Rajasthan News: राजस्थान में डेंगू के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है और इससे जुड़े गंभीर स्वास्थ्य खतरों को नज़र अंदाज किया जा रहा है. 12 सितंबर तक राज्य के 50 जिलों में कुल 2492 डेंगू के मरीज रिपोर्ट किए गए थे. जो 27 सितंबर तक बढ़कर 4227 तक पहुंच गए हैं. यानी 18 दिनों में 1735 नए मामले दर्ज किए गए हैं.


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इन मामलों में पाली और दौसा जिलों में एक-एक मौत के मामले सामने आए हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि प्रशासन की ओर से डेंगू से किसी भी मौत को आधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं किया गया है, जो चिंता का विषय है.



SMS अस्पताल के विशेषज्ञ डॉ. सुनील महावर ने बताया कि इस समय सबसे बड़ी समस्या यह है कि ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टर डेंगू के मरीजों को गलत उपचार दे रहे हैं. वे मरीजों को डिस्प्रिन, कॉम्बिफ्लेम, एस्पिरिन, ब्रुफेन और एंटीबायोटिक दवाएं दे रहे हैं, जो डेंगू के मरीजों के लिए बेहद हानिकारक हैं. 



डेंगू के दौरान प्लेटलेट्स की संख्या कम होने लगती है और इन दवाओं के सेवन से ब्लीडिंग का खतरा और बढ़ जाता है. मरीजों की हालत बिगड़ने पर उन्हें राजधानी के SMS अस्पताल और अन्य बड़े चिकित्सा केंद्रों में रेफर किया जा रहा है. डॉ. महावर का कहना है कि इन झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा दी जा रही दवाएं मरीजों की स्थिति को और खराब कर रही हैं, जिससे उनकी जान पर बन आती है.



केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार जांच जरूरी



डेंगू के परीक्षण के लिए 3 प्रकार की जांच की जाती है. इनमें रैपिड टेस्ट, एंटीजन ब्लड टेस्ट और एलाइजा टेस्ट शामिल हैं. केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, अगर एंटीजन या रैपिड टेस्ट में मरीज पॉजिटिव आता है, तो एलाइजा टेस्ट कराना जरूरी होता है. रैपिड और एंटीजन टेस्ट के परिणामों की पुष्टि के लिए एलाइजा टेस्ट अधिक सटीक माना जाता है, और यह सुनिश्चित करता है कि मरीज को सही उपचार मिले. इन सभी जांचों की रिपोर्ट राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम (एनएमसी) को भेजी जा रही है, ताकि डेंगू के प्रसार और उसके प्रबंधन की निगरानी की जा सके.



जागरूकता अभियान के साथ फॉगिंग


जयपुर जोन के संयुक्त निदेशक डॉ. नरोत्तम शर्मा ने जानकारी दी कि डेंगू की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार ने भी विभिन्न कदम उठाए हैं. सार्वजनिक जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं और लोगों से अपील की जा रही है कि वे झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज न कराएं और केवल प्रशिक्षित चिकित्सकों से ही उपचार लें.  इसके अलावा, मच्छर जनित रोगों की रोकथाम के लिए सरकार द्वारा फॉगिंग और अन्य उपाय भी किए जा रहे हैं, ताकि डेंगू के प्रसार को रोका जा सके.


वहीं राजधानी जयपुर में डेंगू बेकाबू होता नजर आ रहा है. मरीजों की संख्या 800 पार कर गई है. अस्पतालों में मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहे हैं. जगतपुरा में सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं. जगतपुरा में 46,शास्त्री नगर में 43, प्रतापनगर में 38, चारदीवारी में 41, मालवीय नगर में 36, झोटवाड़ा में 40 और वैशाली नगर से 38 मामले सामने आ चुके हैं.


राजस्थान में डेंगू के कहां कितने मामले सामने आए?



इसके अलावा उदयपुर में 532 मामले सामने आए


बीकानेर में 313 मामले सामने आए


दौसा में 198 मामले सामने आए


कोटा में 173 मामले सामने आए


अलवर में 125 मामले सामने आए


 अजमेर में 114 मामले आए सामने


डेंगू से बचाव के उपाय


-मच्छरदानी लगाकर सोएं.
-हाथ-पैर पर कपूर का तेल लगाकर सोएं.
-अपने आस-पास के इलाके में पानी ने जमा होने दें.
-डेंगू के लक्षण पाने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें.