इस मुहूर्त में करें लक्ष्मी पूजन, घर में होगी धन की बरसात, जयपुर में तैयारियां पूरी
शुभ मुहूर्त पर सुख समृद्धि के प्रतीक गणेश-लक्ष्मी और कुबेर की पूजा के साथ शहर में शुरू हुआ दीपावली का धूम-धड़ाका देर रात तक चलता रहेगा.
Jaipur: दीपों का त्योहार दीपावली पर गुलाबी नगरी की धरा पर चांद-सितारे उतर आए हैं. हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार दीपावली बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. पूरा शहर रोशनी से जगमग हो उठा है. घर-घर दीप जलाकर माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाएगी. वहीं, दियों की रोशनी से अमावस्या की रात रोशन होगी.
शुभ मुहूर्त पर सुख समृद्धि के प्रतीक गणेश-लक्ष्मी और कुबेर की पूजा के साथ शहर में शुरू हुआ दीपावली का धूम-धड़ाका देर रात तक चलता रहेगा. शहर में पूजा के मंत्रों के स्वर गूंजेंगे. दीपमालाओं से पूरा शहर जगमग हो चुका है.
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व्यापारी बही पूजन कर व्यापार में समृद्धि की कामना करेंगे तो घरों में पूजन कर परिवार की खुशहाली मांगी जा रही है. बच्चे जहां बड़े-बुजर्गों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद ले रहे हैं तो वहीं लोग गले मिलकर और मुंह मीठा कराकर एक-दूसरे को शुभकामनाएं दे रहे हैं. चहुं ओर रोशनी से शहर जगमग होगा. उल्लास के बीच पर्व की खुशी अलग ही शहरवासियों के चेहरे पर नजर आएगी. महिलाएं घरों में मांडने मांडेगी और लक्ष्मी के स्वागत के लिए घरों को फूल मालाओं से सजाया जाएगा. घरों और प्रतिष्ठानों में लक्ष्मी का पूजन होगा. घर-घर धन की देवी लक्ष्मी जी का स्वागत सत्कार किया जाएगा. धनलक्ष्मी के साथ सुख समृद्धि घर में आए इसके लिए अष्ट लक्ष्मी पूजन किया जाएगा. ज्योतिषिचार्य पं. पुरुषोत्तम गौड़ के मुताबिक घर में हर दिशा से लक्ष्मी जी का प्रवेश हो इसलिए आठ दिशाओं में मां लक्ष्मी के आठ स्वरूपों आद्य, विद्या, सौभाग्य, अमृत, काम, सत्य, भोग, योग लक्ष्मी की आराधना की जाएगी.
ऐसे करें लक्ष्मी का पूजन
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, इस बार आयुष्मान योग, स्वाति नक्षत्र और चर्तुग्रही योग में देवी महालक्ष्मी की आराधना का पर्व दिवाली मनाया जाएगा. इस मौके पर भगवान गणेश और समृद्धि की देवी लक्ष्मी का पूजन किया जाएगा. ज्योतिषाचार्य पं. पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि अमावस्या तिथि चार नवंबर को रात सुबह 2:45 बजे से शुरू होकर पांच नवंबर को रात 11 :15 बजे तक रहेगी. दिवाली पर सूर्य, बुध, मंगल और चंद्रमा ये चारों ग्रह तुला राशि में रहेंगे. ग्रहों की यह स्थिति काफी दुर्लभ और शुभ रहेगी. लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल, वृषभ लग्न और सिंह लग्न में करना श्रेष्ठ रहेगा. चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर पूर्वाभिमुख होकर बैठें. लक्ष्मी जी को चौकी पर विराजमान कर षोड्शोपचार पूजन करें. इसके बाद कुबेर के रूप में तिजोरी और सरस्वती के रूप में बही खाता, पेन और स्याही का पूजन करें. पूजन के बाद माता की आरती कर प्रसाद बांटे. शास्त्रों के अनुसार माता को कमल का फूल विशेष प्रिय है. कमल पुष्प अर्पित करने से लक्ष्मीजी प्रसन्न होकर सुख समृद्धि का आर्शीवाद देती है. भक्तों को रात्रि के समय श्रीसूक्तम्, लक्ष्मी सूक्तम्, गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए.
