सतीश पूनिया ने सीएम गहलोत को लिखा पत्र, बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में बचाव कार्याों में तेजी लाने की मांग
प्रदेश में बारिश और बाढ़ से बिगड़े हालात को लेकर हर कोई परेशान है. लगातार बारिश की वजह से जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित है. कई जिलों में लोग ऊंची जगह और छतों पर सहारा लिए हुए हैं. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत बचाव कार्य भी चलाए जा रहे हैं.
जयपुर: प्रदेश में बारिश और बाढ़ से बिगड़े हालात को लेकर हर कोई परेशान है. लगातार बारिश की वजह से जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित है. कई जिलों में लोग ऊंची जगह और छतों पर सहारा लिए हुए हैं. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत बचाव कार्य भी चलाए जा रहे हैं. हालांकि, कुछ जगहों से राहत बचाव कार्यों में तेजी लाने की आवाज उठाई जा रही है. इसी कड़ी में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखकर बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में बचाव कार्याों में तेजी लाने की मांग की है. प्रभावितों को भोजन और चिकित्सा के लिए विशेष व्यवस्था के साथ आर्थिक मदद करने का भी आग्रह किया है.
उदयपुर, भरतपुर और कोटा संभाग में बाढ़ के हालात
सतीश पूनिया ने राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों में भारी बारिश से बने हालात पर सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. पूनिया ने अपने पत्र में लिखा कि हाल ही में हुई भारी बारिश के बाद उदयपुर, कोटा और भरतपुर संभाग के कई क्षेत्रों में बाढ़ के हालात बन गए हैं. इन संभागों के कई गांव पूरी तरह पानी से घिरकर टापू बने हैं और खेतों, मकानों में पानी भर गया है. बारां, झालावाड़, कोटा, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, भीलवाड़ा, सवाईमाधोपुर, करौली और धौलपुर इत्यादि जिलों में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं, जहां फसलों को भी काफी नुकसान हुआ है.
खतरे के निशान से ऊपर बह रही चंबल नदी
धौलपुर जिले में चंबल नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, चंबल नदी पर बने पुल का काफी हिस्सा पानी में डूब गया है. उदयपुर जिले में पहाड़ियों के खिसकने से मार्ग अवरूद्ध हो रहे हैं. कोटा, झालावाड़ और बारां जिलों में काफी संख्या में गांवों के जलमग्न की जानकारी मिली है. तेज बारिश व बाढ़़ जैसे हालात से इन जिलों में हजारों लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हैं. पूनिया ने मुख्यमंत्री से आग्रह करते हुए लिखा है कि बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में बचाव कार्यों में तेजी लाई जाए तथा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने, भोजन एवं चिकित्सा सुविधाओं में तेजी लाने के लिए विशेष टीमों का गठन किया जाए. साथ ही इन क्षेत्रों में जान-माल एवं फसलों को हुए नुकसान की भरपाई निश्चित समयावधि में करवाकर प्रभावितों को आर्थिक संबल प्रदान करावें.
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