ADitya L1: इसरो भारत के पहले सूर्य मिशन  आदितय L 1 के प्रक्षेपण के लिए तैयार पूरी तरह से तैयार है. आंध्रप्रदेश के  श्रीहरिकोटा से शनिवार  दो सितंबर को 11 बजकर 55 मिनट पर श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया जाएगा. 
क्या है ISRO का सूर्य मिशन
 बता दें कि ‘आदित्य एल1’ को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘एल1’ (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अवलोकन करने के लिए बनाया गया है. ‘आदित्य एल1’ सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का पहला अंतरिक्ष यान होगा. इससे पहले नासा नासा ने साल 2001 में जेनेसिस मिशन लॉन्च किया था. इसका मकसद था सूरज के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए सौर हवाओं का सैंपल लेना था. 


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 नासा ने अब तक तीन प्रमुख सूर्य मिशन भेजे हैं- सोहो (सोलर एंड हेलियोस्फ़ेरिक ऑब्जर्वेटरी), पार्कर सोलर प्रोब और आइरिस (इंटरफ़ेस रिजन इमेजिंग स्पेक्ट्रोग्राफ़). 


 



बता दें कि भारत के  सूर्य मिशन ‘आदित्य एल1’ को  शनिवार दोपहर 11 बजकर 50 मिनट पर इसरो के पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) जिसे भारत ने अपने सुदूर संवेदी उपग्रह को सूर्य समकालिक कक्षा में प्रक्षेपित करने के लिये विकसित किया है. इसके जरिये श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से प्रक्षेपित किया जाएगा.
सूर्य के सबसे करीब रहेगा  ‘आदित्य एल1’
 ‘आदित्य एल1’ के 125 दिनों में लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय कर लैग्रेंजियन बिंदु ‘एल1’ के आसपास हेलो कक्षा में स्थापित होने की उम्मीद है, जिसे सूर्य के सबसे करीब माना जाता है. इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं तथा पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है. ‘आदित्य एल1’ सात पेलोड ले जाएगा, जिनमें से चार सूर्य के प्रकाश का निरीक्षण करेंगे. इसरो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ‘चंद्रयान-3’ की सॉफ्ट लैंडिंग में मिली कामयाबी के बाद इस मिशन को अंजाम दे रहा है.


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