राजधानी की आबोहवा अब भी दूषित, स्वास्थ्य के लिए बना खतरा
दिवाली (Diwali) के पर्व के चलते वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने से पर्यावरण (Environment) के साथ-साथ आमजन के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बना है.
Jaipur: दिवाली (Diwali) के पर्व के चलते वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने से पर्यावरण (Environment) के साथ-साथ आमजन के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बना है. जयपुर (Jaipur), जोधपुर (Jodhpur) समेत प्रदेशभर की आबोहवा बेहद खराब श्रेणी में दर्ज की गई, हालांकि जयपुर, कोटा (Kota), जोधपुर समेत अन्य जगहों पर आबोहवा दिवाली के चौथे दिन सोमवार सुबह तक बेहद खराब श्रेणी में ही है.
जयपुर और जोधपुर में सामन्य से दो गुना प्रदूषण बढ़ा है. पर्यावरणविदों के मुताबिक फिलहाल स्थितियां सामान्य होने में तीन से चार दिन का समय लगेगा, इधर भिवाड़ी (Bhiwadi) सहित अन्य जगहों पर पराली का असर भी आगामी दिनों में हावी रहने से स्तर में बढ़ोतरी होना तय है. जयपुर में 390 एक्यूआई (AQI) के मुकाबले सोमवार सुबह तक 30 फीसदी के आसपास प्रदूषण कम हुआ, लेकिन अब भी स्तर खराब श्रेणी में ही है. इधर देश की राजधानी दिल्ली में अलीपुर का आज सुबह का वायु प्रदूषण का स्तर 449, आनंद विहार में 420, अशोक विहार में 409, आया नगर में 419, बवाना में 454, चांदनी चौक में 444, द्वारका में 448, इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर 353, जहांगीरपुरी में 433, लोधी रोड पर 410 एक्यूआई दर्ज किया गया, जो कि बेहद चिंताजनक श्रेणी में है.
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इस साल प्रदूषण का स्तर पिछले दो साल से भी ज्यादा रहा है. 8 से 10 बजे की आतिबाजी की पाबंदी के बावजूद राजधानी जयपुर में समेत प्रदेश के सभी बड़े शहरों में प्रदूषण का स्तर बेहद तेजी से बढ़ गया है. जयपुर में दो नवंबर तक प्रदूषण का स्तर 170 से 190 के बीच दर्ज किया गया था. इस बार ग्रीन दिवाली के लिए भले ही राज्य सरकार ने जोर दिया हो लेकिन सामान्य पटाखों की जमकर बिक्री हुई. इस पर जिम्मेदारों की ओर से कोई सख्ती नहीं की गई, इसका नतीजा यह हुआ है कि दिवाली के पहले और बाद में पूरी तरह से वायु प्रदूषण का स्तर बिगड़ गया है. जयपुर का प्रदूषण स्तर सोमवार को भी 270 एक्यूआई के आसपास दर्ज किया गया. वहीं जोधपुर का स्तर 278, अलवर का 157, भिवाड़ी का 391, कोटा का 267, उदयपुर का 197 एक्यूआई वायु प्रदूषण का स्तर दर्ज किया.
ऐसे समझें आंकड़ों को
सूचकांक नतीजे
0-100 अच्छा यानि कोई दिक्कत नहीं है
101-200 मोडरेट बाहर जाने से बचें
201-300 श्वसन संबंधी बीमारियों के मरीजों को तकलीफ
301-400 लंबे समय से बीमार रोगियों को दिक्कत
आज भी भिवाड़ी की हवा जहरीली है और राजस्थान में सबसे ज्यादा प्रदूषण वाला शहर भिवाड़ी रहा है. औसत पैमानों को देखा जाए तो 100 से ज्यादा एक्यूआई होने पर स्वास्थ्य पर इसके नकारात्मक प्रभाव पड़ना शुरू हो जाते हैं, लेकिन प्रदूषण में 300 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में प्रदूषण जितना ज्यादा होगा, उसके नुकसान उतने ज्यादा होंगे. ऐसे में चिकित्सकों ने श्वास संबंधी मरीजों को घर से बिल्कुल बाहर न निकले प्रापर गर्म कपड़े पहनने की सलाह दी है. प्रदूषण का स्तर कम होने तक अस्थमा, सांस संबंधी बिमारी और पोस्ट कोविड से जूझ रहे लोगों को बेहद एहतियात बरतने की जरूरत है.
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हर साल करोड़ो रुपए का बजट जारी होने वाले राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के प्रदूषण के द्वारा महजलाइव अपडेट में ही आंकड़ों को बताया जा रहा है, लेकिन कहीं भी सख्ती का असर नजर नहीं आ रहा. प्रदूषण मंडल के अधिकारियों के मुताबिक इसके लिए मंडल ने विभिन्न तरीकों से जागरूक किया, लेकिन प्रभावी मॉनिटरिंग फील्ड में नहीं की. मंडल की अध्यक्ष वीनू गुप्ता ने कहा कि यह कार्य सभी विभागों को करना था, एक विभाग का इसमें रोल नहीं है.