Dharm : हिंदू धर्म में गुप्तदान को विशेष महत्व दिया गया है. गु्प्तदान यानि जिसके बारे में किसी को बताया नहीं जाए. ये दान इतना गुप्त होना चाहिए कि पति जो दान करें वो पत्नी को ज्ञात ना हो और पत्नी जो दान करें वो पति को ज्ञात ना हो, तभी इसका फल मिलता है


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शास्त्रो में गुप्तदान को महादान की संज्ञा दी गयी है, जब ये दान किया जाता है तो आपके पुण्य कर्मों में दोगुनी बढ़ोत्तरी होती है. गुप्तदान के बारे में किसी को नहीं बताया जाता वरना इसका फल नहीं मिलता है. इसलिए ये महादान कहलाता है. जिसे करने पर भी अंहकार हावी नहीं होता है.



हिंदू धर्म में कर्मों के फल के अनुसार स्वर्ग-नरक और मोक्ष की प्राप्ति होती हैं, ऐसे में गुप्तदान मोक्ष या स्वर्ग प्राप्ति का कारक बन जाता है. आमतौर पर दान देने के बाद लोग इसकी चर्चा करते हैं और अपना ही गुणगान करते हैं, ऐसा करने पर दान का महत्व और फल दोनों ही खत्म हो जाते हैं.


दान ऐसा होना चाहिए तो किसी को पता ना हो और जरूरतमंद की मदद हो जाए.दान के साथ अगर अंहकार हावी हो जाएं तो ये दान पाप समान है शास्त्रों में कुछ विशेष प्रकार के दान के बारे में बताया गया है जो शुभ फलों की प्राप्ति करा देते हैं. चलिए आपको बताते हैं - 


कन्यादान
पिता द्वारा बेटी के विवाह के समय किया गया कन्यादान महादान कहलाता है. लेकिन अगर किसी घर में बेटी नहीं है तो किसी जरूरतमंद कन्या का विवाह करा कर ये पुण्य कमाया जा सकता है.



जल और खाना- अगर पानी का दान किया जाए तो ये भी महादान की श्रेणी में ही आता है.ऐसे रास्तों या जगहों पर जहां पानी की कमी हो पानी की व्यवस्था कराना महादान है. वहीं किसी भूखे को खाना खिलाना भी महादान कहलाता है. इसलिए लोग अक्सर भंडारे का आयोजन करते हैं.


गुड़-फल
शास्त्रों में गुड़ का दान भी शुभ बताया गया है, जिसको करने से सुख समृद्धि का वास आपके घर में होगा. फलदान को भी शास्त्रों में विशेष स्थान हासिल है, किसी जरूरतमंद या बीमार को किया गया फलदान पुण्य कमाने का अच्छा तरीका है.


गौदान और विद्यादान
किसी गरीब ब्राह्मण को किया गया गौदान भी बहुत शुभ माना जाता है. किसी को पढ़ाना या फिर किसी गरीब के लिए इसकी व्यवस्था करना एक बड़ा महादान कहलाता है.