चुनावी साल से पहले गहलोत का दांव, 2 महीने से बंद पड़े वसुंधरा के ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए दिए पैसे
टाटा और जेडीए का भुगतान को लेकर चल रहा विवाद खत्म होने के साथ ही द्रव्यवती नदी का मूल स्वरूप में लौटाने का काम भी शुरू हो गया हैं. करीब दो माह बाद आज से टाटा ने फिर से द्रव्यवती नदी की मेंटिनेंस-साफ सफाई का काम शुरू कर दिया हैं.
Jaipur News : टाटा और जेडीए का भुगतान को लेकर चल रहा विवाद खत्म होने के साथ ही द्रव्यवती नदी का मूल स्वरूप में लौटाने का काम भी शुरू हो गया हैं. करीब दो माह बाद आज से टाटा ने फिर से द्रव्यवती नदी की मेंटिनेंस-साफ सफाई का काम शुरू कर दिया हैं. करीब 2 माह से बंद पड़े इस काम के कारण इस रिवर फ्रंट में जगह-जगह गंदगी और मलबे के ढेर लग गए, जिससे यहां बदबू आने लगी थी और यहां बने पार्को में सुबह-शाम टहलने आने वाले लोगों को परेशानी होने लगी थी. लेकिन एक माह के भीतर फिर से लोग वॉक कर सकेंगे और रहवासियों को बदबू से निजात मिलेगी.
द्रव्यवती नदी और जयपुराइट्स के लिए अच्छी खबर हैं. जयपुर विकास प्राधिकरण और टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड के बीच भुगतान का विवाद सुलझने के बाद आज से साफ-सफाई का काम शुरू हो गया हैं. करीब 70 दिन से कचरे-मलबे में तब्दील द्रव्यवती नदी से आासपास के लोग काफी परेशान थे लेकिन आज उन्होने राहत की ली हैं. जेडीए और टाटा कंपनी के बीच हुए एमओयू होने के बाद कंपनी ने अपने संसाधन लगाकर काम शुरू कर दिया. जेडीए बिजली के बिलों का 55 करोड़ का भुगतान फर्म को करेगा. इसके अलावा मई 2022 से अब तक का रखरखाव का भुगतान भी किया जाएगा. जिसके बाद फर्म ने शुक्रवार को द्रव्यवती नदी की सुध ली और यहां सफाई का काम शुरू किया गया है. फर्म ने महारानी फार्म पुलिया, जनपद पुलिया, हसनपुरा पुलिया और आरपीए पुलिया से सफाई कार्य की शुरुआत की है. और तकरीबन 1 महीने में द्रव्यवती नदी को साफ करने का दावा किया है.
वसुंधरा राजे का था ड्रीम प्रोजेक्ट
इस मेंटेनेंस का काम बंद होने के कारण यहां बने अलग-अलग क्षमता के 5 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का संचालन भी बंद हो गया था. इस कारण इस रिवर फ्रंट के आसपास बसी कॉलोनियों के सीवर का पानी सीधे नदी में आ रहा था. इस कारण नदी में सबसे ज्यादा बदबू फैल रही थी. अब वापस इन प्लांट्स को शुरू किया गया है, तो उम्मीद है कि आने वाले समय में नदी में सीधे सीवरेज का पानी ना आकर ट्रीटमेंट प्लांट से ट्रीट होकर पानी आएगा. दरअसल जेडीए अधिकारियों के मुताबिक कंपनी ने जेडीए से मेंटेनेंस के पेटे 110 करोड़ रुपए मांगे थे. लेकिन जेडीए ने तर्क दिया था कि जब तक कंपनी प्रोजेक्ट फाइनल नहीं कर देती तब तक नियमानुसार मेंटेनेंस ऑफिशियली शुरू नहीं कर सकता है. इसको लेकर कंपनी ने काम बंद कर दिया था. जेडीए ने साल 2016 में इस प्रोजेक्ट का काम वसुंधरा सरकार के समय शुरू करवाया था. तब टाटा कंपनी को इस प्रोजेक्ट को बनाने के लिए 1470.85 करोड़ रुपए का कॉन्ट्रैक्ट दिया था. इसके अलावा 206 करोड़ रुपए इस प्रोजेक्ट को अगले 10 साल तक मेंटेनेंस रखने के लिए निर्धारित किए थे. नाहरगढ़ की तलहटी ग्राम जैसलिया से शुरू होकर ढूंढ नदी गोनेर के पास स्थित रामचंद्रपुरा डेम तक 47.50 किलोमीटर लम्बे इस प्रोजेक्ट में 170MLD क्षमता के 5 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बने है. इसके अलावा यहां वॉक-वे, साईकिल ट्रैक के अलावा 3 बड़े पार्क भी बने है. जिनका रखरखाव अभी कंपनी की ओर से किया जा रहा है.
