3644 गायों की मौत, 80 हजार गायें बीमार, जिम्मेदारों का व्यवहार, मानो जैसे कुछ हुआ ही नहीं
प्रदेश का गोवंश गंभीर संकट का सामना कर रहा है. पशुओं में लंपी स्किन डिसीज बीमारी फैल रही है. बीमारी का दायरा 15 से ज्यादा ज़िलों में फैल गया है. इस बीमारी में पशुओं की त्वचा पर गांठें पड़ रही हैं. इस पूरे मामले में अब तक 3644 गायों की मौत हो चुकी है, 80 हजार गायें बीमार हैं. इसके बाद भी जिम्मेदारों का व्यवहार ऐसा है कि मानो जैसे कुछ हुआ ही नहीं
Jaipur: स्किन डिसीज नाम की ऐसी बीमारी फैल रही है? जिसका टीका ही अभी तक नहीं बना है. चिंता की बात यह भी है कि दुधारू पशुओं में होने वाली यह बीमारी संक्रामक रोग की तरह एक से दूसरे पशु में फैल रही है. हालांकि लंपी डिसीज की आहट तो पिछले कुछ दिनों से लगातार आ रही है, लेकिन बीमारी फैलने की रफ्तार के मुकाबले पशुपालन विभाग की तैयारियां कुछ ज्यादा ही मंद दिख रही हैं.
दरअसल चिंता की बात यह है कि पशुओं की मौत तो हो रही है, लेकिन पशुपालन विभाग के पास इन मौतों का सटीक आंकड़ा नहीं पहुंचा पा रही हैं. ऐसे में बीमारी की भयावहता का अंदाज भी नहीं लग पा रहा है. इसके चलते विभाग इस बीमारी से निपटने की तैयारियां कितनी पुख्ता कर पा रहा है? सवाल यह भी कि क्या ऐसा इसलिए क्योंकि ये बेजुबान वोट नहीं डालते?
प्रदेश का गोवंश गंभीर संकट का सामना कर रहा है. पशुओं में लंपी स्किन डिसीज बीमारी फैल रही है. बीमारी का दायरा 15 से ज्यादा ज़िलों में फैल गया है. इस बीमारी में पशुओं की त्वचा पर गांठें पड़ रही हैं. इन गांठों के चलते गर्भपात, बांझपन, न्यूमोनिया और लंगड़ेपन जैसी परेशानियां उभर रही है. कई बार तो यह बीमारी पशुओं में मौत का कारण भी बन रही है. पशुपालन विभाग का कहना है कि यह बीमारी गुजरात से सटे सामीवर्ती ज़िलों के साथ ही जोधपुर संभाग में ज्यादा पैर पसार रही है. तकरीबन राज्य के आधे हिस्से में लंपी स्किन डिसीज दस्तक दे चुकी है.
15 ज़िलों में पहुंचा संक्रमण, विभाग के मुताबिक 3644 पशुओं की हुई मौत
उदयपुर, अजमेर, सिरोही, जैसलमेर, जालोर, बाड़मेर, अजमेर, नागौर, पाली ज़िला भी जद में है. जोधपुर संभाग मुख्यालय से सीकर, झुंझुनूं तक भी असर दिखा है. बीकानेर, हनुमानगढ़, गंगानगर में भी संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले हैं. पशुपालन विभाग के पास 1 अगस्त तक 77 हज़ार 415 मामले आये हैं. इनमें से 58 हज़ार 517 का इलाज हुआ है. अभी तक 28 हज़ार 799 पशु रिकवर हुये हैं.पशुपालन विभाग के मुताबिक 3644 पशुओं की हुई है.
इस बीमारी से निपटने के लिए केंद्रीय टीम भी सक्रिय हुई.दौरे से ठीक पहले राजस्थान के पशुपालन विभाग ने भी बैठक की औपचारिकता निभाई गई. पशुपालन मंत्री की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में मंत्री ने सख्ती दिखाई और तत्काल टीम बनाकर पशुपालकों को राहत पहुंचाने के निर्देश दिए. पशुपालन विभाग के सचिव पीसी किशन कहते हैं कि राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम के साथ ही ज़िलों में भी कंट्रोल रूम बनाये गए हैं.
केंद्रीय टीम जोधपुर में दौरे पर है, तो पशुपालन मंत्री लालचंद्र कटारिया ने बुधवार को एक बार फिर मीटिंग बुलाई है. इस बीच पशुपालन विभाग ने किसानों को एडवाइज़री भी जारी की है. तो बीमारी से निपटने के लिए फंड भी दिया है.
उधर गायों के मुद्दों पर आमतौर पर मुखर होने वाली भारतीय जनता पार्टी भी अब इस मुद्दे पर बोल रही है. प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ कहते हैं कि इस बीमारी का टीका नहीं होना चिंता का कारण है, लिहाजा उन्होंने ट्वीट कर मुख्यमंत्री और पशुपालन मंत्री से इस बात का आग्रह किया है कि पशुपालकों के बीच संक्रमण रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिये.
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पशुपालन के मामले में अग्रणी प्रदेश के तौर पर गिना जाने वाला राजस्थान लम्पी स्किन डिसीज को लेकर आशंकित है. पशुपालकों और पशुओं पर आने वाले इस संकट का असर कितना व्यापक हो सकता है, इसका अंदाज़ा अभी तक शायद सरकारों को भी नहीं है.
लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ?
क्यों विभाग पहले अलर्ट नहीं हुआ?
क्यों केन्द्र और राज्य की टीम्स ने आपस में को-ऑर्डिनेशन नहीं किया?
क्यों गायों के मामले में कोई नहीं बोल रहा?
अब तक गायों के मुद्दे पर मुखर होने वाली बीजेपी क्यों चुप है?
और सवाल यह भी कि क्या गाय और दूसरे पशु वोट नहीं देते तो उनकी समस्या पर भी कोई ध्यान नहीं देगा?
इन सब सवालों का जवाब ढूंढने और पशुपालकों तक बीमारी का इलाज एवम जानकारी पहुंचाने के बीच सरकारों को यह भी ध्यान देना होगा कि यह पशुधन प्रदेश में दूध की आपूर्ति के लिए जितना ज़रूरी है? उनता ही राज्य अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है। ऐसे में अगर किसी भी स्तर पर लापरवाही हुई तो उसमें नुकसान सिर्फ पशुओं का ही नहीं होगा.
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