अलवर केस: आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई को लेकर शहर बंद, सर्व समाज न्याय संघर्ष समिति ने सजा देने की मांग की
संघर्ष समिति ने बाजार बंद करवाई और सुबह से दुकानें और ऑफिस पूरी तरह बंद नजर आए. समिति पदाधिकारियों ने पुलिस जांच पर संदेह जताया ,इनका कहना है पुलिस दुष्कर्म मामले को दुर्घटना में बदलने का प्रयास कर रही है.
अलवर में मूक बधिर नाबालिग से हुई दरिंदगी मामले में पुलिस के हाथ अभी खाली हैं. इस मामले में आरोपियों की अभी तक गिरफ्तारी नहीं हो पाई है. हालांकि, पुलिस ने इस मामले में एक डिलीवरी ब्वॉय को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. वहीं, सर्व समाज न्याय संघर्ष समिति ने आरोपियों की धड़ पकड़ नहीं होने के कारण शनिवार को अलवर शहर को बंद करवया.समिति ने दोषियों की जल्द से जल्द गिरफ्तार करकर कड़ी सजा देने की मांग की.
शहर में 11 जनवरी को तिजारा फाटक पुलिया पर रात करीब 8 बजे लहूलुहान हालत में मिली थी. आनन फानन में लोगों ने नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया था, लेकिन अस्पताल ने जयपुर के जेके लोन अस्पताल रेफर कर दिया था, नाबालिग का यहां घंटों ऑपरेशन चला था. मेडिकल रिपोर्ट में बच्ची के साथ दुष्कर्म नहीं होने की पुष्टि की गई थी. वहीं कई संगठनों ने इसे दुष्कर्म के मामले इस मामले में शहर में लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं.
सुबह से दुकानें और बाजार बंद
वहीं, सर्व समाज न्याय संघर्ष समिति का गठन किया गया. संघर्ष समिति ने बाजार बंद करवाई और सुबह से दुकानें और ऑफिस पूरी तरह बंद नजर आए. समिति पदाधिकारियों ने पुलिस जांच पर संदेह जताया ,इनका कहना है पुलिस दुष्कर्म मामले को दुर्घटना में बदलने का प्रयास कर रही है.
प्रशासन पर मामले को दबाने का आरोप
समिति के लोगों का मानना है टक्कर से युवती को गुप्तांगों में अंदरूनी चोट लगना संदेह पैदा करता है ,पुलिस सरकार के दबाव में इसे दुर्घटना का रूप दे रही है. साथ ही तिजारा फाटक पुलिया से नगर परिषद कर्मचारियों द्वारा घटना स्थल से सफाई कर देने मामले में पुलिस व प्रशासन पर साक्ष्य मिटाने के आरोप लगाए हैं. गहलोत सरकार ने इस मामले को लेकर सीबीआई जांच की मंजूरी दे दी है, लेकिन सीबीआई जांच से पहले घटना स्थल से झाड़ू लगाना साक्ष्य मिटाने जैसा प्रतीत होता है इसे लेकर भी सरकार ,पुलिस व प्रशासन फिर सवालों के घेरे में है.