जेडीसी रवि जैन ने बताया की राजधानी का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट द्रव्यवती नदी, जो शहर के बीच से गुजरती है. 53 किलोमीटर की इस परियोजना में 6 किलोमीटर फॉरेस्ट है. जिसमें प्राकृतिक रूप से पानी चैनेलाइज हो रहा है. और इसके बाद 47 किलोमीटर इसे कृत्रिम रूप दिया गया है. हालांकि अभी भी कुछ एरिया ऐसे हैं, जहां पर पेच फंसे हुए हैं. कुछ जगह नदी के दोनों तरफ अतिक्रमण की समस्या है. जिसकी वजह से नदी को वहां चौड़ाई नहीं दी जा सकी. पानी को ट्रीटमेंट की भी कुछ समस्या है. देहलावास में एसटीपी प्लांट को अपग्रेड करने का काम किया जा रहा है. जिससे ट्रीटेड वॉटर नदी में नहीं जा रहा. इसलिए बदबू और गंदगी बड़ी समस्या बनी हुई है. इन समस्याओं का समाधान करने की बात कहते हुए जेडीसी रवि जैन ने बताया कि द्रव्यवती नदी में सफाई का काम शुरू किया गया है.
जल्द द्रव्यवती नदी में सुधार नजर आएगा. पानीपेच, शिप्रा पथ, तरु छाया नगर, बंबाला और गोनेर में बनाए गए एसटीपी प्लांट भी दोबारा शुरू होंगे. वहीं सुशीलपुरा पुलिया में सीवरेज का पानी द्रव्यवती नदी में मिल रहा है, ऐसे में वहां नया एसटीपी प्लांट के लिए जगह चिह्नित की गई है. वहीं हसनपुरा क्षेत्र में करीब 700 मीटर लम्बाई में स्थानीय लोगों का गतिरोध और कोर्ट में विचाराधीन होने के कारण चैनल के दोनों ओर के विकास कार्य बाधित है. बाकी तीन जगहों पर भी कोर्ट स्टे के कारण लगभग 650 मीटर लम्बाई में कार्य प्रभावित है. गोनेर गांव के पास किसानों के भूमि के मुआवजे की मांग की भी एक वजह है. जिससे लगभग 2 किमी में काम-काज बाधित चल रहा हैं. चूंकि वहां भी जमीन मुआवजे संबंधी प्रकरण हाईकोर्ट में पेंडिग हैं. ऐसे में द्रव्यवती नदी के दूसरे चरण के उद्घाटन का अभी और इंतज़ार करना होगा.
बहरहाल, मेंटिनेंस का काम फिर से शुरू होने से द्रव्यवती नदी के किनारे अब आसपास के लोग वॉक करने के साथ खुले में सांस भी ले सकेंगे. अब सभी अपने बच्चों, पोते-पोतियों, नातिन के साथ यहां आएंगे और इस रिवर फ्रंट का आनंद लेंगे. लेकिन जेडीए, टाटा कंपनी के सााथ जयपुर के लोगों की जिम्मेदारी है कि द्रव्यवती नदी के इस पुनर्जीवित रूप को बरकरार रखते हुए इसे साफ-सुथरा और सुंदर रखेंगे. ताकि बाहर से लोग आकर इसकी खूबसूरती को निहार सकें.
गहलोत का भारत जोड़ो यात्रा को लेकर दौरा, कोटा और झालावाड़ में तैयारियों का लिया जायजा
किसानों को छल रहीं फर्टिलाइजर कंपनियां, ऐसे करते हैं मिलावट का खेल, गुणवत्ता जांच में 42 सैंपल फेल