Hanumangarh: साहूकारों के ब्याज से परेशान युवक द्वारा आत्महत्या करने के मामले में 2 दिन बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं होने से आक्रोशित ग्रामीणों और परिजनों ने रविवार को हनुमानगढ़ टाउन के जिला अस्पताल में धरना लगा दिया और शव का पोस्टमार्टम करवाने से इंकार कर दिया. जंक्शन थाना क्षेत्र के जोडकियां गांव निवासी इंद्रसेन ने 2 दिन पहले सुसाइड नोट लिखकर सादुल ब्रांच नहर में कूदकर आत्महत्या कर ली थी.


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आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया


सुसाइड नोट में इंद्रसेन ने गांव के विक्रम यादव और सावित्री पर कुछ हजार रुपए किसी मजबूरी में लेने का जिक्र है किसकी एवज में लाखों रुपए ब्याज वसूलने से परेशान होकर इंद्रसेन ने आत्महत्या करने की बात लिखी थी. ॉ


आक्रोशित ग्रामीणों और परिजनों का आरोप है कि जंक्शन पुलिस को सुसाइड नोट मिलने के बावजूद अभी तक किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया और जब तक दोनों आरोपी गिरफ्तार नहीं होते मृतक इंद्रसेन का शव नहीं उठाया जाएगा. जिला अस्पताल के बाहर धरना लगा कर बैठे आक्रोशित लोगों से सीओ एससी एसटी प्रहलाद राय और जंक्शन सीआई अरुण चौधरी ने वार्ता के प्रयास किया लेकिन धरने पर बैठे लोगों ने दोनो नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी से पहले पोस्टमार्टम और धरना हटाने से इंकार कर दिया.


सीओ एससी एसटी प्रहलाद राय ने बताया कि मामले में परिजनों के परिवाद पर जंक्शन थाने में नामजद प्रकरण दर्ज कर लिया गया है. प्रकरण में अनुसंधान जारी है. जांच में जो भी दोषी मिलेगा उस पर विधिसम्मत कार्रवाही की जाएगी. सीओ ने आत्महत्या प्रकरण में सुसाइड नोट मिलने की बात भी जांच में शामिल करने की बात कही.


ये लिखा है सुसाइड नोट में


सुसाइड नोट में मृतक ने लिखा कि मैं अपनी मर्जी से अपनी जान दे रहा हूं, मुझ में अब जीने की हिम्मत नहीं रही है. मेरे कारण मेरे मां-बाप को और कर्ज में नहीं डुबो सकता. मेरे मरने का कारण विक्रम यादव और सावित्री है, जिन से मैंने अपने बुरे वक्त में थोड़ा सा कर्ज लिया था, लेकिन दोनों ने इतना ब्याज लगा दिया कि इनका ब्याज भरने में ही मरने की राह पर आ गया. विक्रम यादव से मैंने सिर्फ 40 हजार रुपए लिए थे उसने वह पैसे अपने पास से ही दिए थे और कंपनी का बहाना बनाकर पता नहीं कौन सा ब्याज लगा दिया और 40 हजार के 6 लाख रुपए बना दिए सिर्फ 2 साल में. यही हाल सावित्री का है जिससे मैंने 30 हजार रुपए लिए थे, उसने सिर्फ 1 साल में चार लाख बना दिए.


मैं अपने घर वालों को कर्ज में नहीं डुबो सकता


पता नहीं कितने लोन उठा कर इनका ब्याज भरता रहा, फिर भी इन दोनों विक्रम और सावित्री ने मेरे जीवन को कर्ज के ऐसे मोड़ पर खड़ा कर दिया कि मेरे पास मरने के सिवाय कोई रास्ता नहीं छोड़ा. मैं अपने माता-पिता का गुनहगार हूं कि उनका सहारा नहीं बन पाया. बस मैंने अपनी जिंदगी विक्रम यादव और सावित्री के रुपए का ब्याज भरते भरते ही खत्म कर दी.


इन दोनों को आज तक कम से कम पांच लाख दे चुका हूं 2 साल में और अभी भी इनका ब्याज पूरा नहीं हो रहा है. मैं अपने घर वालों को कर्ज में नहीं डुबो सकता इसलिए मैं आज अपनी जान दे रहा हूं. बस मेरे मरने के बाद विक्रम और सावित्री को छोड़कर जिनका कर्ज बाकी है वह मेरे घरवाले दे देंगे. बस गांव में कोई भी विक्रम यादव और सावित्री से उधार पैसे ना ले, नहीं तो पूरी जिंदगी इनके ब्याज भरने में ही खत्म हो जाएगी.