Jaipur: राजस्थान विश्वविद्यालय में अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सेवानिवृत्त कर्मचारियों द्वारा धरना दिया जा रहा है. 30 मई को कुलपति सचिवालय के बाहर शुरू किए गए इस धरने में सेवानिवृत्त मृतक कर्मचारी जगदीश मीणा के 50 लाख रुपये मुआवजे साथ ही परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग है. वहीं, अप्रैल और मई के दौरान सेवानिवृत्त हुए करीब 11 कर्मचारियों की रिकवरी वापस करने की मांग को लेकर धरना दिया जा रहा है. सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने चेतावनी दी है की जब तक उनकी दोनों मांग पूरी नहीं होगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा.


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गौरतलब है कि राजस्थान विश्व विद्यालय में अप्रैल और मई महीने में करीब 11 कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए हैं, लेकिन राविवि प्रशासन द्वारा नियमों का हवाला देते हुए इन कर्मचारियों की करीब 3 लाख से 6 लाख रुपये तक की रिकवरी निकालते हुए इनको मिलने वाली राशि काट ली है. जबकि कर्मचारियों का आरोप है कि साल 2016 में वित्त विभाग द्वारा जारी आदेशों के अनुरूप किसी भी कर्मचारी की रिकवरी नहीं की जा सकती है, लेकिन राविवि प्रशासन द्वारा मनमानी करते हुए मिलने वाले लाभों में 3 लाख से 6 लाख रुपये तक काट लिए गए हैं.


सेवानिवृत्त कर्मचारी संगठन नेता मोहम्मद मुस्तफा ने बताया कि "राविवि प्रशासन द्वारा कर्मचारियों को लगातार परेशान करने का काम किया जा रहा है. जगदीश मीणा को सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले लाभ समय पर नहीं मिले जिसके चलते उसका समय पर इलाज नहीं हो पाया और उसका निधन हो गया. ऐसे में राविवि प्रशासन द्वारा मृतक आश्रितों को 50 लाख रुपये हर्जाना और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए. साथ ही अप्रैल और मई महीने में जो कर्मचारी रिटायर्ड हुए हैं उनकी रिकवरी आदेश को वापस लेते हुए उनकी काटी गई राशि फिर से लौटाई जाए."


30 अप्रैल 2022 को सेवानिवृत्त हुए एनपी सक्सेना का कहना है कि "मुझे एक महीने तक कोई भुगतान नहीं किया, लेकिन 31 मई को रात्रि के समय कार्यालय खोलकर रि-फिक्सेशन के नाम पर मेरे 4 लाख रुपये से ज्यादा काट लिया गया. मेरी 57 हजार 800 रुपये बेसिक थी, लेकिन रि-फिक्सेशन के नाम पर मेरा बेसिक 55 हजार 500 रुपये कर दिया गया और मुझे मिलने वाली राशि काट ली गई. 8 दिन से धरना दे रहे हैं. कोई सुनवाई नहीं हो रही है, जिसके बाद अब न्यायालय की शरण लेने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है."


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