Jaipur : शहर के चौराहों पर भीख मांगते या खिलौने-गुब्बारे बेचते बच्चे अब आपको दिखाई नहीं देंगे. राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग बाल श्रम और बाल भिक्षावृत्ति मुक्ति के लिए 19 जुलाई से अभियान चलाएगा. भिक्षावृत्ति से मुक्त कराने के बाद ऐसे बच्चों का पुनर्वास भी किया जाएगा. बाल श्रम (Child labour) और भिक्षावृत्ति (Beggary) से मुक्ति का यह अभियान जयपुर से शुरू होकर अन्य शहरों में भी शुरू किया जाएगा. आयोग इसमें सभी सम्बंधित विभागों से सहयोग लेगा.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

यह भी पढ़ें- Chomu: बिजली की बढ़ी दरों को लेकर BJP का सरकार पर हमला, लगाया वादे से मुकरने का आरोप


जयपुर को स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद चल रही है, फिर भी सड़कों पर मासूम बच्चों का बचपन बिखरता दिखाई पड़ रहा है. चौराहे पर रेड लाइट पर आपकी कार थोड़ी देर के लिए रुकती है, तब अचानक छोटे-छोटे बच्चे हाथों में कपड़ा लिए गाड़ी साफ करने लगते हैं. या फिर हाथ में गुब्बारे या अन्य कोई खिलौने लेने की गुहार लगाते हुए दिखाई देते हैं. बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर ट्रैफिक के बीच गाडी साफ करने के बहाने पैसा मांगते हैं.


इतना ही नहीं गलियों में या सड़कों पर कचना बीनते बच्चे दिखाई दे जाते हैं. इन मासूमों की बेबसी किसी को नजर नहीं आती है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भूख लाचारी में पिसते बचपन के दर्द को समझा. सीएम गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने 12 जून को बाल श्रम निषेध दिवस पर आयोजित वेबिनार में प्रदेश को बाल श्रम मुक्त बनाने का विजन सभी से साझा किया. इसके बाद आयोग ने बालश्रम भिक्षावृत्ति मुक्ति का अभियान शुरू करने का निर्णय लिया.


राज्य बाल अधिकार आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने अभियान को मूर्तरूप देने के लिए विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक कर सुझाव लिए. अफसर यह तो मानते हैं कि जिन हाथों में कलम होनी चाहिए, वो भीख मांग रहे हैं. बच्चों को भिक्षावृत्ति से मुक्ति दिलाने के लिए तीन चरणों में अभियान चलाया जाएगा. पहले चरण में सर्वे कराकर बाल भिक्षावृत्ति या बाल श्रम में लिप्त बच्चों की पहचान की जाएगी. इसके बाद बच्चों को पुनर्वास किया जाएगा. इसके बाद भी बच्चे वापस भिक्षावृत्ति के दलदल में वापस नहीं जाएं, इसके लिए एक ठोस रणनीति बनानी होगी. यह भी सुझाव आया कि भिखारियों का सर्वे कर उन्हें कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों में जोड़कर रोजगार उपलब्ध करवाए जाएं. इससे उनकी आर्थिक समस्या का समाधान हो सकेगा. 


राज्य बाल आयोग अध्यक्ष बेनीवाल का भ्नी मानना है कि दूसरे राज्यों से आने वाले बाल मजदूरों को लिए राजस्थान डेस्टिनेशन बन गया है. वहीं, दक्षिणी राजस्थान से बच्चे कपास, बीटी कॉटन आदि कार्यों के लिए पलायन करते हैं. इसके लिए हमें अत्यंत जागरूक और सतर्क रहने की आवश्यकता है.


यह भी पढ़ें- खतरे में खाकी! Kota में बजरी माफिया ने पुलिस कांस्टेबल को मारा थप्पड़, Video Viral