Rajasthan: आपदा प्रबंधन के लिए प्रशासन मुस्तैद,जयपुर डीएम ने तय की विभागों की जिम्मेदारी
Rajasthan: बाढ़ और अतिवृष्टि से निपटने को लेकर जयपुर जिला प्रशासन ने कमर कस ली हैं.संभावित बाढ़ और अतिवृष्टि को लेकर तैयारी के मद्देनजर कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने सभी विभागों को जिम्मेदारी सौंपते हुए अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिए हैं.
Rajasthan: जयपुर जिले में मानसून सीजन से पहले बाढ़ बचाव और नियंत्रण को लेकर सभी जरूरी इंतजाम समय पर पूरे करने को लेकर विभागों के अफसरों को ताकित किया गया हैं.इसके लिए जिला कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने सभी विभागीय अधिकारी अलर्ट मोड पर रहते हुए आपसी समन्वय और समांजस्य से बाढ़ बचाव के कार्यों को करने के निर्देश दिए हैं.
नगर निगम हैरिटेज एवं ग्रेटर क्षेत्र के जलभराव वाले क्षेत्रों को चिन्हित करने के साथ जयपुर शहर और सभी नगरपालिकाओं में नालों-सीवर लाइन की साफ-सफाई के कार्य को मानसून से पहले करने के निर्देश दिए हैं.
उन्होंने कहा कि मानसून सत्र के दौरान पेयजल की लाइन में बरसात का पानी नहीं आए इसके लिये ऐसी लाइनों को भी दुरुस्त करवाया जाए.कलक्टर ने नगर निगम ग्रेटर और हैरिटेज के अधिकारियों को 15 जून से बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित करने के निर्देश दिये.जयपुर विद्युत वितरण निगम के अधिकारियों को मानसून से पूर्ण ढीले तारों को कसने,झुके हुए बिजली के पोलों को सीधा करने,
खुले फीडरों बंद करने,खुले तारों को दुरुस्त करने,जमीन पर स्थित ट्रांसफार्मरों को ऊपर रखने के निर्देश दिये.जिला कलक्टर ने कहा कि नगर निगम हेरिटेज क्षेत्र में जो मकान जर्जर अवस्था में है उन्हें चिन्हित किया जाए और यदि वहां कोई रहवासी है तो उसे सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया जाए.सिंचाई,जल संसाधन विभाग को सभी बांधों,एनीकट की जांच,मरम्मत करने के निर्देश दिए.
ये तैयारियां करने के निर्देश
-बाढ़ नियंत्रण के लिए कलक्टर ने नियुक्त किये शहरी-ग्रामीण क्षेत्र में इन्सीडेन्ट कमाण्डर.
-रोड कट से पहले परमिशन ली जाए, और तुरंत काम पूरा होने के बाद उसे भरा जाए.
-बनीपार्क,घाटगेट, आमेर, मानसरोवर,मालवीय नगर,विश्वकर्मा अग्ननिशमन केंद्र पर बाढ नियंत्रण कक्ष
-आपदा की स्थिति उत्पन्न होने पर नावों-नाव चालकों की उपलबद्धता, गोताखोरों की व्यवस्था, डीजल पम्प सेट उपलब्ध कराए जाएं.
-बाढ़ की स्थिति में रस्से, बल्लियां, खाली कट्टे एवं अन्य बचाव उपकरणों को लेकर भी अधिकारियों से समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा.
-जिन क्षेत्रों में बीते सालों में लोगों के बाढ़ में बहने की घटनाएं हुई है, वहां अभी से दौरा करते हुए चेतावनी बोर्ड लगाने की कार्रवाई समय से पूरी करें, जिससे हादसों को रोका जा सके.
-बाढ़ नियंत्रण कक्ष की स्थापना 15जून तक की जाए, जल भराव की रोकथाम के लिए प्रभावी कार्य योजना बनाने, जल प्रवाह मार्गों की सफाई आदि समय पर की जाए.
-आपदा की स्थिति पैदा होने पर सभी अधिकारी और कर्मचारी अलर्ट मोड पर रहे। मोबाइल चालू रखें, पीड़ित व्यक्ति की सूचना मिले तो त्वरित राहत कार्य शुरू करें.
-नगर निगम को बाढ़ बचाव के लिए मेन पावर, जैसे होम गार्ड, तैराक और गोताखोरों की व्यवस्था रखने के निर्देश दिए.
-नगर निगम, जेडीए, जल संसाधन एवं पीडबल्यूडी को ट्रक, ट्रेक्टर ट्रॉली आदि की व्यवस्था रखने के लिए कहा गया.
-सीएमएचओ को बारिश के दौरान फैलने वाली मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए दवाइयों की उपलब्धता रखने, जीवन रक्षक दवाइयों एवं अतिवृष्टि के समय मोबाइल चिकित्सा व्यवस्था रखने के निर्देश दिए.
