Jaipur News: राजधानी में इस बार दिवाली से पहले ही आबोहवा बिगड़ने लगी है. बीते दो दिन से एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) लगातार बढ़ रहा है. बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन, सड़कों पर उड़ रही धूल और फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं प्रदूषण का लेवल बढ़ रहा है.


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पिंकसिटी की हवा खराब हुई



दीपावली से पहले जयपुर की हवा खराब हो गई है. प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता ही जा रहा है. जबकि अभी तो दीपावली पर पटाखे और आतिशबाजी होना बाकी है.  इससे पहले ही पिंकसिटी की हवा बिगड़ने लगी है.



सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अनुसार शहर के सीतापुरा रीको एरिया में पीएम-10 का अधिकतम स्तर 423, मुरलीपुरा में पीएम-2.5 का लेवल 384 और मानसरोवर में 319 तक पहुंच गया. वहीं, AQI का औसत स्तर 150 से 252 के बीच रहा. पॉल्यूशन का ऐसा खतरनाक स्तर अलग-अलग बीमारियों के मरीजों के साथ स्वस्थ लोगों के लिए भी घातक है.



जाने पीएम (particulate matter) 2.5 या पीएम (पर्टिकुलेट मैटर) 10 क्या होता है?



पीएम 2.5: हवा में मौजूद छोटे कणों या बूंदों को पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 कहते हैं जिसकीचौड़ाई 2.5 माइक्रोन या उससे कम होती है. हृदय रोग, अस्थमा और कम वजन वाले बच्चों के लिए ये खतरनाक होता है.



पीएम 10: इसमें 10 माइक्रोन या उससे कम व्यास के कण होते हैं. ये सांसों से फेफड़ों में जा सकते हैं और स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकते हैं.



ग्रीन आतिशबाजी पर फोकस जरूरी
पीएम का स्तर यदि 0 से 50 तक होता है तो AQI अच्छा माना जाता है.
50 से 100 के बीच संतोषजनक
100 से 200 के बीच मध्यम
200 से 300 खराब
300 से 400 बेहद खराब
400 से 500 के बीच बेहद गंभीर माना जाता है.

इसलिए ये ध्यान रहे कि ग्रीन आतिशबाजी और पटाखे ही चलाएं, क्योंकि चाइनीज पटाखे सेहत के लिए खतरनाक साबित होता है. उसमें धुआं भी ज्यादा निकलता है और पटाखों की क्वालिटी भी बेकार होती है.