Jaipur news:  दिपावली पर देश भर में आतिशबाजी का माहौल देखने को मिलता है. वहीं राजस्थान का जयपुर आतिशबाजी के लिए  दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं. दिवाली पर जयपुर का नाजारा अलग ही देखने को मिलता है. जैयपुर में तैयार पटाखो की अलग ही पहचान है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

आतिशबाजी का प्रचलन आज से ही नहीं बलकी राजा-महाराजाओं के समय से होती आ रही है. शोरगर जयपुर के राजा- महराजा के परिवार के लिए  पटाखे बनाने के लिए सबसे ज्यादा फेमस है. आज के समय में भी  राजपरिवार में दिवाली पर आतिशबाजी की परम्परा  सदियों से चली आ रही है.


शोरगर सदियों से राजा महराजाओं के लिए आतिशबाजी के लिए पटाखे बनाते आ रहे हैं . शोरा यानी सोडियम जो पटाखें बनाने में काम आता है. इसीसे इनका नाम राजा महाराजाओं ने ‘शोरगर’ रख दिया तब से ये इसी नाम से फेमस हैं.


अनोखे हुनर ने शोरगरों को दिलाई पहचान 
शोरगर परिवार ने सालों से पटाखे बनाने का काम करते आ रहे हैं. इन्होंने यह हुनर अफगानिस्तान से सीखा है. राजा मानसिंह ने इन्हें जयपुर के आमेर में बसाया और रजवाड़ों के सरंक्षण  के लिए हुनर को सराहा और तब से आज तक ये राजपरिवारों के लिए पटाखे बनाने का काम करते है.


हजारों परिवार पटाखे बनाने का काम करता है 
पूरे जयपुर में 1500 से ज्यादा और राजस्थान में 5 हजार से ज्यादा शोरगार परिवार पटाखे बनाने का काम कर रहें है. इनका एम. एन. फायर वर्क्स नाम से हवाा महल में इन्ही मे से एक  दुकान है. यहां आतिशबाजी के लिए फैंसी  पटाखे हमेशा तैयार मिलते हैं. इनके पास आतिशबाजी के लिए कई प्रकार के पटाखे उपलब्ध हैं.


 विशेष रुप से राजपरिवार के लिए  पटाखे
शोरगर वालों का कहना है कि दिवाली सेलिब्रेशन करने का विशेष मौका जयपुरवासीयों को हम हर वर्ष देते हैं.जयपुर के शोरगर पटाखे की डिमांड पूरे देश में है, यहां तक दूर-दूर से लोग पटाखे खरीदने आते हैं लेकिन यहां विशेष रुप से राजपरिवार के लिए आतिशबाजी के पटाखे तैयार किए जाते हैं.


इसे भी पढ़ें: जयपुर में मिलावट के खिलाफ विशेष अभियान, दूध विक्रेताओं से लिए 42 सेम्पल लिए