अब JCTSL चेयरमैन की कुर्सी को लेकर छिड़ा विवाद! ग्रेटर और हैरिटेज निगम की मेयर ने की दावेदारी
जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड (JCTSL) चेयरमैन की कुर्सी को लेकर दो शहरी सरकार की मुखिया आमने-सामने हो गई हैं. राज्य सरकार के सामने संकट यह है कि दोनों में से एक नगर निगम में कांग्रेस का और दूसरी में भाजपा का बोर्ड है.
जयपुर: नगर निगम हैरिटेज में वर्किंग कमेटियों के गठन का मामला अभी तक सुलझा नहीं कि अब जेसीटीएसएल चेयरमैन को लेकर हैरिटेज और ग्रेटर मेयर ने दावेदारी कर आमने-सामने हो गई हैं. राजधानी में दो नगर निगम बनाने के बाद राज्य सरकार के सामने जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड (जेसीटीएसएल) के चेयरमैन को लेकर पेच फंस गया है.
सरकार दो साल बाद भी तय नहीं कर पा रही है कि दोनों मेयर में से जेसीटीएसएल का चेयरमैन किसे नियुक्त करे? इससे बचने के लिए सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अजिताभ शर्मा को एमडी के साथ चेयरमैन बना रखा है, जबकि इससे पहले तत्कालीन मेयर अशोक लाहोटी, निर्मल नाहटा, विष्णु लाटा जेसीटीएसएल के चेयरमैन रह चुके हैं.इनसे पहले रोडवेज का सीएमडी ही जेसीटीएसएल का चेयरमैन होता था.
राज्य सरकार के सामने संकट यह है कि दोनों में से एक नगर निगम में कांग्रेस का और दूसरी में भाजपा का बोर्ड है. हेरिटेज निगम की मेयर मुनेश गुर्जर को जेसीटीएसएल की चेयरमैन बनाने पर ग्रेटर निगम की मेयर डॉ.सौम्या विवाद खड़ा कर सकती हैं. ऐसे में सरकार ने मौन साधा हुआ है, जबकि नगर निगम के चुनाव हुए दो साल से अधिक समय हो चुका है.
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ग्रेटर मेयर को चेयरमैन बनाने का रखा प्रस्ताव
इसी विवाद से बचने के लिए राज्य सरकार ने 1996 बैच के आईएएस अधिकारी अजिताभ शर्मा को जेसीटीएसएल एमडी के साथ चैयरमैन की जिम्मेदारी सौंप दी हैं..कल नगर निगम ग्रेटर की कार्यकारी समिति की बैठक में नगर निगम ग्रेटर मेयर को चेयरमैन बनाने के लिए प्रस्ताव रखा गया और उसे सरकार के पास भिजवाने के लिए चर्चा की गई. ग्रेटर मेयर के इस कदम के बाद अब हेरिटेज मेयर मुनेश गुर्जर ने चेयरमैन बनाने के लिए अपनी दावेदारी जताते हुए जल्द प्रस्ताव सरकार को भिजवाने की बात कही है.
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हम अपनी दावेदारी पेश करेंगे-मुनेश गुर्जर
नगर निगम ग्रेटर में कार्यकारी समिति की बैठक के बाद सौम्या गुर्जर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जेसीटीएसएल में चेयरमैन के पद के लिए हम सरकार को प्रस्ताव भिजवाएंगे. क्योंकि नगर निगम ग्रेटर का एरिया हेरिटेज से ढाई गुना बड़ा है. ग्रेटर एरिया में बसों का संचालन भी सबसे ज्यादा होता है.इसलिए मेरा मानना है कि चेयरमैन में ग्रेटर नगर निगम से ही बनना चाहिए.
उधर हेरिटेज मेयर मुनेश गुर्जर का कहना है कि लोगों का सबसे ज्यादा आवागमन जो है वह हमारे एरिया से होता है. पुराना जयपुर है वह पूरे विश्व में जाना जाता है और सबसे ज्यादा ट्यूरिस्ट भी हेरिटेज एरिया में ही आते है. इसलिए हम अपनी दावेदारी पेश करेंगे और फिर जैसा आलाकमान को मंजूर होगा वैसा ही हमे मंजूर होगा.
जेसीटीएसएल टोडी, सांगानेर और बगराना डिपो से रोजाना 284 बसों का संचालन कर रही है..जिसमें से 124 मिडी बसें हैं.इसमें से 150 से अधिक बसों का संचालन ग्रेटर नगर निगम में हो रहा है जबकि बाकी बसें हेरिटेज निगम में चल रही हैं. इसकी वजह है ग्रेटर का क्षेत्रफल और आबादी दोनों ही ज्यादा है.ग्रेटर में 150 जबकि हेरिटेज में 100 पार्षद हैं. हेरिटेज निगम का दायरा कम है इसलिए वहां बसों का संचालन कम है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जेसीटीएसएल कंपनी का गठन किया था
दरअसल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जब दूसरा कार्यकाल था तब राज्य सरकार ने ही जयपुर शहर में लो-फ्लोर बसों के संचालन के लिए जेसीटीएसएल कंपनी का गठन किया था. इस कंपनी में जेडीए, रोडवेज, नगर निगम को बोर्ड ऑफ मेम्बर बनाया गया.जबकि इस कंपनी का चेयरमैन नगर निगम मेयर को बनाया गया.चूंकि अब जयपुर में दो नगर निगम हो गए तो इसको लेकर विवाद चल रहा है कि किस मेयर को कंपनी का चेयरमैन बनाया जाए.इसको देखते हुए राज्य सरकार ने फिलहाल आईएएस अधिकारी को यहां चेयरमैन बना रखा है.
ये है जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड (JCTSL) का गणित
कुल बसों की संख्या-284
इनमें से मिडी बसों की संख्या-124
प्रतिदिन यात्रीभार-1.80 लाख से 1.90 लाख के करीब
यात्रीभार से प्रतिदिन जेसीटीएसल को आय-30 लाख
100 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद को मंजूरी
300 इलेक्ट्रिक बसों की ओर खरीद का प्रपोजल सरकार को भेजा
विवादों से बचना चाह रही सरकार
बहरहाल, जयपुर शहरी ट्रांसपोर्ट लाइफ लाइन कहे जाने वाली जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड के चेयरमैन कौन होगा, नाम तय करने में दो साल से ज्यादा का समय बीत गया हैं, लेकिन अभी तक दोनों शहरी सरकार की मुखिया में से एक का भी नाम तय नहीं हो पाया हैं. कारण साफ है किसी एक का नाम तय करने से विवाद हो सकता है और सरकार फिलहाल इस विवाद से बचना चाहती है, लेकिन इसका खामियाजा खुद जेसीटीएसएल को ही भुगतना पड़ रहा है. चाहे कर्मचारियों के स्थायीकरण का प्रकरण हो या नई बसों की खरीद का. जेसीटीएसएल में वरिष्ठ आईएएस को एमडी और चेयरमैन बनाने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ हैं.राजनेता निर्णय लेने में स्वतंत्र होता हैं जबकि अफसरों पर दबाव रहता है.ऐसे में अधिक एजेंडे बोर्ड में रखे ही नहीं जाते अथवा खारिज हो जाते हैं.