Jaipur/Delhi: चंद्र ग्रहण तब होता है, जब केतु के साथ चंद्र की युति हो. जब ही चंद्र ग्रहण लगाता है. भविष्यवक्ता पं. निलेश शास्त्री (Nilesh Shashtri) ने बताया कि सूतक की मान्यता होती है, जब सूतक नहीं लग रहा है तो ग्रहण भी मान्य नहीं होता है.


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ग्रहण के समय सूतक काल को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) जब लगता है तो सूतक काल का आरंभ ग्रहण से 9 घंटे पूर्व आरंभ हो जाता है. वहीं जब सूर्य ग्रहण लगता है तो उसका सूतक का 12 घंटे पूर्व से आरंभ हो जाता है. लेकिन इस चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल मान्य नहीं होगा क्योंकि साल का प्रथम चंद्र ग्रहण उपछाया ग्रहण है. उपछाया ग्रहण होने के कारण सूतक काल का प्रभाव नहीं माना जाता है. इसलिए सूतक काल के नियम प्रभावी नहीं होंगे.


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ऐसा ही इस बार होने जा रहा है, वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन यानी 26 मई बुधवार को उपछाया चंद्र ग्रहण रहेगा. इसके बाद 19 नवम्बर को आंशिक चंद्र ग्रहण रहेगा जो की भारत में अदृश्य रहेगा.


ज्योतिषाचार्य पंडित निलेश शास्त्री से जानें कहां-कहां रहेगा ग्रहण का दृश्य
वर्ष 2021 के पहले चंद्र ग्रहण को पूर्वी, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका में देखा जा सकेगा. इन स्थानों पर इसे पूर्ण ग्रहण माना जाएगा. जबकि भारत में इस चंद्र ग्रहण को उपछाया ग्रहण माना जा रहा है यानी भारत पर इसका कोई असर देखने को नहीं मिलेगा.


सूर्य ग्रहण कब होगा 
पंडित निलेश शास्त्री ने बताया कि पंचाग के अनुसार वर्ष 2021 का 10 जून गुरुवार को आंशिक सूर्य ग्रहण रहेगा. वर्ष 2021 का अंतिम सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर  को रहेगा. इसको भारत में नहीं देखा जाएगा.


ग्रहण के समय क्या करें, क्या नहीं
पं. निलेश शास्त्री के अनुसार, गर्भवती स्त्री बुजुर्ग बच्चे घर में रहें. ग्रहण काल के समय भगवान की प्रार्थना करें. भोजन-शयन स्नान आदि नहीं करें. शांत रहें. मानसिक भजन करें. ग्रहण काल समाप्ति के बाद तीर्थ में स्नान करें. दान करें.