Jaipur : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) को पत्र लिखकर वर्ष 2021 की अनुमानित जनसंख्या के आधार पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (National Food Security Scheme) के लाभार्थियों (beneficiaries) की सीमा का पुनर्निर्धारण करने का अनुरोध किया है. प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में गहलोत ने बताया कि बीते 10 वर्षों में देश के सभी राज्यों की जनसंख्या बढ़ी है और कोविड महामारी (Covid pandemic) के चलते कई परिवार खाद्य सुरक्षा की पात्रता के दायरे में आ गए हैं. ऐसे में जरूरतमंद परिवारों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2021 की अनुमानित जनसंख्या के अनुसार खाद्य सुरक्षा की सीलिंग का पुनर्निर्धारण किया जाना जरूरी है.


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मुख्यमंत्री ने लिखा है कि भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा योजना में राजस्थान में वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर शहरी क्षेत्र में 53 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र में 69 प्रतिशत की सीमा निर्धारित की हुई है. इस सीमा के आधार पर 4 करोड़ 46 लाख लाभार्थियों लिए प्रति माह 2 लाख 30 हजार 882 मीट्रिक टन गेहूं का आवंटन किया जा रहा है. जबकि वर्ष 2011 की जनगणना (2011 census) के बाद बीते 10 वर्षों में देश-प्रदेश की आबादी में काफी इजाफा हुआ है और इन वर्षों में स्वाभाविक रूप से कई परिवार एनएफएसए (NFSAके) पात्र हो गए हैं. कोविड–19 से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण भी कई परिवार एनएफएसए की पात्रता में आ गए हैं. ऐसे में वर्ष 2011 की जनसंख्या  (2021 census) के आधार पर पात्र परिवारों की सीलिंग निश्चित करना तार्किक नहीं है.


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गहलोत ने कहा कि राजस्थान में वर्ष 2021 की अनुमानित जनसंख्या 8 करोड होने की संभावना है. ऐसे में भारत सरकार राज्य में लगभग 74 लाख अतिरिक्त व्यक्तियों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करे. मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के चलते कारण वर्ष 2021 की जनगणना में देरी होने से खाद्य सुरक्षा के दायरे में आने वाले पात्र व्यक्तियों की संख्या के पुनर्निर्धारण (Rescheduling) में भी विलंब होने की आशंका है. उन्होंने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि लाभार्थियों के नाम जोड़े जाने के लिए वर्तमान में बंद की हुई अपीलीय प्रक्रिया को पुनः शुरू कराया जाए


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मुख्यमंत्री ने कहा है कि खाद्य सुरक्षा के तहत प्रदेश के 4.46 करोड़ लाभार्थियों में से 4.15 करोड़ लाभार्थी ही नियमित अनाज ले रहे हैं.  शेष 30 लाख परिवार पूरे साल नहीं बल्कि कुछ महीनें ही अनाज लेते हैं. ऐसे में, लाभार्थियों की चयन सीमा को यदि वितरण सीमा में बदल दिया जाए तो वितरित होने वाले अनाज को 30 लाख लोगों तक पहुंचाया जा सकता है. इस व्यवस्था में राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सीलिंग की सीमा प्रतिमाह 2.32 लाख मेट्रिक टन गेहूं से अधिक का उठाव न हो.