Jaipur: जयपुर से करीब 45 किलोमीटर दूर जोबनेर पंचायत समिति की डूंगरी कला गांव में 4 माह पहले शुरू हुई, कल्पना चावला पुस्तकालय खोलने की पहल आज कारवां बन गई. भले ही इस गांव के युवाओं ने कंपटीशन एग्जाम फाइट करने के लिए शहरों का रुख किया गया हो, लेकिन अपने गांव की बेटियों को पढ़ाने के लिए उन्होंने अपने ही गांव में एक पुस्तकालय खोल दिया. इसमें सबसे ज्यादा अहम भूमिका सवाई माधोपुर जिला कलेक्टर सुरेश ओला और उनके साथ गांव में ही पढ़ाई करने वाले 120 से ज्यादा सरकारी नौकरी कर रहें साथियों ने निभाई.


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जोबनेर पंचायत समिति की डूंगरी कला गांव में कल्पना चावला पुस्तकालय में आज 64 से ज्यादा बच्चियां किताबें पढ़कर अपना भविष्य तलाश रही है, और इन बच्चियों का हौसला बढ़ा रहें हैं इसी गांव से पढ़-लिखकर अफसर बने युवा. इसी गांव में पढ़े लिखे सवाई माधोपुर कलक्टर सुरेश ओला ग्राम में महिलाओं के अध्ययन और आगे बढ़ने के अवसरों में आने वाली समस्याओं से अच्छी तरह वाकिफ थे, वो चाहते थे कि एक पुस्तकालय गांव में होना चाहिए, जिसमें गांव की महिलाओं-बालिकाओं को अध्ययन और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए संसाधन उपलब्ध हो सके. गांव में राजकीय प्राथमिक विद्यालय का भवन जो एकीकरण के कारण खाली पड़ा था, उसके दो कमरों का की मरम्मत और साफ सफाई रंग रोगन किया गया. आज इन्हीं दो कमरों में गांव की 65 महिला-बालिकाएं कंपीटिशन की तैयारी में जुटी हैं. ओला सवाईमाधोपुर में बालिकाओं के लिए ''भविष्य की उड़ान'' के नाम से जिले में पुस्तकालयों का संचालन भी करवा रहें हैं.



कल्पना चावला पुस्तकालय में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाली बालिकाओं का कहना है कि इस पुस्तकालय से गांव की बालिकाओं और महिलाओं को शहर की तरफ नहीं झांकना पड़ता, लाइब्रेरी में समय-समय पर लेटेस्ट नोट्स उपलब्ध रहते हैं, जिससे पढ़ाई करने में आसानी रहती है. इस पुस्तकालय में बालिकाओं को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए न केवल विभिन्न प्रकार के अखबार, पाठ्यपुस्तकें और गाइडे उपलब्ध करवाई जा रही हैं, बल्कि इसके साथ साथ IAS सुरेश, IRS मेवाराम, डॉ.मुकेश, कस्टम इंस्पेक्टर नेमीचन्द सहित इसी गांव से निकले सरकारी नौकरी कर रहें अफसर और अन्य विशेषज्ञ समय-समय पर लाइब्रेरी में आकर कंपटीशन की तैयारी कर रही महिलाओं और बालिकाओं को टिप्स देते रहते हैं.


ग्राम वासियों ने बताया कि इस गांव से 150 से ज्यादा युवा किसी न किसी क्षेत्र में सरकारी नौकरी लगे हैं, और जब भी वह छुट्टियों में गांव आते हैं तो इसी गांव की बहू-बेटियां जो की कंपटीशन की तैयारी कर रही हैं, उन्हें टिप्स देते हैं. पुस्तकालय का संचालन ग्रामवासियों द्वारा चुनी गई कार्यसमिति के द्वारा किया जा रहा है. वर्तमान में पुस्तकालय में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिये करीब 100 परीक्षा गाइड उपलब्ध हैं और विभिन्न कोचिंग संस्थानों के नोट्स भी उपलब्ध करवाए जा रहें हैं. चंद किताबों और फर्नीचर के सहारे पंचायत भवन में शुरू हुई यह लाइब्रेरी अब सुविधाओं से लैस है. 


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