Bhanwarlal Sharma : राजस्थान की सियासत में भूचाल ला कर भाजपा के भैरों सिंह शेखावत से लेकर कांग्रेस के अशोक गहलोत सरकार तक के चूले हिलाने वाले 7 बार के विधायक भंवरलाल शर्मा ने 77 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया. भंवरलाल शर्मा ने 17 साल की उम्र में सियासत में कदम रखा था. शर्मा ने कभी सरकार को ही चुनौती दी तो कभी संकटमोचक की भूमिका में नजर आए. 


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दरअसल भंवरलाल शर्मा ने एक बार भैरों सिंह शेखावत की सरकार बचाई तो एक बार सरकार पर संकट के बादल भी लेकर आए. इतना ही नहीं बल्कि साल 2020 में राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पर आए संकट में भी भंवरलाल शर्मा की अहम् भूमिका थी. यहां तक कि सियासी संकट के बहुचर्चित ऑडियो कांड में भी शर्मा का नाम था. 


पायलट के साथ की थी बगावत, फिर मारी थी पलटी
साल 2020 के जुलाई महीने में सचिन पायलट के साथ अशोक गहलोत सरकार से बगावत कर मानेसर जाने वाले 19 विधायकों में भंवरलाल शर्मा भी शामिल थे. कहा जाता है कि  भंवरलाल शर्मा की इस बगावत में अहम् भूमिका थी. इसी बीच एक कथित ऑडियो क्लिप भी वायरल हुआ था जिसमें विधायकों की खरीद फरोख्त की बातचीत हुई थी. दावा किया गया था कि उसमें से एक आवाज भंवरलाल शर्मा की थी. इसका मामला ACB में भी दर्ज किया गया था. लेकिन किसी ने भी इसका वॉइस सैंपल नहीं दिया था. 


हालांकि सुलह से पहले भंवरलाल शर्मा ने पायलट खेमे छोड़ कर अशोक गहलोत के गुट में शामिल हो गए थे, जिसके बाद सचिन पायलट को अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली पहुंच कर सुलह करनी पड़ी थी. बाद में कहा जाता है कि भंवरलाल शर्मा गहलोत के समर्थकों में शामिल हो गए थे. 


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बचाई थी भैरों सिंह शेखावत की सरकार
बात 1990 की है जब विधानसभा चुनावों में भाजपा को 85 और जनता दल को 54 सीटें हासिल हुई थी, प्रदेश में भाजपा और जनता दल की गठबंधन सरकार बनी, भैरोंसिंह शेखावत मुख्यमंत्री बने. 23 अक्टूबर 1990 को लालकृष्ण आडवाणी की अयोध्या रथ यात्रा के विरोध में जनता दल के 7 कैबिनेट मंत्रियों सहित कई विधायकों ने खिलाफत करते हुए इस्तीफा दे दिया. जिसके चलते भैरोंसिंह सरकार अल्पमत में आ गई. 5 नवंबर 1990 को दिग्विजय सिंह की अगुवाई में भंवरलाल शर्मा सहित 22 विधायकों ने पार्टी से अलग होकर भाजपा का समर्थन कर दिया और शेखावत सरकार बच गई.


बचाने के बाद संकट में भी डाला
बाबरी विध्वंस के बाद साल 1993 में भैरोंसिंह शेखावत ने राजस्थान में एक बार फिर राजस्थान में सरकार बनाई. साल 1996 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत की तबियत बिगड़ी तो वो इलाज के सिलसिले में अमेरिका चले गए. पीछे से सरकार गिराने की साजिशें तेज हो गई. जिसका मुख्य सूत्रधार शर्मा को कहा जाता है. हालांकि लोकतान्त्रिक रूप से चुनी गई सरकार को गिराने में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं का समर्थन ना होने से सरकार बच गई.


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