Rajasthan Politics: अग्निवीरों को सम्मान के साथ सुरक्षा देने के लिए राजस्थान सरकार ने ऐलान कर दिया है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के ऐलान के बाद यह साफ हो गया है कि, राजस्थान में भी अग्निवीरों को कुछ स्तर तक सरकारी भर्तियों में आरक्षण दिया जाएगा. सरकार की यह पहल अग्निवीरों और सत्ताधारी पार्टी के नजरिए से बेहतर दिख रही है, लेकिन अब तीन विभागों में आरक्षण की इस पहल के बाद कुछ सवाल भी उठ रहे हैं. 


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सवाल यह उठ रहे हैं कि, क्या इससे विपक्ष ने अग्निपथ योजना को लेकर जो माहौल तैयार किया वह कमजोर होगा? क्या बीजेपी और केंद्र सरकार की स्वीकार्यता युवाओं में बढ़ सकेगी या अभी इसके लिए केंद्र को और मशक्कत के साथ भविष्य की योजना पर काम करना होगा?



अग्निवीर देश की रक्षा के लिए 'अग्निपथ' पर चलने की तैयारी है, लेकिन साढ़े 17 बरस की उम्र में भर्ती और उसमें से भी 75 फीसदी का रिटायरमेंट 21 वर्ष की उम्र तक होने से यह अग्निपथ कई अग्निवीरों के लिए कांटों का पथ बनता दिख रहा था. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस मुद्दे को जनता के बीच खूब हवा दी. सेना भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओं को भी यह मुद्दा गले उतरता दिखा और उसका असर वोटों में बदलाव के रूप में दिखा. राजस्थान की बात करें, तो बीजेपी जो लगातार दो बार सभी 25 लोकसभा सीटों पर जीती वह 2024 के चुनाव में 14 सीट तक सीमित रह गई.



चुनाव के बाद अब पार्टी और भाजपा शासित राज्य दोनों ही रणनीति में बदलाव करते दिख रहे हैं. शायद यही कारण है कि भाजपा शासित राज्यों ने प्रदेश की भर्तियों में सेवा से आए अग्निवीरों को आरक्षण के प्रावधान का ऐलान कर दिया है.



सरकार ने पुलिस के साथ ही जेल प्रहरी और वन विभाग में अग्निवीरों को आरक्षण देने का ऐलान कर दिया है. इसके प्रावधान भी जल्द जारी होंगे, लेकिन सवाल यह है कि क्या फील्ड में इसका असर होगा? क्या सरकार की यह घोषणा कांग्रेस को बैकफुट पर धकेल सकेगी? क्या कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में अग्निवीर योजना को जिस तरह मुद्दा बनाया वह मुद्दा कमजोर होगा? इन सवालों के जवाब में कांग्रेस महासचिव और प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी कहते हैं कि, अग्निवीर योजना सेना को कमजोर कर रही है, तो युवाओं के साथ भी छलावा है. ऐसे में कांग्रेस की नजर में सरकार की घोषणा कोई बहुत बड़ा असर नहीं छोड़ने वाली.


उधर भाजपा के प्रवक्ता कृष्ण कुमार जानू कहते हैं कि सरकार ने 10 फीसदी आरक्षण के जो प्रावधान किए हैं, जल्द ही इसके नॉर्म्स भी जारी कर दिए जाएंगे. जानू कहते हैं कि सरकार की सोच सेना को युवा बनाने के साथ ही अग्निवीरों को भविष्य में सुरक्षा देने की रही है. बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में जो हौव्वा खड़ा किया, वह अब बे-असर साबित होगा.


लेकिन सेना में भर्ती होने की तैयारी कर रहे हनुमानगढ़ के अभ्यर्थी सचिन का कहना है कि वह सरकार की तरफ से की गई घोषणा का स्वागत तो करते हैं, लेकिन अभी इसमें और सुधार की गुंजाइश है.उनका कहना है कि 75 फ़ीसदी को बाहर करने का अनुपात कम करना चाहिए. साथ में अग्निवीरों को भी शहादत के समय शहीद का दर्जा देना चाहिए. इसके साथ ही पोस्ट रिटायरमेंट बेनिफिट और अगली नौकरी तक कुछ आर्थिक मदद की जाए तो स्थितियां और बेहतर हो सकती हैं.


उधर रिटायर्ड सैन्य अधिकारी कर्नल देवानंद भी कहते हैं कि सरकार अगर रिटायर करने वाले सैनिकों के अनुपात को सुधार ले और देश भर के स्तर पर एक कानून अग्निवीरों के लिए लोकसभा में पारित करे, तो तस्वीर बदल सकती है. कर्नल देवानंद कहते हैं कि राजनीतिक दल एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते हैं लेकिन सेना के एडमिनिस्ट्रेशन और उसकी बेहतरी का काम सेना पर ही छोड़ जाए, तो ज्यादा बेहतर होगा.