गुर्जर-मीणा राजनीति के चाणक्य राजेश पायलट का जन्मदिन आज, अशोक गहलोत को भी आई याद
वो पायलट जो फाइटर जैट से लेकर पॉलिटिक्स तक सब उड़ाते थे. गुर्जर (Gurjar)समाज के अनडिस्प्यूटेड लीडर, जिनकी छत्तीस कौम और सभी बिरादरियां मुरीद थी. राजेश पायलट (Rajesh Pilot) वो नाम जिसके जीवित रहते कोई चुनौती देने वाला नहीं था. गुर्जर-मीणा (Gurjar Meena ) राजनीति को जैसे राजेश पायलट ने डील किया था, ऐसा कोई बिरला ही कर पाता है. आज राजेश पायलट की जयंती है और अशोक गहलोत(Ashok Gehlot) ने उन्हे ट्वीट (tweet) कर श्रद्धांजलि दी है.
Rajesh Pilot Birthday : राजस्थान में विधानसभा चुनाव नजदीक है. एक साल के भी कम वक्त बचा है और कांग्रेस ने अपनी सरकार को रिपीट कराने की कोशिश फिर से शुरु कर दी है. वो बात अलग है कि कांग्रेस में ये कोशिश दो तरफा हो रही है.
सचिन पायलट और अशोक गहलोत गुट अपने अपने स्तर पर चुनावी प्रचार में जुटे हैं. इस बीच सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट को अशोक गहलोत ने उनकी जयंति पर याद किया और श्रद्धांजलि दी.
कहते हैं कि राजेश पायलट का काफिया जब दौसा की सड़कों से गुजरता था, तब लोग पलक पावड़े बिछाए उनका इंतजार करते और उनके नाम के नारे लगाते थे. ऐसा ही कुछ दौसा में इस बार राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा के दौरान देखने को मिल था. जब लोगों ने सचिन पायलट के नाम के नारे लगाये थे. बशर्ते सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच खटास बयानों में दिख रही है. लेकिन राजेश पायलट का नाम आते ही वो खटास दूर हो जाती है.
राजेश पायलट का असल नाम राजेश्वर प्रसाद बिधूरी था. पिता की मृत्यु के बाद राजेश्वर प्रसाद बिधूरी ने दिल्ली के पॉश इलाकों में दूध की सप्लाई करनी शुरु की. मवेशियों को चारा खिलाना, दूध निकालना और फिर इस दूध को बेचने जाना राजेश्वर प्रसाद बिधूरी का रोज का काम था.
राजेश्वर प्रसाद बिधूरी दिल्ली के अंग्रेजी मीडियम म्यूनिसिपल बोर्ड स्कूल में पढ़ते थे. दिल्ली की सर्दी में जब ठंड सहन नहीं होती तो वो कई बार भैंस से चिपक कर सो जाते थे. गरीबी में जिंदगी काट रहे राजेश्वर प्रसाद बिधूरी, खाने के लिए अपने साथी का होमवर्क भी कर देते थे.
बताया जाता है कि राजेश्वर प्रसाद बिधूरी को स्कूल की भागदौड़ प्रतियोगिता से इस लिए बाहर कर दिया गया था. क्योंकि उनके पास जूते नहीं थे. हालांकि बात में प्रिंसिपल से कपड़े भी मिले थे और जूते भी दिये गये थे.
पढ़ाई में होशियार राजेश्वर प्रसाद बिधूरी वायुसेना में स्क्वाड्रन लीडर बन गये. लेकिन गरीबों की मदद के लिए राजनीति में आ गये. पहला चुनाव राजेश्वर प्रसाद बिधूरी ने भरतपुर सीट से लड़ा.
बिधूरी नाम को कोई नहीं जानता था. कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सिर्फ ये मैसेज था कि इंदिरा गांधी ने किसी पायलट को भेजा है. बिधूरी ने कहा कि चाहे नाम गधा लिखवा लो लेकिन चुनाव जितवाओ यहीं से राजेश्वर प्रसाद बिधूरी 2 रुपए के स्टम्प पेपर पर शपथ पत्र के साथ राजेश पायलट हो गये.