Jaipur News: प्रदेश की विभिन्न जेलों के प्रहरियों ने जेल मैस का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है. जेल प्रहरियों ने अनिश्चित कालीन मैस बहिष्कार की घोषणा करते हुए ड्यूटी करने का ऐलान किया है. इतना ही नहीं जेल प्रहरियों ने भूखे पेट रहकर ही गणतंत्र की परेड़ में शामिल होने का निर्णय लिया है.जिसके बाद जेल प्रहरियों की मांग के समर्थन में कर्मचारी महासंघ भी उतर आया है.


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राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ एकीकृत के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि सरकार को प्रहरियों के साथ किए समझौते को लागू करना चाहिए.प्रदेश के जेल प्रहरी लम्बे से समय से वेतन विसंगति दूर करने के की मांग कर रहे हैं.ऐसे में जेलकर्मी आरएसी और पुलिसकर्मियों के समान वेतन की मांग कर रहे हैं. जेलकर्मियों का कहना है कि पहले जेल प्रहरियों को पुलिस कांस्टेबल के समान वेतन मिलता था, लेकिन बाद में 1998 से वेतन में विसंगति हो गई. इस विसंगति को दूर करवाने के लिए सभी आंदोलनरत हैं.


वर्ष 2017 में हुए समझौते को लागू करने की मांग


इधर जेल प्रहरियों ने वर्ष 2017 में हुए समझौते को लागू करने की मांग करते हुए, 30 दिसम्बर काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया. जेल प्रहरियों की मांग नहीं मानने पर 13 जनवरी से मैस बहिष्कार की चेतावनी दी थी. जेल प्रहरियों का कहना है कि मांगे नहीं मानने पर वो मैस बहिष्कार के लिए मजबूर हैं.इधर जेल प्रहरियों की मांग के समर्थन में आए राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ एकीकृत के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि वर्दी और बेल्टधारी होने के कारण जेल प्रहरी अपनी आवाज नहीं उठा पा रहें हैं. पहले उनसे समझौता किया गया था उसे लागू किया जाना चाहिए. समान काम वाले आरएसी जवान को 3600 की ग्रेड मिलती है तो, जेल प्रहरियों को 1900 की ग्रेड क्यों दी जा रही है. सरकार इनकी मांगें तुरंत स्वीकार इनके साथ न्याय करें.अनुशासन में बंधे होने के कारण जेल प्रहरी अपनी बात उठाने के लिए आंदोलन भी नहीं कर सकते हैं.
राज्य की सभी जेलों में  मैस में लगे ताले


आपको बता दें की राज्य की सभी जेलों में प्रहरियों ने अपनी मैस के ताले लगा दिए हैं,कई जगह खाना बनाने के बर्तन उलटे रख दिए हैं. दूसरी ओर जेल अधिकारी प्रहरियों को मैस बहिष्कार नहीं करने के लिए धमका रहे हैं. प्रहरियों को अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर प्रहरियों का कहना है कि शांतिपूर्ण और अनुशासन में रहकर ही वो अपने हक की मांग कर रहे हैं. भूखे रहकर ही ड्यूटी को अंजाम देंगे, जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती.


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