NDPS मामले में नाम हटाने के लिए चाय की दुकान पर ली घूस, ACB ने थानाधिकारी के रीडर को पकड़ा
एसीबी से मिली जानकारी के मुताबिक NDPS का प्रकरण विश्वकर्मा पुलिस थाने में दर्ज हुआ था. जिसकी जांच चौमूं पुलिस को दी गई थी. इसी मुकदमे में नाम काटने की एवज में रिश्वत की राशि ली गई. फिलहाल दोनों आरोपियों को ACB ने गिरफ्तार कर जांच शुरू कर दी है।
ACB Action : राजस्थान की राजधानी जयपुर की चौमूं पुलिस थाने में देर रात को ACB में बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है. ACB की टीम ने ASP वंदना भाटी के नेतृत्व में कार्रवाई करते हुए थानाधिकारी के रीडर सहित एक दलाल को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है. आरोपी ने एक NDPS के मामले में नाम काटने की एवज में 50 हजार रुपये की मांग की थी.
जिस पर आरोपी ने परिवादी से 10 हजार रुपये सत्यापन के दौरान ही ले लिए थे और बाकि 40 हजार रुपये शाम को ले लिए. 40 हजार रुपये रीडर ने लेकर पास की चाय की दुकान चलाने वाले दलाल रमेश बिजारणियां को दे दिये थे. इधर ACB की टीम ने जाल बिछाकर थानाधिकारी के रीडर सांवर निठारवाल, दलाल रमेश बिजारणियां को रंगे हाथों पकड़ा और गिरफ्तार किया.
एसीबी से मिली जानकारी के मुताबिक NDPS का प्रकरण विश्वकर्मा पुलिस थाने में दर्ज हुआ था. जिसकी जांच चौमूं पुलिस को दी गई थी. इसी मुकदमे में नाम काटने की एवज में रिश्वत की राशि ली गई. फिलहाल दोनों आरोपियों को ACB ने गिरफ्तार कर जांच शुरू कर दी है।
क्या होता है NDPS Act?
नारकोटिक्स ड्रग्स साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट 1985 (NDPS) साल 1985 में भारत की संसद में पारित किया था. देश में किसी भी नशीले पदार्थ की रोकथाम के लिए इसे बनाया गया था. इसमें 1988, 2001 और 2014 में संशोधन हो चुके हैं. सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से आर्यन की गिरफ्तारी तक पिछले कुछ वक्त से लगातार ये दो नाम चर्चा में रहे है एनसीबी और एनडीपीएस. दोनों की नशीले पदार्थों की रोकथाम के लिए बनाये गये हैं एक्ट के तहत आते हैं.
रिपोर्टर- प्रदीप सोनी
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