Rajasthan News: अगर जीवनशैली में सुधार किया जाए तो कम उम्र में होने वाले मेमोरी लॉस से लेकर ओल्ड एज में होने वाले डिमेंशिया जैसे रोगों का खतरा 60 से 80 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है. यह बातें एम्स न्यूरोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. मंजरी त्रिपाठी ने वर्ल्ड अल्जाइमर्स डे को लेकर बुधवार शाम को इंडिया हैबिटेट सेंटर में हुए आयोजन में कहीं. दुनिया में इस तरह के 5.50 करोड़ से अधिक और भारत में 88 लाख से अधिक मरीज हैं.  


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डिमेंशिया जिसकी अल्जाइमर एक बड़ी वजह है. लक्षणों में याददाश्त कम होना, सोचने और निर्णय लेने में परेशानी, भाषा और दैनिक गतिविधियों में कठिनाई, दिशा और समय की समझ कम होना शामिल है. इस तरह के लक्षणों से आत्मविश्वास घटता है और तनाव व एंजाइटी बढ़ती है. 


एआरडीएसआई दिल्ली चैप्टर की प्रमुख डॉ. मंजरी त्रिपाठी ने इससे बचाव के लिए बताया कि धूम्रपान और शराब मानसिक स्वास्थ्य के सबसे बड़े दुश्मन हैं. नियमित व्यायाम, शारीरिक परिश्रम और भरपूर नींद जरूरी है. संतुलित आहार का सेवन जैसे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर आहार लेना चाहिए. मानसिक गतिविधि जैसे पजल सॉल्व करना, पढ़ना, नई भाषा और स्किल सीखना मस्तिष्क को सक्रिय रखता है. दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना, योग व ध्यान करना भी मानसिक स्वास्थ्य बेहतर करता है और तनाव घटाता है. 


डॉ. मंजरी ने कहा कि ओल्ड एज फ्रेंडली स्पेस तैयार करना समय की जरूरत है ताकि बुजुर्गों को साथ बैठकर समय बिताने और मानसिक रूप से बेहतर महसूस करने की सुविधा हो. संयुक्त परिवारों में परिस्थितियों से मानसिक तालमेल बिठाने की क्षमता ज्यादा थी, लेकिन न्यूक्लियर फैमिली में यह क्षमता कम हो रही है. डिमेंशिया के मरीजों से बहस से बचना चाहिए और उनकी मान्यताओं का समर्थन करना चाहिए. उन्हें पिक्चर ड्रॉ करके चीजों को समझाने में मदद मिल सकती है. एम्स में प्रत्येक गुरुवार को एक स्पेशल क्लिनिक में डिमेंशिया के मरीजों को देखा जाता है. 


आयोजन के दौरान भारत की ओर से कैन्स पहुंची मनोरोगों को लेकर जागरुकता बढ़ाने वाली फिल्म 'अंतर्नाद' का प्रदर्शन भी किया गया. अल्जाइमर्स एंड रिलेटेड डिसऑर्डर्स सोसायटी ऑफ इंडिया की चेयरपर्सन रेणु वोहरा और सदस्य सचिव रेवा पुरी ने मनोरोग से जुड़ी जागरुकता व प्रयासों की जानकारी दी. कहा कि भारत को भी अन्य विकसित देशों की तरह डिमेंशिया एक्शन प्लान की तरफ बढ़ना चाहिए.