OBC की 10 जातियों ने फिर छेड़ा आरक्षण का मुद्दा, क्या MBC कोटे से मिलेगा रिजर्वेशन?
राजस्थान में ओबीसी की 10 जातियों ने एक बार फिर से आर्थिक सामाजिक सर्वे का मुद्दा छेड़ दिया है. ओबीसी (OBC Reservation) की इन जातियों ने ओबीसी आयोग की पुरानी रिपोर्ट का हवाला देते हुए मौजूदा स्थिति का अध्ययन कराने की मांग की है. ओबीसी की इन जातियों ने इसी सरकार में हुए सर्वे के आदेश कोआधार बनाते हुए सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग के सामने यह मांग रखी है.
Jaipur: राजस्थान में ओबीसी की 10 जातियों ने एक बार फिर से आर्थिक सामाजिक सर्वे का मुद्दा छेड़ दिया है. ओबीसी (OBC Reservation) की इन जातियों ने ओबीसी आयोग की पुरानी रिपोर्ट का हवाला देते हुए मौजूदा स्थिति का अध्ययन कराने की मांग की है. ओबीसी की इन जातियों ने इसी सरकार में हुए सर्वे के आदेश कोआधार बनाते हुए सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग के सामने यह मांग रखी है. मिरासी समाज की इन जातियों ने यह दावा किया है कि भारत पाकिस्तान के विस्थापन के समय कुछ जातियां देश में रह गई थी और कुछ पाकिस्तान में. इन जातियों ने ओबीसी कोटे से अलग से आरक्षण देने की वकालत की है.
ढाढी मिरासी समाज के अध्यक्ष नवीन कुमार के नेतृत्व में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सचिव समित शर्मा से मुलाकात की थी.हालांकि आयोग के गठन होने के बाद ही सर्वे की पूरी तस्वीर साफ हो पाएगी. क्योंकि सरकार में अब तक ओबीसी आयोग का गठन नहीं हुआ है. अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के बाद ही आयोग सर्वे कर पाएगा. ढाढी मिरासी समाज के अध्यक्ष नवीन कुमार का कहना है कि इससे पहले हाईकोर्ट में गए थे, जिसको लेकर राजकुमार मिरासी की जनहित याचिका पर जस्टिस एमएम श्रीवास्तव की खंडपीट ने कहा था कि एमबीसी में जातियों को शामिल करने का काम प्रशासनिक है, कोर्ट का इसमें कोई क्षेत्राधिकार नहीं है. मुस्लिम मिरासी, मांगणियार, ढाढी, लंगा, दमामी, मीर, नगारची, राणा, बायती और बारोट जाती ने ओबीसी में विशेष आरक्षण की मांग की है.
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सामाजिक स्थिति : समाज ने दावा किया है इन 10 जातियों का कोई भी सदस्य किसी उच्च पद पदस्थापित नहीं है. विकास अध्यन संस्थान जयपुर द्वारा 2007 से 2012 तक की गई सर्वे रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में मात्र एक लेखाकार राजकीय सेवा में पाया गया था. आज भी ग्रामीण आंचल में इन दलित जातियों के साथ उच्च वर्ग द्वारा भेदभाव किया जाता है.
आर्थिक स्थिति : इन जातियों ने आर्थिक रूप से पिछडा होना भी बताया.इन जातियों का कहना है कि दलित जातियों की आथिर्क स्थिति अत्यंत कमजोर एवं दयनीय है. अधिकांश परिवारों के पास पक्के मकान नहीं हैं. 90 प्रतिशत परिवारों के पास कृषि भूमियां नहीं है गरीबी की रेखा से नीचे जीवनयापन करते हैं.
शैक्षणिक स्थिति: शैक्षणिक स्थिति की भी हवाला देते हुए समजा ने कहा कि हमारी आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते हम अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों, कॉलेजों, शिक्षण संस्थाओं में शिक्षा दिलवा पाना हमारे बूते से बाहर है. ऐसी स्थिति में आर्थिक रूप से सम्पन्न समाज में पढ़े पले बच्चों के साथ प्रतियोगिता परीक्षा में कामयाब होना एक सपने के बराबर है.
राजनैतिक स्थिति: राजनैतिक परिदृृश्य में भी इन 10 जातियों का कोई सदस्य राजस्थान में सांसद विधायक जिला प्रमुख प्रधान और किसी भी संस्था आयोग ट्रस्ट निगम समिति में अध्यक्ष यहां तक की सरपंच भी निवार्चित नियुक्त नहीं है.
ऐसे में इन जातियों जल्द से जल्द ओबीसी आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति कर आरक्षण के लिए सर्वे करवाने की मांग की है.