दीपावली पूजन के मुहूर्त
घर और प्रतिष्ठान में पूजन का मुहूर्त
लाभ — अमृतमुहूर्त- सुबह 12:10 से दोपहर बाद 2:54 बजे तक
शुभ मुहूर्त- दोपहर 4:16 से शाम 5 :38 बजे तक
कुंभ लग्न- दोपहर 1:24 बजे से दोपहर 2:53 बजे तक (स्थिर लग्न)
प्रदोष काल - शाम 5:38 बजे से शाम 8 :15 बजे तक
वृषभ लग्न- शाम 6:20 - शाम 8:17 बजे (घर में पूजा हेतु)
सिंह लग्न- मध्य रात्रि 12:50 बजे से रात्रि 3: 06 बजे तक
( ईष्ट साधना सिद्धि के लिए )
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चौघड़िया मुहूर्त
—अमृत, चर सांय 5: 38 से 8: 54 बजे तक
—लाभ मध्यरात्रि 12:10 से 1:48 बजे तक
— शुभ ,अमृत अंत रात 3:26 से प्रातः6: 42 बजे तक
—सर्वश्रेष्ठ पूजन समय - शाम 6:32 से 6:45 बजे तक जिसमे प्रदोष काल , स्थिर वृष लग्न और कुम्भ का स्थिर नवांश भी रहेगा.
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इस विधि से करें देवी लक्ष्मी-श्रीगणेश की पूजा
पूजा के दिन घर को स्वच्छ कर पूजा-स्थान को भी पवित्र कर लें
स्वयं भी स्नान आदि कर श्रद्धा-भक्तिपूर्वक शाम के समय शुभ मुहूर्त में महालक्ष्मी व भगवान श्रीगणेश की पूजा करें
दीपावली पूजन के लिए किसी चौकी अथवा कपड़े के पवित्र आसन पर गणेशजी के दाहिने भाग में माता महालक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें
श्रीलक्ष्मीजी की मूर्ति के पास ही एक साफ बर्तन में केसरयुक्त चंदन से अष्टदल कमल बनाकर उस पर कुछ रुपये रखें तथा एक साथ ही दोनों की पूजा करें.
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बहीखाता पूजन
बहीखाता पर रोली या केसर युक्त चंदन से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं और थैली में पांच हल्दी की गांठें, धनिया, कमलगट्टा, चावल, दूर्वा और कुछ रुपए रखकर उससे सरस्वती का पूजन करें
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ऐसे कैसे करें मां लक्ष्मी की आरती
आरती के लिए एक थाली में स्वास्तिक आदि मांगलिक चिह्न बनाकर चावल और फूलों के आसन पर शुद्ध घी का दीपक जलाएं. एक अलग थाली में कर्पूर रख कर पूजन स्थान पर रख लें. आरती की थाली में ही एक कलश में जल लेकर स्वयं पर छिड़क लें. पुन: आसन पर खड़े होकर अन्य पारिवारजनों के साथ घंटी बजाते हुए महालक्ष्मीजी की आरती करें.
बहरहाल, शुभ लाभ प्रदाता भगवान गणेश और सुख समृद्धि प्रदात्री माता लक्ष्मी की पूजा पाठ की चहुं ओर धूम है. रंग-बिरंगी झालरों से सजकर जगमगाते घर, चहुंओर मची धूम, छतों पर जगमगाते दीयों की कतारें दिखाई दे रही हैं. दीपावली का त्योहार प्रकाश का त्योहार होने के साथ हमें अपनों को करीब लाने का त्योहार भी है क्योंकि हमारे अपने दूर होने के बाद भी इस त्योहार पर अपने ही घर आते हैं. जिसे कहा जाता है कि यह ऐसा त्योहार है जो अपनों की दूरी को समाप्त करता है.