Fraud in name of Cryptocurrency: राजस्थान में साइबर ठगी का अब तक का सबसे बड़ा मामला सामने आया हैं. 5 करोड़ रुपये की साइबर ठगी करने वाले आरोपी साहिल अरोड़ा ने अमेरिकन कंपनी की ओर से जयपुर के एक कारोबारी के खाते में ट्रांसफर की गयी क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को फर्जी तरीके से अपने खाते में ट्रांसफर करा लिया.


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वर्चुअल तरीके से पासवर्ड और अन्य जानकारी चुराकर क्रिप्टोकरेंसी की ठगी करने वाले इस आरोपी का खुलासा भी अमेरिकी कंपनी के सहयोग के चलते ही हो पाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अब 5 करोड़ की साइबर ठगी के आरोपी साहिल अरोड़ा को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है.


गुड़गांव निवासी साहिल अरोड़ा पर आरोप है कि उसने साइबर क्राइम करते हुए अमेरिका की टीथर कंपनी से भारत में ट्रांसफर हुई 5 करोड़ की क्रिप्टोकरेंसी को बीच में ही अपने खाते में ट्रांसफर कर लिया. इस मामले का खुलासा तब हुआ जब क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार में शामिल व्यक्ति की शिकायत पर जयपुर ​पुलिस ने अमेरिकी कंपनी से जानकारी मांगी.



जयपुर पुलिस के अनुरोध पर टीथर कंपनी ने मामले को गुप्त रखते हुए जिस वॉलेट में क्रिप्टोकरेंसी ट्रांसफर की गयी थी उसे सीज कर दिया. वॉलेट सीज होने पर आरोपी साहिल अरोड़ा द्वारा अमेरिकी कंपनी से मेल पर संपर्क किया गया. टीथर कंपनी ने इसकी जानकारी तुरंत जयपुर साइबर पुलिस को दी गई. अमेरिकी कंपनी से मिली जानकारी के आधार पर जयपुर की साइबर पुलिस ने कार्रवाई शुरू की. पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए आरोपी ने राजस्थान हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत का आवेदन भी किया.


हाईकोर्ट ने भी खारिज की थी याचिका


क्रिप्टोकरेंसी की ठगी करने वाले आरोपी साहिल अरोड़ा ने पहले राजस्थान हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की थी. राजस्थान हाईकोर्ट ने 29 अप्रैल 2024 को आरोपी की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि आरोपी ने ना तो पुलिस की जांच में सहयोग किया और साथ ही उसने अपने पूर्व अपराध की जानकारी भी अदालत से छुपाई.


हाईकोर्ट के आदेश को दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती


आरोपी साहिल अरोड़ा ने राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत के आवेदन को खारिज करने पर सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान सरकार ने जमानत का विरोध करते हुए अदालत को बताया गया कि आरोपी ने ना तो जांच में सहयोग किया और ना ही अपने पूर्व में दर्ज हुए मुकदमों की सही जानकारी साझा की. जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मिथल की अवकाशकालीन बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया.


सरकार ने कहा-बड़े रैकेट के खुलासे के लिए जरूरी गिरफ्तारी


सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राजस्थान सरकार ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि साहिल अरोड़ा इस अपराध का मुख्य आरोपी है. इस पूरे मामले में बड़े रैकेट का खुलासा करने के लिए आरोपी की गिरफ्तारी बेहद जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि इस मामले में एक से ज्यादा व्यक्ति शामिल हो सकते हैं इसलिए मामले की विस्तृत जांच जरूरी है. साथ ही डिजिटल साक्ष्य बरामद किए जाने आवश्यक है.


ये है मामला


देश में बढ़ती क्रिप्टोकरेंसी की मांग को देखते हुए राजस्थान के एक व्यापारी परिवार ने 5 करोड़ की क्रिप्टोकरेंसी खरीदने की इच्छा जताई. क्रिप्टोकरेंसी के लिए जयपुर के विपुल जैन, संजय और कविता ठाकुर ने क्रिप्टोकरेंसी के व्यवसायी हरकरण से संपर्क किया. हरकरण सिंह ने मध्यस्थ ललित जिंदल के माध्यम से अमेरिका में क्रिप्टोकरेंसी होल्डर जयेशभाई से संपर्क किया.


सौदा तय होने और वॉलेट का पासवर्ड मिलने के बाद विपुल जैन, संजय और कविता ठाकुर ने 5 करोड़ रुपये की राशि हरकरण को दे दी. पैसे देने के बाद भी जब 5 करोड़ रूपए की क्रिप्टोकरेंसी खरीददारों के वॉलेट में ट्रांसफर नहीं हुई तो ​तीनो खरीददारों ने 5 करोड़ की राशि वापस ले ली. जबकि अमेरिकी कंपनी के खाते से 5 करोड़ की क्रिप्टोकरेंसी ट्रांसफर कर दी गयी थी.


बिजनेसमेन हरकरण ने इस मामले में साइबर ठगी को देखते हुए जयपुर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस की प्राथमिक जांच में सामने आया कि अमेरिकी कंपनी द्वारा 6 मई 2023 को परिवादी हरकरण से जुड़े खाते में क्रिप्टोकरेंसी ट्रांसफर कर दी गयी, लेकिन उसके 4 दिन बाद ही वर्चुअल पासवर्ड हासिल कर साहिल अरोड़ा ने 10 मई को अपने द्वारा बनाए एक खाते में इसे ट्रांसफर कर दिया गया.