स्मार्ट सिटी जयपुर में सफाई व्यवस्था ठप्प, 8200 सफाईकर्मियों ने किया कार्य बहिष्कार
राजस्थान के 35 लाख आबादी वाले राजधानी जयपुर में 8200 सफाई कर्मचारियों के कार्य बहिष्कार के कारण आज से ना तो झाड़ू निकलेगी, ना ही कचरा उठेगा. सफाई कर्मचारी वार्डों में जाकर हाजिरीगाह पर हाजिरी करेंगे.
Jaipur News: स्मार्ट सिटी जयपुर में आज सुबह से सफाई व्यवस्था ठप हो गई है. स्वच्छता सर्वेक्षण में रैंक हासिल करने के लिए कागजी आंकड़ें बाजी के साथ तमाम जुगत भिड़ाने वाले नगर निगम हैरिटेज और ग्रेटर के क्षेत्र में न झाड़ू लगेगा और न ही कचरा उठेगा. ना ही हूपर कचरा लेने घर पर पहुंचेगा. दरअसल 17 सूत्रीय मांगों को लेकर दोनों नगर निगम के आठ हजार से ज्यादा सफाई कर्मचारियों ने काम बंद कर हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है.
35 लाख आबादी वाले राजधानी जयपुर में 8200 सफाई कर्मचारियों के कार्य बहिष्कार के कारण आज से ना तो झाडू निकलेगी, ना ही कचरा उठेगा. सफाई कर्मचारी वार्डों में जाकर हाजिरीगाह पर हाजिरी करेंगे. प्रदर्शन करेंगे लेकिन काम नहीं करेंगे. और इस हड़ताल असर शहर में देखने को मिलेगा जहां जगह-जगह कचरे के ढेर और बदबू से जयपुराइट्स परेशान होते हुए नजर आएंगे. कारण 17 सूत्रीय मांगों को लेकर संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई श्रमिक संघ की ओर से नगर निगम हैरिटैज और ग्रेटर के सफाईकर्मियों ने हड़ताल पर जाने की ऐलान कर दिया हैं. ऐसे में नगर निगम प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए हैं क्योंकि स्वच्छ सर्वेक्षण-2023 की शुरूआत हो चुकी हैं.
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ऐसे में हड़ताल लंबी चलती हैं और केंद्र से टीम सर्वेक्षण से आएगी तो उसे कचरा ही नजर आएगा और कचरा नजर आया को नंबर भी कटेंगे. संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई श्रमिक संघ के अध्यक्ष नंदकिशोर डंडोरिया ने बताया कि सफाई कर्मचारियों के 4500 रिक्त पदों पर भर्ती, इस भर्ती में 2018 से पहले मस्टर रोल पर लगे कर्मचारियों को प्राथमिकता देने की मांग की गई. साथ ही 1995 से पहले कोई कर्मचारी 45 वर्ष की आयु के बाद गंभीर बीमारी से पीड़ित हो जाता था, तो उसके परिवार के किसी भी आश्रित को नौकरी लगाई जा सकती थी. दूसरे कई राज्यों में अभी भी यह व्यवस्था लागू है. ऐसे में उन्होंने प्रदेश में इस व्यवस्था को दोबारा लागू करने की भी मांग उठाई है. जब तक मांगे नहीं मानी जाएंगी हड़ताल जारी रहेगी.
डंडोरिया ने कहा कि सफाई कर्मचारियों की 17 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन कई बार प्रशासन को दिया जा चुका है. इन मांगों को यूडीएच मंत्री के सामने भी रखा जा चुका है लेकिन अब तक ना तो यूडीएच मंत्री के निर्देश के बावजूद कोई कमेटी बनाई गई और ना ही सफाई कर्मचारियों की किसी भी मांग को निस्तारित किया गया है. इसलिए आंदोलन की राह पर उतरना पड रहा है. जब तक मांगे नहीं मानी जाती हैं हड़ताल जारी रहेगी. उन्होने कहा कि डोर टू डोर कचरा संग्रहण के हूपरों को भी नहीं जाने दिया जाएगा.
सफाई कर्मचारियों के अन्य प्रमुख मांगें
- सफाई कर्मचारियों की भर्ती में वाल्मीकि समाज को शत प्रतिशत आरक्षण दिया जाए.
- नगरीय निकायों के कर्मचारियों का वेतन राज्य निधि कोष से दिया जाए.
- सफाई कर्मचारियों की भर्ती नियमों में संशोधन किया जाए.
- सेवानिवृत्त सफाई कर्मचारियों और मृतक कर्मचारियों के परिजनों को ग्रेच्युएटी, पीएल/पीएफ का भुगतान दिलवाया जाए.
- 2018 की भर्तियों में लगे सफाई कर्मचारियों को मूल पद पर लगाया जाए.
- सफाई कर्मचारियों के आरजीएचएस कार्ड बनवाए जाएं.
क्या कहना है नगर निगम ग्रेटर आयुक्त महेन्द्र सोनी का
उधर नगर निगम ग्रेटर आयुक्त महेन्द्र सोनी का कहना हैं की सफाई कर्मचारियों और निगम प्रशासन के बीच अच्छा कॉर्डिनेशन हैं. उनकी मांगों पर सरकार के स्तर पर विचार हो रहा हैं. ऐसी नौबत नहीं आने दी जाएगी जिसके कारण सफाई कर्मचारियों को हड़ताल पर जाना पड़े. उन्होने कहा कि हड़ताल जैसी जानकारी उनके पास नही हैं. दरअसल जयपुर नगर निगम ग्रेटर और हैरिटेज क्षेत्र में प्रतिदिन 1700 मेट्रिक टन कचरा निकलता है. ऐसे में सफाई कर्मचारियों का कार्य बहिष्कार के बाद भी नगर निगम की ओर से वैकल्पिक इंतजाम नहीं करेगा तो शहरवासियों को बदबू-कचरे के ढेर से ही होकर गुजरना होगा.
बहरहाल, नगर निगम ग्रेटर और हैरिटेज के सफाईकर्मी इस बार आर-पार के मूड में हैं. यदि सफाईकर्मियों की मांगों पर सहमति नहीं बनती है तो तीखे आंदोलन के चलते शहर में सफाई व्यवस्था बिगड़ने से शहर की सूरत बिगड जाएगी. सफाई कर्मियों के हड़ताल के कारण शहर की हालत बद से बदतर होना तय है. स्थिति से निपटने में नगर निगम प्रशासन भी असहाय दिख रहा है.