ग्रेटर नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त से अभद्रता का मामला, कोर्ट में दी पार्षदों ने अंडरटेकिंग
याचिकाओं में कहा गया कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ प्रारंभिक जांच के आधार पर की गई न्यायिक जांच में उन्हें दोषी माना गया था. जबकि प्रारंभिक जांच की नियमानुसार नहीं की गई. प्रारंभिक जांच के दौरान उन्हें सुनवाई का मौका नहीं दिया और सिर्फ दो दिन में ही जांच पूरी कर ली गई.
Jaipur: ग्रेटर नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त यज्ञ मित्र सिंह देव से अभद्रता से जुड़े मामले में तीन पार्षदों के मामले में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अंडरटेकिंग दी है. राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने अदालत को कहा कि आगामी सुनवाई तक नगर पालिका अधिनियम की धारा 39(7) के तहत पार्षदों को अयोग्य घोषित करने के लिए अधिसूचना जारी नहीं की जाएगी. इसके साथ ही अदालत ने जवाब पेश करने के लिए राज्य सरकार को 13 अक्टूबर तक का समय दिया है. जस्टिस महेन्द्र गोयल ने यह आदेश अजय सिंह, शंकर शर्मा और पारस जैन की याचिकाओं पर दिए.
याचिकाओं में कहा गया कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ प्रारंभिक जांच के आधार पर की गई न्यायिक जांच में उन्हें दोषी माना गया था. जबकि प्रारंभिक जांच की नियमानुसार नहीं की गई. प्रारंभिक जांच के दौरान उन्हें सुनवाई का मौका नहीं दिया और सिर्फ दो दिन में ही जांच पूरी कर ली गई. इसके अलावा प्रारंभिक जांच राजनीतिक द्वेषता से प्रेरित थी. ऐसे में जब प्रारंभिक जांच ही गलत थी तो उसके आधार पर की गई न्यायिक जांच में भी उन्हें दोषी नहीं माना जा सकता. वहीं राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा गया.
इस पर याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार इस अवधि में नए चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने के साथ ही उन्हें अयोग्य घोषित करने के लिए अधिसूचना भी जारी कर देगी. अदालत के पूछने पर एएजी अनिल मेहता ने कहा कि उन्हें मामले में धारा 39(7) के तहत अधिसूचना जारी करने के संबंध में जानकारी नहीं है. अदालत की ओर से मामले में स्टे देने की मंशा जताने पर एएजी ने कहा कि आगामी सुनवाई तक धारा 39(7) के तहत अयोग्यता को लेकर अधिसूचना जारी नहीं की जाएगी.
Reporter- Mahesh Pareek
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