IPS Dinesh MN : राजस्थान में इन दिनों पुलिस ने एक बड़ा ऑपरेशन चला रखा है. 26 मार्च को एक ही दिन में 8 हजार से ज्यादा पुलिस जवानों को एक साथ फील्ड में उतारा गया. 12 घंटों के भीतर 2 हजार 51 पुलिस जवानों को दबौचा गया. इसमें कोटा रेंज, जयपुर रेंज और चूरू जिले में ऑपरेशन चलाया गया. ये पूरा ऑपरेशन एडीजी क्राइम दिनेश एमएन की देखरेख में चल रहा है. दिनेश एमएन इससे पहले जब एसीबी में थे. तो भ्रष्टाचारियों के लिए काल बन गए थे. राजस्थान के हर हिस्से में आए दिन रिश्वतखोरों पर नकेल कसी जा रही थी. कलेक्टर से लेकर एसपी जैसे बड़े अधिकारियों पर भी हाथ डाला गया.


कौन है दिनेश एमएन


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दिनेश एमएन आज के समय में राजस्थान में युवाओं के रोल मॉडल बन गए है. सिंघम की छवि बन गई है. हालांकि वो मीडिया बयानबाजी से ज्यादातर दूरी बनाए रखते है लेकिन पिछले 7-8 सालों में राजस्थान में कई बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया है. आनंदपाल एनकाउंटर के समय एसओजी टीम ने दिनेश एमएन के नेतृत्व में ही पूरी कार्रवाई को अंजाम दिया था. कन्हैयालाल हत्याकांड के बाद उदयपुर में हालात बिगड़े तो उसे संभालने के लिए भी राजस्थान सरकार ने इनको ही वहां भेजा.


अपराध और भ्रष्टाचार, ये दो बड़े मुद्दे है. दिनेश एमएन को जब एसीबी के एडीजी की जिम्मेदारी दी गई तो राजस्थान में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहीम ने सबसे ज्यादा रफ्तार पकड़ी. अलवर के थानागाजी से विधायक कांतिलाल मीणा के बेटों को रिश्वत मामले में पकड़ना हो. अलवर कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया और बारां में पेट्रोल पंप एनओसी के मामले में रिश्वत लेने वाले कलेक्टर राव इंद्रजीत हो. एएसपी दिव्या मित्तल का करोड़ों में खेला जाने वाला रिश्वत का खेल हो. दिनेश MN के ACB में जिम्मेदारी संभालने के बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई हुई. 


दिनेश एमएन की जीवनी


इनका जन्म 6 सितंबर 1971 को कर्नाटक के मुंगनहल्ली में हुआ. 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी की पहचान एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में है. उनके सरनेम में गांव और पिता दोनों का नाम है. दिनेश एमएन का पूरा नाम - दिनेश, M से गांव का नाम मुनागनाहल्ली और N से पिता का नाम नारायण स्वामी है. पत्नी जयपुर के ही एक कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर है.


दौसा में पहली पोस्टिंग


राजस्थान में दिनेश एमएन को पहली पोस्टिंग दौसा एएसपी के रूप में मिली. उसके बाद जयपुर के गांधीनगर में इसी पद को संभाला. मई 2000 से अगले दो साल तक करौली के एसपी रहे. यहां एसपी रहते हुए कुख्यात डकैतों के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन चलाया. कामयाबी भी मिली. दो साल बाद सवाई माधोपुर तबादला हो गया. वहां 6 महीने रहने के बाद झुंझुनूं का एसपी बनाया गया. एक साल बाद उदयपुर के एसपी बने.


उदयपुर एसपी रहते हुई जेल


उदयपुर के एसपी रहते समय ही गुजरात पुलिस के साथ ज्वाइंट ऑपरेशन में हिस्ट्रीशीटर शोहराबुद्दीन शेख मारा गया था. इसमें फर्जी एनकाउंटर का आरोप भी लगा. इसी मामले में एसपी दिनेश एमएन को भी 7 साल की जेल हुई. 2014 में जेल से रिहा हुए. इसके तीन साल बाद वसुंधरा राजे सरकार के समय सर्विस बहाल हुई. जुलाई 2016 में SOG का आईजी बनाया गया. उनके नेतृत्व में ही चूरू के मालासर गांव में आनंदपाल सिंह का एनकाउंटर हुआ.


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वसुंधरा राजे सरकार में आनंदपाल एनकाउंटर पूरे राजस्थान में सबसे ज्यादा चर्चित रहा था. कुछ समय बाद बीकानेर का आईजी बनाया गया. अशोक गहलोत सरकार बनने के बाद उनके एसीबी में आईजी की जिम्मेदारी दी गई. फरवरी 2020 में प्रमोट कर एसीबी का एडीजी बनाया और एक साल बाद फरवरी 2023 में एडीजी क्राइम की जिम्मेदारी दी गई.