Rajasthan Politics : राजस्थान में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से ठीक पहले एक बार फिर से कांग्रेस की सियासत में सियासी उबाल आ गया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान के सियासी माहौल में फिर से तूफ़ान लाने वाला बयान दिया है. जिसके बाद उनके समर्थक विधायक और सलाहकार  संयम लोढ़ा का भी बयान सामने आया है.


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CM के सलाहकार और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने सिरोही के कार्यक्रम में बयान दिया है कि राजस्थान में अशोक गहलोत के पास 101 विधायकों का समर्थन हासिल है जिस बैठक में हाथ खड़े करवाने होंगे, विधायक हाथ खड़े करेंगे. जनता का आशीर्वाद मिला तो 2023 में अशोक गहलोत फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे. ज़ाहिर है कि अशोक गहलोत के इस बयान से राजस्थान कांग्रेस की सियासत में फिर से हड़कंप मच गया है. देखना होगा कि पार्टी आलाकमान और पायलट खेमा गहलोत के इस बयान पर क्या जवाब देता है.


दरअसल अशोक गहलोत ने कहा है कि सचिन पायलट राजस्थान के मुख्यमंत्री नहीं बन सकते हैं. उनके पास दस विधायकों का भी समर्थन नहीं है. गहलोत ने कहा कि न तो मेरे पास आलाकमान का इस संबंध में कोई इंडिकेशन है न ही विधायक उन्हें स्वीकार करेंगे. जो व्यक्ति अमित शाह से मिला हो जिसमें भाजपा से मिलकर सरकार गिराने की डील की हो उसे राजस्थान के कांग्रेस के विधायक कैसे स्वीकार करेंगे. इनकी वजह से राजस्थान के विधायकों को 34 दिन होटल में रुकना पड़ा. मैं ख़ुद इसका भुगत भोगी रहा है. इनकी भाजपा के नेताओं के साथ दस दस करोड़ में डील हुई है. मेरे पास इसके सबूत हैं.


अशोक गहलोत ने कहा कि आलाकमान के निर्देशों के आलाकमान की बात छोड़िए लेकिन सचिन पायलट राजस्थान का मुख्यमंत्री नहीं बन सकता. जिसने राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को गिराने की साज़िश की. भाजपा के नेताओं से हाथ मिलाया है जिसे ग़द्दार कहा गया उसे मुख्यमंत्री कैसे बनाया जा सकता है. राजस्थान में कांग्रेस सरकार का मुख्यमंत्री मैं ही हूँ. ये विधायकों की नहीं ये मेरी भी भावना है कि राजस्थान में सचिन पायलट को मुख्यमंत्री के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता.


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