Rajasthan- पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर मुख्यमंत्री गहलोत ने प्रदेश के सभी जिलों में शांति एवं अहिंसा प्रकोष्ठ के कार्यालयों के वर्चुअल उद्घाटन किया.. इस अवसर पर उन्होंने कहा की शांति और अहिंसा हमारी संस्कृति का आधार हैं..शांति और अहिंसा से ही समाज में आपसी प्रेम, सद्भाव और भाईचारा कायम रह सकता है.अशांति, हिंसा और तनाव के वातावरण में विकास संभव नहीं है..


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दुनिया के अनेक देशों के उदाहरण हैं जहां हिंसा से पूरी मानवता पर खतरा पैदा हुआ है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सत्य, शांति, अहिंसा और सत्याग्रह के आधार पर देश को आजादी दिलाने के लिए लंबा संघर्ष किया.गहलोत ने कहा की भारतीय उपमहाद्वीप में शांति स्थापित करने के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी के प्रयासों का भी उल्लेख किया और कहा कि उन्होंने शांति और विकास के लिए अपना जीवन कुर्बान किया.


मुख्यमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि राजीव गांधी का बलिदान दिवस एंटी टेरेरिज्म डे के रूप में मनाया जाता है.इससे देशवासियों को हर प्रकार के खतरे से देश की सुरक्षा करने की प्रेरणा मिलती है..इस अवसर पर उन्होंने हिंसा का विरोध करने और आपसी सद्भाव कायम रखने की शपथ दिलाई..गहलोत ने कहा की राजस्थान देश का एकमात्र राज्य है जहां शांति और अहिंसा विभाग का गठन किया गया है.



इसके साथ ही, ब्लॉक स्तर पर इस विभाग के द्वारा लोगों को इस संबंध में प्रशिक्षित भी किया गया है.जयपुर में बन रहा गांधी संग्रहालय भी अपनी तरह का विशिष्ट संग्रहालय होगा...जिससे लोगों को महात्मा गांधी के जीवन और उनके कार्यों को जानने का अवसर मिलेगा...इस दौरान मुख्यमंत्री ने पाली जिले के कलक्टर कार्यालय में पंचधातु से निर्मित प्रतिमा का अनावरण भी किया.मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2022 में शान्ति और अहिंसा विभाग की स्थापना की..


इसका उद्देश्य गांव-ढाणी और प्रत्येक प्रदेशवासी तक शांति और अहिंसा की भावना विकसित करना है.प्रदेश में विभाग के माध्यम से राज्य स्तर, सम्भाग स्तर और जिला स्तर पर महात्मा गांधी के जीवन दर्शन पर आधारित प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जाता है..इन प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से दूरदराज गांवों तक के हजारों युवा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन आदर्शों के साथ-साथ शांति और अहिंसा के महत्व को आत्मसात कर रहे हैं.