जयपुर: आवारा पशुओं के जमावड़े ने शहरवासियों का चैन छीन लिया है.बच्चों को अब गाय को रोटी खिलाने में भी डर लगने लगा हैं.विद्याधर नगर, जगतपुरा महल रोड सहित अन्य इलाकों में चारा बेचकर कमाई करने वाले लोगों की जान से खिलवाड करने की ठान ली हैं.इसी का नतीजा हैं की स्मार्ट सिटी में आवारा पशुओं का कहर फिर टूट पड़ा हैं..देखते ही देखते एक बुजुर्ग महिला और बच्चों को गायों-सांडों के हमले ने अपना शिकार बना लिया.


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सड़कों पर महिलाओं और बच्चों को निकलना हुआ दूभर


स्मार्ट सिटी जयपुर की सड़कों में आवारा मवेशियों का डेरा है. किस ओर से सांड दौड़ पड़े, सड़क पर कहां आपका वाहन मवेशियों से टकरा और कुत्ते कब आप पर अटैक कर जाए कोई भरोसा नहीं. बच्चों का स्कूल जाना, महिलाओं का मंदिर या मार्केट जाना खतरे से कम नही हैं.हिंगौनिया गोपुर्नवास केंद्र में गौवंश की संख्या 15 हजार के करीब हैं, लेकिन उससे ज्यादा गौवंश शहर की स्मार्ट सिटी की सडकों पर विचरण करते हुए नजर आ जाएंगे.


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निगम नहीं दे रहा ध्यान


नगर निगम पशु प्रबंधन विंग की गाडियां सडकों पर आवारा पशुओं को पकडने के लिए दौडती हुई तो नजर आएंगी.लेकिन आवारा पशुओं को पकडने में नाकाम साबित हो रही हैं और इसी लापरवाही का खामियाजा शहर की जनता को उठाना पड रहा हैं.नगर निगम ग्रेटर आयुक्त महेन्द्र सोनी अपील करते हुए कहा की धर्मावलंबी दान-पुण्य करें लेकिन इस तरह नहीं.लोगों की जान से नहीं खेले.अब निगम प्रशासन आवारा पशुओं को पकडने और चारा बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अभियान चलाएगा.


केस-1- विद्याधर नगर निवासी 75 वर्षीय शकुंतला पारीक घर से मंदिर जा रही थी अचानक आवारा पशुओं ने हमला कर दिया.अस्पताल में भर्ती करवाया गया.सामने आया की शकुंतला पारीक के दो जगह फ्रैक्चर हो गया.अब तक खुद के पैरो से खडे होकर मंदिर जाने वाली शकुंतला को व्हीलचेयर का कुछ दिनों तक सहारा लेना पडेगा..


केस-2- इसी तरह अपने पिता और भाई के साथ स्कूल जा रहा हर्षिल अग्रवाल को भी गौवंश ने घायल कर दिया.हर्षिल के पिता ने बताया की स्कूल छोडने जाते समय गायों का झुंड आगे आ गया.बच्चा डर के मारे नीचे उतरकर भागने लगा तो गायों ने उसकी पीठ पर पैर रख दिया ये तो बच्चे की पीठ पर स्कूल बैग था पता नहीं क्या होता.ये तो ईश्वर के आशीर्वाद से हमारा बच्चा हमारे पास हैं.अब तो बच्चा बाहर गाय को रोटी खिलाने से भी डरने लगा हैं.टीम नाइन का शुक्रिया.जिनके सदस्यों ने श्रमदान कर लौट रहे थे और उन्होने मेरे बच्चे को बचाया.आवारा पशुओं से निजात दिलाने के लिए निगम प्रशासन के पास कोई कार्ययोजना नहीं है.शहर की ऐसी कोई कॉलोनी या सड़क नहीं, जहां पर आवारा पशु विचरण न कर रहे हों.


