे
प्रचंड गर्मी और सूखते हलक के बीच आमजन घर से बाहर निकलने में भी परहेज कर रहा है. वहीं शहर के कुछ युवा हर रोज निराश्रित गौवंश के लिए हरा-चारा और दवाई की व्यवस्था में जुटे हुए हैं. पीलीबंगा विधानसभा के गांव पक्का भादवा के कुछ युवाओं ने चारा संकट और भीषण गर्मी के बीच निराश्रित पशुओं के लिए हरा-चारा और दवाई की व्यवस्था करने का निश्चय किया.
Hanumangargh: प्रचंड गर्मी और सूखते हलक के बीच आमजन घर से बाहर निकलने में भी परहेज कर रहा है. वहीं शहर के कुछ युवा हर रोज निराश्रित गौवंश के लिए हरा-चारा और दवाई की व्यवस्था में जुटे हुए हैं. पीलीबंगा विधानसभा के गांव पक्का भादवा के कुछ युवाओं ने चारा संकट और भीषण गर्मी के बीच निराश्रित पशुओं के लिए हरा-चारा और दवाई की व्यवस्था करने का निश्चय किया. और लग गए गांव से सहयोग लेकर हरा-चारा और सूखा चारा खरीद पशुओं तक पहुंचाने में. इस मुहिम ने 15 दिनों में ऐसी रफ्तार पकड़ी की अब इसमे पूरा गांव युवाओं की इस मुहिम में सहयोग करता है. और युवाओं की टीम भी अब बढ़कर 20 से ज्यादा सक्रिय सदस्यों की हो गई है.
चारा-पानी संकट से पशुओं को बचाया. गेंहू की कटाई के बाद सूखे चारे के संकट से जहां गौशालाएं जूझ रही थी और नहरबंदी से पानी की समस्या गांवो तक पहुंच चुकी थी, ऐसी स्थिति में गांव के युवा नवजोत धालीवाल, रामनारायण स्वामी, अंकित राजपूत, श्यामसुंदर चाहर, कुलदीप, रवि, राहुल वर्मा, प्रमोद भाम्भु, नरेंद्र सिंह धालीवाल, रामकुमार सिलोरा (लाली) ने मिलकर निराश्रित गौवंश को बचाने की मुहिम शुरू की. हरा और सूखा चारे की व्यवस्था कर पशुओं को पहुंचाना शुरू किया. साथ ही बीमार गौवंश के इलाज का भी बीड़ा उठाया. जो पशुओं के लिए संजीवनी साबित हो रहा है.
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व्हाट्सएप ग्रुप से संचालित होती है मुहिम
पक्काभादवा निवासी सुरेंद्र गोदारा ने बताया कि इन युवाओं ने व्हाट्सएप ग्रुप बना रखा है. जिसमें किसी प्रकार का संदेश आते ही सारी टीम जी जान से जुट जाती है. ग्रुप में बेसहारा, वृद्ध और बीमार गौवंश का मैसेज मिलते ही उसके इलाज और सेवा में युवा तुरंत एकत्रित होकर कार्य पूरा करते हैं. वहीं इसी ग्रुप के माध्यम से रोज तय होता है कि आज कहाँ-कहाँ और किस जगह पर आवारा पशुओं के लिए हरे चारे की व्यवस्था करनी है.
ग्रामीण भी आये है आगे
संगठन सदस्य नवजोत धालीवाल बताते है कि शुरुआत थोड़ी कठिन जरूर थी. लेकिन अब ग्रामीण आगे बढ़कर सहयोग करते हैं. हरा और सूखा चारा सबके सहयोग से निराश्रित गौवंश को उपलब्ध हो रहा है.