Jaipur: राजस्थान में भले ही विधानसभा चुनाव अगले साल के आख़िर में हो, लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस और विपक्ष भाजपा चुनावी मोड़ में आ गयी हैं. भाजपा के माउंट आबू में कैम्प के बाद अब कांग्रेस भी राजस्थान में सरकार के काम काज का आकलन करने के लिए चिंतन शिविर करने जा रही है. 21 और 22 जुलाई को जयपुर के ओटीएस सभागार में होने वाले इस चिंतन शिविर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ ही सरकार के तमाम मंत्री और आला ब्यूरोक्रेट्स शामिल होंगे. विधानसभा चुनाव से डेढ़ साल पहले प्रदेश सरकार का यह चिंतन शिविर काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस चिंतन शिविर के जरिए सरकार के सभी मंत्रियों की परफॉर्मेंस भी तैयार करेंगे. इस साल के अंत तक होने वाले मंत्रिमंडल फेरबदल विस्तार में उसी के अनुसार मंत्रियों को ड्रॉप करने और नए चेहरों को मौका देने की कवायद की जा सकेगी.


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दो दिवसीय होगा शिविर


दो दिवसीय चिंतन शिविर में कुल 4 सत्र रखे जाएंगे. इसमें सरकार की बजट घोषणाओं, जन घोषणाओं को रिव्यू करने के साथ ही प्रदेश सरकार की घोषणा और विकास कार्यों पर चिंतन किया जाएगा. हर सत्र के बाद सरकार के मंत्री मीडिया को ब्रीफ भी करेंगे और सत्र में लिए जाने वाले निर्णय की जानकारी भी देंगे. विधानसभा चुनाव से डेढ़ साल पहले प्रदेश सरकार का यह चिंतन शिविर काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.


माना जा रहा है कि इस चिंतन शिविर के जरिए सरकार अपनी पूर्व घोषित योजनाओं और बजट घोषणाओं पर तेजी से अमल करना चाहती है. किस घोषणा पर कितना काम हुआ और वो कब तक पूरी हो जाएगी? इन तमाम विषयों का मंथन इस चिंतन शिविर में होगा. प्रदेश में साल 2023 के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. उससे पहले प्रदेश सरकार चाहती है कि जन घोषणा पत्र में किए गए वादों को धरातल पर उतारने के साथ ही, बजट में की गई घोषणाओं को भी मूर्त रूप दिया जाए. यही कारण है कि सरकार के मंत्री और विभागों के प्रमुख सचिवों के साथ ही आला अधिकारी एक साथ इस चिंतन शिविर में जुटकर प्रदेश के विकास पर मंथन करेंगे.


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