Jaipur: पर्यावरण को नियंत्रित करने के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर कल से पूरी तरह से प्रतिबंध लग जाएगा. इसके बाद इसका उपयोग नहीं किया जाएगा. यदि कोई उपयोग करते हुए पाया जाएगा तो संबंधित पर कार्रवाई की जाएगी. हालांकि अभी शहर में सिंगल यूज प्लास्टिक का धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है. सबसे ज्यादा उपयोग शादी समारोह और सब्जी बाजार में किया जा रहा है. 'बाजार जाएं तो थैला लेकर जाएं'. अगर दुकानदार पॉलिथीन देता भी है तो उसे न कहें. शहर को पॉलिथीन से मुक्त बनाने के लिए हर नागरिक को आगे आना होगा. 


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एन्वायर्नमेंट को बचाने के लिए कल से सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगने जा रहा है. समझाइश के बाद प्रशासन अब जुर्माने की नीति पर काम करेगा. बड़े पैमाने पर उपयोग किए जा रहे सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पादों के स्थान पर जूट-कागज, कपड़ा, बांस आदि के उत्पाद विकल्प बनेंगे. इससे जूट-कागज उत्पादों के उद्योग को बढ़ावा मिलेगा. शहर के लोगों को जागरूक करने के लिए जयपुर जिला प्रशासन की ओर से 'जाग्रत जयपुर' नाम से अभियान चलाया जा रहा है. 


अभियान के तहत जयपुर नगर निगम ग्रेटर और हैरिटेज सहित निकायों में होटल, टेंट व्यवसयासी, ढाबा, रेस्टोरेंट, प्राइवेट स्कूल, एनजीओ और व्यापारी यूनियन के प्रतिनिधियों को बैठक कर जागरूक किया गया है. कलेक्टर राजन विशाल ने बताया की समझाइश के बाद कार्रवाई को दौर शुरू होगा. जिले में स्पेशल एनफोर्समेंट टीमें भी बनाई गई हैं, जो सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं का विनिर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग आदि पर नजर रखेंगी. सिंगल यूज प्लास्टिक, नाम से ही साफ है कि ऐसे प्रोडक्ट जिनका एक बार इस्तेमाल करने के बाद इन्हें फेंक दिया जाता है. 


इसे आसानी से डिस्पोज नहीं किया जा सकता है. साथ ही इन्हें रिसाइकिल भी नहीं किया जा सकता है. यही वजह है कि प्रदूषण को बढ़ाने में सिंगल यूज प्लास्टिक की अहम भूमिका होती है. हमारी जिंदगी का हर पहलू प्लास्टिक पर निर्भर हो गया है. बच्चों के खिलौनों से लेकर पानी की बोतल और खाने की प्लेट, रसोई, बाथरूम, इलेक्ट्रिक उपकरणों, कार, एरोप्लेन में, क्रॉकरी, फर्नीचर, कन्टेनर, बोतलें, पर्दे, दरवाजे, दवाईयों के रैपर और बोतलें, डिस्पोजिबिल सिरिंजों का उपयोग बहुत बढ़ गया है.


ये सिंगल यूज 19 प्लास्टिक चीजें बैन


कम उपयोगिता और ज्यादा कूड़ा पैदा करने वाली ऐसी करीब 19 वस्तुओं के निर्माण, भंडारण, आयात, वितरण, बिक्री और उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध एक जुलाई से लग जाएगी. इन प्रतिबंधित वस्तुओं में प्लास्टिक वाली इयर-बड्स, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक की डंडियां, प्लास्टिक के झंडे, केंडी स्टिक, आइसक्रीम की डंडियां, पॉलीस्टाइरीन (थर्माकॉल) की सजावटी सामग्री, कप-प्लेट, गिलास, कांटे, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे, मिठाई के डब्बे, आमंत्रण-पत्र, सिगरेट पैकेट को पैक करने वाली रेपिंग फिल्म, 100 माइक्रॉन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक या पीवीसी बेनर और स्टिरर्स का उपयोग नहीं किया जा सकेगा.



जानें किन 6 तरीकों से कम कर सकते हैं इस्तेमाल.


  • प्लास्टिक की बोतल का पानी खरीदने से बचें.

  • घर से समान खरीदने जाते हैं तो शॉपिंग बैग साथ लेकर जाएं

  • ड्रिंक्स पीने के लिए स्ट्रॉ का उपयोग करने से बचें.

  • प्लास्टिक के डिब्बों वाला खाने-पीने का सामान न खरीदें. 

  • इससे आप जहरीले केमिकल से बच सकते हैं.

  • अपने भोजन को टिफिन-बॉक्स या ग्लास कंटेनर आदि में रखने की कोशिश करें.

  • मिट्टी के बर्तनों को बढ़ावा दें.


नगर निगम हैरिटेज आयुक्त अवधेश मीना ने बताया की सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकारी संस्थान तक ही नहीं है, बल्कि हर नागरिक को इसके लिए आगे आना होगा. खुद भी पॉलिथीन के इस्तेमाल से बचें और अपने आसपास भी लोगों को जागरूक करें. सिंगल यूज प्लास्टिक बैन तभी सफल होगा जब आम लोगों में इसके प्रति जागरूकता हो और आसानी से सिंगल यूज प्लास्टिक के दूसरे विकल्प लोगों के सामने उपलब्ध हों. ज्यादातर लोग घर के अंदर बचा खाने-पीने का सामान अक्सर पॉलीथिन में भरकर कचरे के ढ़ेर में फेंक देते हैं. गाय और अन्य जानवर पॉलीथिन के अंदर रखी सामाग्री को खाने के लिए पॉलीथिन को ही चबा लेते हैं. जिससे यह पॉलीथिन गायों के गले में जाकर चिपक जाती है जिससे उनकी मौत भी हो सकती है. इसके अलावा पॉलीथिन का उपयोग पर्यावरण के लिए भी हानिकारक बना हुआ है. 


राजस्थान में सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर 1 अगस्त, 2010 से पूर्ण रूप से रोक लगी थी. इसके लिए बनाए नियमों के तहत अगर किसी व्यक्ति को इसका उपयोग करते पकड़ा गया तो उस पर 5 साल की सजा और 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाने का प्रावधान है....दरअसल फिर से सिंगल यूज प्लास्टिक बैन की तैयारी की जा रही है. मगर कचरे से निकल रहे प्लास्टिक का निस्तारण करने में दोनों नगर निगम फिसड्डी साबित हो रहे हैं. जयपुर शहर का कुल वेस्ट 1400 मीट्रिक टन है, जिसमें प्लास्टिक वेस्ट 280 मीट्रिक टन है. इस कचरे को कई लोग उठा रहे हैं, लेकिन पूरा प्लास्टिक कचरा निस्तारित नहीं हो पा रहा है. कुछ कचरे को सेग्रीगेट करके ऊर्जा संयंत्र में इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन नगर निगम दूसरा संयंत्र नहीं लगा पाया है.


बहरहाल, इंसान और पर्यावरण दोनों का सबसे बड़ा दुश्मन है प्लास्टिक. यह जमीन और पानी के स्रोतों को खराब कर रहा है. साथ ही इंसान के शरीर में हर हफ्ते एक क्रेडिट कार्ड जितना प्लास्टिक जा रहा है. प्लास्टिक कचरे के पहाड़ बन गए हैं. जिनके आसपास रहने वालों का जीना मुहाल हो गया है. 


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