केस-3- करीब बीस दिन पहले जयपुर के सोडाला गायत्री नगर में एक महिला पर जानवरों का झुंड महिला के पीछे दौड़ गया.इस दौरान एक गाय ने महिला को टक्कर मार दी.टक्कर से गिरी महिला जैसे-तैसे बचती रही और 2 सेकेंड में 10 गाय-घोड़े दौड़ते हुए उसके पास से निकल गए.गनीमत रही कि महिला जानवरों के पैरों के नीचे नहीं आई..मौत महिला को छू कर निकल गई। पूरी घटना के मौके पर लगे सीसीटीवी में कैद हो गई.


कब कुत्ते आप पर अटैक कर जाए कोई भरोसा नहीं


नगर निगम के पार्षद, स्थानीय निवासियों का कहना हैं की ऐसीसी घटनाएं अनेक है जिनमें आवारा पशुओं की धमाचौकडी़ की चपेट में आकर लोग घायल हुए और अस्पताल पहुंचे..इस समस्या निजात दिलवाने के लिए प्रशासन ने कभी भी कोई प्रयास नहीं किए गए.आवारा पशुओं पर कार्रवाई के लिए उतरदायी नगर निगम प्रशासन भी आंख मूंदे बैठा है.पशुपालक सुबह-शाम दूध दोहने के बाद अपने पशुओं को खुला छोड देते है.ऐसे पशुपालकों पर कडी़ कार्रवाई की जानी चाहिए.


विद्याधर नगर, जगतपुरा, मालवीय नगर आवारा पशु घूमते रहते हैं.शहर में जगह-जगह आवारा पशुओं के समूह में जमावडे़ के लिए शहर के धर्मावलंबी भी जिम्मेदार है जो धर्मलाभ कमाने के नाम पर जगह-जगह चारा डाल देते है..ऐसे ही फल सब्जी विक्रेता भी बीच सड़क पर बची हुई सब्जियां फेंक देते है. जिससे भी आवारा पशुओं का जमावडा़ भीड़ भरे स्थानों पर लगा रहता है.पार्षद दिनेश कांवट का कहना हैं की दुधारू गायों को भी लोग खुले में छोड देते हैं.


हाई कोर्ट निगम को लगा चुका फटकार


कुछ लोग ऐसे हैं जो मुख्य चौराहों, सडकों पर गायों को लाकर खडा कर देते हैं.और खुद ही चारा बेचने का उसी जगह काम कर देते हैं.जिससे धर्मावलंबी दान-पुण्य के नाम से अपनी गाडी से उतरकर वही चारा खरीदते हैं और गायों को चारा खिलाकर रवाना हो जाते हैं. दिनप्रतिदिन इनकी संख्या बढती जा रही हैं. सड़कों पर आवारा पशुओं के जमावड़े से आम आदमी की जान पर बन आई है. हाईकोर्ट भी नगर निगम को कई बार फटकार लगा चुका है. इस पर निगम के अधिकारी आदेश निकाल देते हैं.


इधर जब सड़क पर निगम के काऊ कैचर जब पशुओं को उठाते हैं तो पशु मालिक दादागिरी कर वापस उतार कर ले जाते हैं..इन मालिकों की दादागिरी इतनी है कि निगम के कर्मचारी और होम गार्ड भी इनके आगे बेबस नजर आ रहे हैं..पशु मालिक अपने पशुओं को सड़क पर विचरण करने छोड़ देते हैं और निगम अगर जब्त करें तो दादागिरी दिखाते हैं.


स्मार्ट सिटी के विकास पर सरकारें करोड़ों रुपए खर्च कर रही है.जनता को ग्रीन और क्लीन सिटी का सब्जबाग दिखाया जा रहा है..शहर भर में आम जनता बखूबी जान रही है के इस समय स्मार्ट सिटी के नाम पर शहर की हालत केवल "थोथा चणा बाजे घणा" वाली है .शहर में अधिकारी आँकड़ों का खेल करते हुए शहर में विकास कार्यों की भरमार व अपने होने का अहसास दिलाते रहते हैं, मगर कुछ और ही है.