-पशुपालन विभाग को पशुओं में फैलने वाली बीमारियों के प्रति सतर्क रहने की बात कही.
-नगर निगम को सड़कों की मरम्मत, नाले और गटर की सफाई समय पर करने की बात कही.
-डीएसओ को पर्याप्त खाद्यान्न आपूर्ति सुनिश्चित करने, संचार तंत्र सुचारू रखने के निर्देश दिए.
टीम मुस्तैदी से तैयार
उधर सर्दी,गर्मी या बारिश कोई भी मौसम हो आपदा कहकर नहीं आती, ये बात तो सभी कहते हैं.जयपुर की सिविल डिफेंस की टीम हर प्रकार की आपदा से लड़ने के लिए मुस्तैद हैं.मानसून के लिए भी इस बार सिविल डिफेंस की टीम मय संसाधनों के साथ तैयार हैं.ओबीएम नाव में सवार ये सिविल डिफेंस की टीम को इंतजार हैं अब फोन की घंटी बजने का.किसी भी तरह की आपदा में नागरिकों की सुरक्षा के लिए जयपुर जिले की नागरिक सुरक्षा की टीम मुस्तैदी से तैयार हैं.
8-8 घंटे की शिफ्ट में अपनी ड्यूटी देगी
85 तरह के बाढ बचाव संसाधनों से लैस सिविल डिफेंस की टीमों ने जिले के पांच अलग अलग लोकेशन पर पूरी तरह से मोर्चा संभाल लिया हैं.सिविल डिफेंस के डिप्टी कंट्रोल अमित शर्मा ने बताया की इस बार बाढ़ बचाव के दौरान 72 वॉलिंटियर की तीन डी-क्यूआरटी टीमें बनाई गई हैं.जो 8-8 घंटे की शिफ्ट में अपनी ड्यूटी देगी.अब तक सिविल डिफेंस की टीम ने 2 हजार से ज्यादा रेस्कयू ऑपेरशन किए हैं.इसमें इंसान ही नहीं, मुसीबत में फंसे पशु भी शामिल हैं.
बड़ी बात तो ये है कि अब जयपुर शहर में किसी तरह की घटना होने पर तुरंत सिविल डिफेंस की टीम मौके पर पहुंच जाती हैं.इतना ही नहीं जयपुर से बाहर बोरवेल में फंसे बच्चों को निकालने में भी जयपुर से सिविल डिफेंस की टीमों को भेजा गया हैं.राज्य सरकार से इनके पास हाई तकनीक के उपकरण उपलब्ध हुए हैं.इन उपकरण से पानी में कितनी भी गहराई में व्यक्ति का शव हो उसे बाहर निकाला जा सकता है.
थर्माकोल से तैयार लाइफ जैकेट
शर्मा ने बताया की खाली बोतल से तैयार लाइफ जैकेट,थर्माकोल से तैयार लाइफ जैकेट, घरेलू उपयोग में आने वाले डेकची से तैयार लाइफ जैकेट,टीना डिब्बे से बनाए गए उपकरण से भी बाढ़ के समय बचा जा सकता है.जयपुर जिले में करीब 1000 सिविल डिफेंस वॉलेंटियर है.एक दिन में 24 सिविल डिफेंस वॉलिंटियर की ड्यूटी रहती है और ड्यूटी रोटेशन में चलती रहती है.टीम के पास रेस्क्यू बोट, एग्जॉस्टर मशीन, स्कूबा डाइविंग, ब्रिडिंग ऑपरेटर सेट,कम्युनिकेशन सिस्टम, मूवेबल टेंट, लाइफ जैकेट, फ्लेक्सिबल स्ट्रेचर, फैब्रिक टेंट, वाटरप्रूफ कवर, जरकिन, सीटहारनेस,टार्च सहित सहित अन्य उपकरण हैं.
कैमरे जरिए तलाशा जा सकता है
उपकरणों के जरिए आग लगने वाली जगह से धुएं को बाहर निकाल सकते हैं.पानी में डूबे व्यक्ति को अंडर वाटर कैमरे जरिए तलाशा जा सकता है.शर्मा ने बताया की कोविड की आपदा हो, त्योहार हो या कानून व्यवस्था संभालने की चुनौती.पुलिस, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के साथ सिविल डिफेंस हर मोर्चे पर डटा रहा हैं.अब मानसून में किसी भी तरह की आपदा से निपटने के भी पूरी तरह से तैयार हैं.
बहरहाल, राजधानी के जिन इलाकों में जरा सी बारिश से ही तालाब बन जाते हैं,वहां आज भी हालात वैसे के वैसे ही हैं.हर साल बारिश तेज होने पर जनता की शिकायतों पर मिट्टी के कट्टे लगाकर कोरी कार्रवाई कर दी जाती है.इन सड़कों का सालों से यही हाल है.जलभराव वाली इन सड़कों पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है.यदि समय रहते आपदा से पहले प्रबंधन के इंतजाम नहीं किए तो राजधानी पानी-पानी नजर आएगी.
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