राजस्थान के 13 जिलों में नहीं बुझ सकी प्यास, लेकिन बन गई फिल्म चंबल की चिट्ठी
केंद्र और राज्य सरकार के सियासत में फंसे ईआरसीपी प्रोजेक्ट अब परदे पर आ गई है. भले ही इस प्रोजेक्ट से 13 जिलों की प्यास नहीं बुझ पा रही हो, लेकिन वोटो की प्यास जरूर बुझ रही है.
केंद्र और राज्य सरकार के सियासत में फंसे ईआरसीपी प्रोजेक्ट अब परदे पर आ गई है. भले ही इस प्रोजेक्ट से 13 जिलों की प्यास नहीं बुझ पा रही हो, लेकिन वोटो की प्यास जरूर बुझ रही है. पानी वाले बाबा के नाम से विख्यात रामनिवास मीणा ने कुछ ऐसे ही सवालों पर चंबल की चिट्ठी डॉक्यूमेंट्री फिल्म को लॉच किया.
सबसे बड़ा राज्य,फिर भी राष्ट्रीय परियोजना नहीं
राजस्थान बहुरंगी प्रदेश है,देश का सबसे बड़ा राज्य है,लेकिन मरूधरा में पानी की उपलब्धता मात्र 1 फीसदी है. 70 प्रतिशत भूभाग डार्क जोन में है. 19 जिलों में तो 100 प्रतिशत ब्लॉक्स डार्क जोन में चले गए. इसलिए राजस्थान के 13 जिलों में ईआरसीपी परियोजना बहुत जरूरी है. केंद्र और राज्य सरकार के सियासत के बीच ये परियोजना फंस चुकी है.
हैरानी की बात तो ये है कि देशभर में 16 राष्ट्रीय परियोजना चल रही है,लेकिन देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान में 1 भी राष्ट्रीय परियोजना नहीं है. बहुरंगी प्रदेश राजस्थान में यदि पूर्वी राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट को पूरा किया जाए तो ये किसी सपने से कम नहीं. पानी वाले बाबा के नाम से विख्यात रामनिवास मीणा कहते है कि ईआरसीपी पर बनी फिल्म चंबल की चिट्टी में भी कुछ इसी तरह की जल क्रांति को दिखाया गया है कि अबकी बार चुनावों में दोनों ही पार्टियों को कहा गया है कि पानी नहीं तो वोट भी नहीं.
इन जिलो को मिलेगा पानी
ईस्टन कैनाल से सवाईमाधोपुर,अजमेर,टोंक,जयपुर,दौसा, झालावाडा,बांरा,कोटा,बूंदी,करौली,अलवर,भरतपुर,धौलपुर के लिए योजना बनाई है. इसके प्रोजेक्ट के जरिए 6 बैराज और 1 बांध बनाया जाएगा. जिसके अंतगर्त कुन्नू बैराज,रामगढ,महलपुर,नवनेरा,मेज,राठौड बैराज के साथ बनास नदी पर सवाईमाधोपुर में डूंगरी बांध बनाए जाएंगे.
बड़े परर्दे पर चंबल की चिट्ठी
चंबल की चिट्टी सरकार तक पहुंचाने के लिए ईआरसीपी का दर्द फिल्म के जरिए जयपुर में बड़े परर्दे पर दर्शाया गया. राजस्थान की 14 प्रतिशत भूमि कृषि योग्य है,जबकि पानी मात्र 1 प्रतिशत. जबकि मरूधरा की 70 प्रतिशत आबादी कृषि और इससे जुडे व्यवसाय से जुडी है. लेकिन करौली का जगर बांध 2 दशक से प्यासा है. 250 गांवों से इस बांध से प्यास बुझा करती थी. ईआरसीपी में भी इस बांध को लिया गया,लेकिन हर बार ये बांध चुनावी मुद्दो की भेंट चढ जाता है. लॉचिंग के दौरान बॉलीवुड एक्ट्रेस युविका चौधरी भी मौजूद रही.
1170 फीट गहराई पर भी पानी नहीं
इधर राजस्थान के गौरव जयपुर के 100 साल से ज्यादा पुराने रामगढ का दर्द भी कुछ ऐसा ही है. 16 साल से रामगढ बांध बिना पानी के वीरान तो किसान भी विरान हो गए. हालात ये हो चले है कि 1170 फीट की गहराई पर भी पानी नहीं. जल पुरूष के नाम से विख्यात राजेंद्र सिंह का कहना है कि इस पूरे मामले पर राजनीति तो हो रही है,लेकिन इसका हल तब ही निकलेगा जब राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को एक मंच पर लाकर बात करवाए.
वोट से नहीं, बल्कि पानी से बुझेगी प्यास
अब राजस्थान के चुनावी मौसम में गर्मी के तीखे तेवर के साथ साथ ईआरसीपी के शोर पर जोर पकड लिया है. अब आने वाले दिनों में ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने को लेकर हर जिले में ट्रैक्टर रैली निकाली जाएगी,ताकि अबके चुनाव पार्टियां वोट से नहीं,बल्कि पानी से भी जनता की प्यास बुझा पाए.
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