Mangarh Dham : राजस्थान के आदिवासी अंचल यानी वागड़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल सरीखे नेताओं का जमघट लगा. प्रधानमंत्री बांसवाड़ा में आदिवासियों के संहार के स्मारक पहुंचे तो लगा कि शायद मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर उसका मान बढ़ाएंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. तीन राज्यों की 99 सीटों से कनेक्शन रखने वाले इस स्मारक के जरिए आदिवासी वोटबैंक को भाजपा और कांग्रेस इस साल होने वाले गुजरात और अगले साल होने वाले राजस्थान और मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव हो साधना चाहती है.


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बांसवाड़ा के मानगढ़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 1913 में ब्रिटिश सेना द्वारा मारे गए आदिवासी सेनानियों को श्रद्धांजलि दी. आदिवसी जनजाति को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत का अतीत, इतिहास, वर्तमान और भविष्य आदिवासी समाज के बिना पूरा नहीं होता है. आजादी के 'अमृत महोत्सव' में हम सभी का मानगढ़ धाम आना सुखद है. मानगढ़ धाम जनजातीय वीर-वीरांगनाओं के तप, त्याग, तपस्या और दे​श​भक्ति का प्रतिबिंब है. यह राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की साझी विरासत है.


भव्य विरासत के रूप में विकसित होगा मानगढ़ 
मानगढ़ धाम में भील आदिवासियों और अन्य जनजातियों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मानगढ़ धाम को भव्य बनाने की इच्छा सबकी है. मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र आपस में चर्चा कर एक विस्तृत प्लान तैयार करें और मानगढ़ धाम के विकास की रूपरेखा तैयार करें. चार राज्य और भारत सरकार मिलकर इसे नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे. नाम भले ही राष्ट्रीय स्मारक दे देंगे या कोई और नाम दे देंगे.


नहीं हुई मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक बनाने की घोषणा 
मानगढ़ धाम के विकास की रूपरेखा तैयार करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने जरूर कहा, लेकिन इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित नहीं किया. मुख्यमंत्री गहलोत ने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देंगे. किरोड़ी ने भी प्रधानमंत्री के दौरे से पहले इसे राष्ट्रीय स्मारक बनाने मांग उठाई थी. माना जा रहा था कि इस दौरे के दौरान PM मोदी मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देने की घोषणा कर दी जाएगी. लिहाजा ऐसे में बड़ी संख्या में आदिवासियों की भीड़ भी उमड़ी थी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं.


किरोड़ी ने संसद में भी उठाया था मुद्दा
PM के दौरे से पहले किरोड़ी ने ट्वीट करते हुए कहा कि 17 नवंबर 1913 में मानगढ़ की पहाड़ी को ब्रिटिश सेना ने घेर लिया था और गोलीबारी की थी, जिसमें 1500 आदिवासी भाई संत श्री गोविंद गुरु के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ते हुए शहीद हुए थे. मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करना इस बलिदान का सर्वोच्च सम्मान होगा. मैं शुरुआत से मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने का पक्षधर रहा हूं. मैंने इस मामले को  24 जुलाई 2019 को संसद में भी उठाया था. मुझे यकीन है कि माननीय प्रधानमंत्री मोदी आदिवासियों की अस्मिता से जुड़ी इस मांग को अवश्य पूरा करेंगे. 


 



मानगढ़ धाम का ERCP जैसा ना हो जाए हश्र
राजस्थान के 13 जिलों से होकर गुजरने वाली ERCP को लेकर पिछले दिनों सूबे की सियासत में जमकर उफान आया था, लेकिन ERCP केंद्र और राज्य के बीच फुटबॉल बनकर रह गई है. अब मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित ना किये जाने के बाद चर्चा तेज हो गई है कि कहीं मानगढ़ धाम का हश्र भी ERCP जैसा ना हो जाए. 


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