Jaipur News: जब समुद्र में जिंदगियां डूबने लगे, मौत सामने खड़ी हो और चारों तरफ उम्मीद नहीं दिखती तो समझिए वहां कैसा खौफनाक मंजर रहा होगा. 7 नंवबर को कुछ ऐसा ही वाक्या वंग ताऊ टाउन के दक्षिण-पूर्व में 258 नॉटिकल माइल्स पर फिशिंग बोट पर हुआ, जिसमें 300 से ज्यादा लोग जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे थे, पर राजस्थान के  कैप्टन अनिल चौधरी ने सभी जिंदगियों को सुरक्षित निकालकर वियतनाम पहुंचा दिया. जयपुर के रहने वाले कैप्टन अनिल चौधरी इसी विमान से जापान से सिंगापुर जा रहे थे.


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जयपुर के कप्तान अनिल चौधरी करे रहे थे लीड
हेलिओस लीडर के 25 नाविकों को जयपुर के कप्तान अनिल चौधरी लीड करें थे कप्तान अनिल एनवाएके के लाइन से 20 साल से जुड़े हुए हैं. इस शिफ्ट में सिर्फ 2 भारतीय शामिल थे वन टाउन टाउन के दक्षिण पूर्व में लगभग 258 नॉटिकल माइल्स (470 किलोमीटर)  की दूरी पर नौका में खराबी के कारण उसमें पानी भरने लगा. नौका को किसी भी तरीके से सबसे नजदीकी पोर्ट वियतनाम नहीं पहुंचा जा सकता था. ऐसे में सिंगापुर स्थित मैरिटाइम रेस्क्यू कोआर्डिनेशन सेंटर ने सिंगापुर और वियतनाम से मदद मांगी.



रंगोली ग्रीन्स निवासी कप्तान अनिल चौधरी ने बताया कि दोपहर 3:00 बजे समुंद्र में मिलते ही हम उसकी तरफ शाम 3:35 पर वहां पहुंचे. मौसम खराब होने से सी स्टेट समुद्र की स्थिति 3 मीटर थी. वह शाम आसान नहीं थी बोट में सवार लोग खौफ में थे. लोग उम्मीदें छोड़ चुके थे. 4 घंटे में शिप खाली कर तीन सौ तीन लोगों को हेलिओस लीडर  में लाए. शीप में 24 बच्चे और 19 महिलाएं थी.  24 घंटे चले ऑपरेशन के बाद बुधवार सुबह 10:30 बजे 413 से सभी को वियतनाम से आगे भेजा गया. श्रीलंका के नागरिक जीवन की उम्मीद में कनाडा प्रस्थान कर रहे थे.



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नागौर के रहने वाले हैं जाबांज कैप्टन अनिल चौधरी
कैप्टन अनिल चौधरी बताते है कि उनका जन्म नागौर के परबतसर में हुआ था. वह लंबे समय से जयपुर की रंगोली ग्रीन अपार्टमेंट में परिवार के साथ रहते हैं. उनके पिता सूरजमल चौधरी भी आर्मी में थे. मेजर के पद से रिटायर हुए थे.


आर्मी के कई बड़े ऑपरेशन में पिता शामिल रहे थे. वे खुद हिमाचल में आर्मी स्कूल में पढ़े थे. साल 1994 में उन्होंने मर्चेंट नेवी जॉइन की. इसके बाद 2004 में उन्होंने एनवाईके लाइन को जॉइन किया था. चौधरी को साल 2010 में प्रमोट कर कैप्टन बनाया गया. उनके भाई राजेश चौधरी बिजनेसमैन हैं.