Nawalgarh: झुंझुनूं के नवलगढ़ कस्बे का 286वां स्थापना दिवस मनाया गया. इस मौके पर पंचायत समिति में प्रधान दिनेश सुंडा की अगुवाई में केक काटा गया. इसके बाद नवलगढ़ के उत्तरोत्तर विकास का संकल्प लिया गया. इसी तरह नवलगढ़ के संस्थापक नवलसिंह की प्रतिमा पर चेयरमैन शोयब खत्री की अगुवाई में माल्यार्पण कर उनके जीवन के बारे में बताया गया. कार्यक्रम में मौजूद अलॉयंस क्लब के पूर्व अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दयाशंकर जांगिड़ ने बताया कि हम नवलगढ़ को नई पहचान देने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. नवलगढ़ को गोल्डन सिटी के रूप में पहचान दिलाने के सभी घरों—दुकानों में गोल्डन कलर करवाने की अपील की जा रही है. इस दिशा में काफी काम हुआ भी है, लेकिन और भी काम करने के लिए हमें सामूहिक प्रयास करने होंगे.


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कार्यक्रम में डॉ. अनिल कुमार शर्मा, रविंद्र पुरोहित, अयूब तंवर, अब्दुल जब्बार खोखर, केके डीडवानिया, सुहित पाडिया, मुरली मनोहर चोबदार, चंडीप्रसाद कौशिक, संदीपकुमार, रणजीत आदि ने भाग लिया. डॉ. दयाशंकर जांगिड़ ने इतिहास पर प्रकाश डाला.


नवलगढ़ का नाम पहले था रोहिली का बास
इस मौके पर डॉ. दयाशंकर जांगिड़ ने बताया कि नवलगढ़ के संस्थापक नवलसिंह वीर बहादुर और दूरदर्शी थे. आपने नवलगढ़ की स्थापना 285 वर्ष माघ सूदी दूज को की. इसके पहले नवलगढ़ का नाम रोहिली का बास था. आपने आसपास के शहरों से बनियों को निमंत्रण देकर नवलगढ़ में बसाया. कालांतर मे उन सभी ने नवलगढ़ के बाहर जाकर व्यापार और उद्योग धंधों की स्थापना की. पूरे देश में यहां के लोग अग्रिम पंक्ति में आ गए. दूसरे विश्व युद्ध के समय अकेले नवलगढ़ में 25 करोड़पति बने थे. इन सभी ने नवलगढ़ के लिए चिकित्सा, शिक्षा पानी, धर्मशालाएं, हवेलियां मे सहयोग किया. नवलगढ़ इन सभी में अग्रणी है. बिरला, सेकसरिया, गोयनका, मुरारका, पोदार, भगत, मोर, जीवराजका, परसरामपुरिया, जयपुरिया, पाटोदिया आदि प्रमुख है. आप द्वारा बनाए हुए हवेलियों मे भिति चित्र देखने पूरी दुनियां के सैंकड़ों लोग प्रतिदिन आते हैं. पोदार और मुरारका ने अपनी हवेलियों को संग्रहालय बना लिया. नवलगढ़ में कोई नदी, पर्वत, जैसी कोई चीज नहीं है. पर्यटन विकास के लिए हम लोग प्रयत्नशील है.


Report: Sandeep Kedia