Rajasthan Politics: केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ दायर मानहानि के मामले में मुख्यमंत्री गहलोत को आरोप मुक्त करने पर दिल्ली की राउज एवेन्यु कोर्ट मंगलवार दोपहर 2 बजे फैसला सुनाएगा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शिकायतकर्ता के रूप में केन्द्रीय मंत्री शेखावत के अदालत में पेश नहीं होने के आधार पर आरोप मुक्त करने को लेकर याचिका दायर की थी.


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इस याचिका पर गहलोत और शेखावत के अधिवक्ताओं की ओर से दी गयी दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने 14 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.



याचिका पर फैसला आज


राउज एवेन्यू कोर्ट के जज हरजीत सिंह जसपाल मंगलवार दोपहर 2 बजे गहलोत की इस याचिका पर फैसला सुनायेंगे. अदालत अगर अशोक गहलोत की याचिका को मंजूर करती है तो गहलोत के लिए ये बड़ी राहत हो सकती है और वे मानहानि के मुकदमें से मुक्त हो जायेंगे. अगर इस मामले में अदालत गहलोत की याचिका को खारिज करती है तो गहलोत के खिलाफ दायर मानहानि का मुकदमा जारी रहेगा और गहलोत को ट्रायल का सामना करना होगा.


वीसी के जरिए होंगे पेश


अदालत द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की इस याचिका पर फैसला सुनाए जाने के दौरान आरोपी के तौर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और शिकायतकर्ता के रूप में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए कोर्ट में पेश होंगे. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को वीसी के जरिए पेश होने के लिए सेशन कोर्ट ने दी गयी अंतरिम राहत को 14 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दिया है.


ये है मामला


केन्द्रीय मंत्री शेखावत की ओर से दायर मानहानि मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने CrPC की धारा 256 के तहत याचिका दायर की थी. इस याचिका के जरिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मानहानि मामले के शिकायतकर्ता केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत के कोर्ट में पेश नहीं होने के आधार पर उन्हें मानहानि के आरोप से मुक्त करने की मांग की है.


गौरतलब है कि CrPC की धारा 256 के तहत किसी भी अपराधिक मामले में शिकायतकर्ता के अदालत में पेश नही होने पर आरोपी द्वारा खुद को आरोप मुक्त करने का अनुरोध किया जा सकता है.


परीक्षण का अधिकार


यह अदालत के विवेक पर निर्भर करता है कि अदालत इस मामले में दी गयी दलीलों के आधार पर क्या फैसला करता है. सीआरपीसी की धारा 256 के तहत पेश की गयी याचिका का अदालत को परीक्षण करने का अधिकार है. याचिका पर सुनवाई के दौरान गहलोत के अधिवक्ता ने दलील पेश की है कि इस केस में सिर्फ वकील और आरोपी के पेश होने से वजह से शिकायतकर्ता यह नहीं कह सकता है कि मामले में आगे बढ़ा जा सकता है.


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