चौमूं में शांति देवी के नाम से काटी गई एक ही तिथि में 2 रसीद, जानें पूरा मामला
Chomu News: नगरपालिका चौमूं में भृष्टाचार किस कद्र हो रहा है. इसकी बानगी यह दो रसीद बता रही हैं. नगर पालिका में हो रहे भ्रष्टाचार की बात हर किसी के जुबान पर सुनी जा सकती है. भले ही अवैध निर्माण हो या फिर अवैध थड़िया रखकर किराए पर देने का कारोबार हो .
Chomu News: जयपुर की चौमूं नगरपालिका अक्सर विवादों में रहती है. नगरपालिका में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर भी अक्सर शहर में चर्चा रहती है. इतना ही नहीं अब तो नगरपालिका में हो रहे भ्रष्टाचार का मामला विधानसभा में भी गूंजने लगा है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि नगर पालिका में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है.
नगरपालिका चौमूं में भृष्टाचार किस कद्र हो रहा है. इसकी बानगी यह दो रसीद बता रही हैं. नगर पालिका में हो रहे भ्रष्टाचार की बात हर किसी के जुबान पर सुनी जा सकती है. भले ही अवैध निर्माण हो या फिर अवैध थड़िया रखकर किराए पर देने का कारोबार हो . यहां हर जगह भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार नजर आता है और इस तरह के आरोप बीजेपी नहीं सत्ता पक्ष के पार्षद भी नगरपालिका पर लगा रहे हैं. दरअसल सरकार ने लोगों को राहत देने के लिए निशुल्क पट्टा अभियान चलाया, जिसके तहत लोगों को निशुल्क पट्टा वितरण करना था, लेकिन इस अभियान को भी अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने मिलकर पलीता लगा दिया. इस अभियान में लोगों को पट्टे तो दिए गए, लेकिन पट्टे की एवज में मोटी रकम वसूल की गई. शांति देवी के नाम से एक पट्टे की फाइल पर ₹501 की रसीद नगरपालिका से काटी गई और इसी शांति देवी के नाम पर ₹10,500 की रसीद भी नगरपालिका के नाम से काटी गई. रसीद संख्या दोनों की अलग-अलग है, लेकिन दिनांक एक ही है कुल मिलाकर एक ही दिनांक में एक ही महिला की दो रसीद काट दी गई.
10500 रुपये की रसीद नगर पालिका में कोई रिकॉर्ड नहीं है. इस रसीद को फर्जी बताया जा रहा है. फर्जी रसीद काटकर किसने उगाई की. इस पर कोई कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है. इतना ही नहीं इस पूरे मामले को लेकर अधिशासी अधिकारी जितेंद्र मीणा से भी बातचीत करने की कोशिश की गई, लेकिन मीणा ने भी अपने मुंह पर पट्टी बांध ली और कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुए. आखिर जितेंद्र मीणा की चुप्पी के पीछे क्या कारण है.
फर्जी रसीद काटने के मामले को लेकर बीजेपी ने नगर पालिका प्रशासन पर भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए हैं. उन्होंने नगरपालिका को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है. इतना ही नहीं सत्ता पक्ष के पार्षद भी इस भ्रष्टाचार के खेल को लेकर नगर पालिका के पार्षद बाबूलाल यादव ने कहा कि भ्रष्टाचार का खेल रुक नहीं रहा है. नगरपालिका ने एलईडी लाइट का घोटाला कर दिया. पाइप लाइनों के टेंडर में घोटाला कर दिया. अब एक ही व्यक्ति की दो रसीद काटकर बड़ा घोटाला किया है. मनमर्जी से रसीद छपा कर जनता से उगाई करने का काम किया जा रहा है. अधिशासी अधिकारी जितेंद्र मीणा पर भी बीजेपी पार्षद बाबूलाल ने लिप्त होने के आरोप लगाए हैं. बिना चेयरमैन और अधिशासी अधिकारी की मिलीभगत के इस तरह से फर्जी रसीद काटना असंभव है. सवाल तो यह भी उठता है कि ना जाने इस तरह की कितनी रसीद इस अभियान के तहत फर्जी तरीके से काटी गई होंगी. हालांकि जब इस पूरे मामले की जांच होगी तो तमाम परते भी खुलकर सामने आएंगी.
कांग्रेस पार्षद प्रतिनिधि शैलेंद्र चौधरी ने भी इस पूरे मामले को लेकर जांच कराने की मांग की है. उन्होंने कहा कि अधिशासी अधिकारी जितेंद्र मीणा को इस पूरे मामले की जानकारी होने के बाद भी पुलिस में मुकदमा दर्ज नहीं करवाया जा रहा. अधिशासी अधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है. इधर, भ्रष्टाचार के इस पूरे मामले को लेकर चौमूं विधायक रामलाल शर्मा ने भी विधानसभा में इस मामले को उठाया है. रामलाल शर्मा ने विधानसभा में जमकर सरकार को इस मामले में घेरा. उन्होंने कहा कि नगर पालिका में खुला भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है. विधायक ने इस मामले की जांच करवाने की मांग की है. इतना ही नहीं रामलाल शर्मा ने कहा कि अधिशासी अधिकारी जितेंद्र मीणा की नगर पालिका में नियम विरुद्ध नियुक्ति की गई है. जितेंद्र मीणा कर निर्धारक होने के बावजूद उन्हें अधिशासी अधिकारी के पद पर लगाया गया है. अब देखने वाली बात यह होगी आखिरकार भ्रष्टाचार के इस खेल पर कब पूर्णविराम लगता है और नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी पर कब कार्रवाई होती है.
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