1224 किमी सबसे लंबे इकॉनोमिक कॉरिडोर का सपना जल्द होगा पूरा, जानिए इसकी खासियत
भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत पश्चिमी सीमा के पास निमार्णाधीन 1224 किमी सबसे लंबे इकॉनोमिक कॉरिडोर में से एक अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेस-वे का सबसे बड़ा पार्ट 637 किमी राजस्थान से गुजरेगा.
Jaipur: भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत पश्चिमी सीमा के पास निमार्णाधीन 1224 किमी सबसे लंबे इकॉनोमिक कॉरिडोर में से एक अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेस-वे का सबसे बड़ा पार्ट 637 किमी राजस्थान से गुजरेगा. इसके अलावा पंजाब, हरियाणा, गुजरात को रोड से कनेक्ट करेगा तो जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख के गुड्स का निर्यात सीधे होगा. ये देश का दूसरा सिक्स लेन एक्सप्रेस-वे है.
राज्य में अब तक स्टेट हो या नेशनल हाइवे इन पर सफर के दौरान कैश या फास्टैग के जरिए टोल टैक्स देना पड़ता है. इस दौरान आपको कई जगह लम्बी लाइन या टेक्नीकल प्रोबल के कारण कुछ देर टोल बूथ पर इंतजार भी करना पड़ता है, लेकिन आगे से अब ऐसा नहीं हो इसके लिए केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय नया कॉन्सेप्ट लेकर आ रहा है. राजस्थान में नेशनल हाइवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) एक ऐसा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे बना रहा है जहां एक भी टोल बूथ नहीं होगा. इतना ही नहीं आप इस रोड पर जितने किलोमीटर गाड़ी चलाओगे उतने किलोमीटर का ही टोल आपसे वसूला भी किया जाएगा.
NHAI राजस्थान के सीजीएम पवन कुमार ने बताया कि पंजाब के अमृतसर से शुरू होकर गुजरात के जामनगर तक बन रहा ये ग्रीनफील्ड हाइवे सामरिक और आर्थिक दृष्टि से बहुत अहम है. इस एक्सप्रेस के बनने से राजस्थान, पंजाब और हरियाणा को अरब सागर के बंदरगाहों से कनेक्टिविटी दी जाएगी. इसके अलावा राजस्थान में जहां से ये एक्सप्रेस-वे गुजर रहा है उससे कुछ दूरी पर पाकिस्तान से लगती सीमा भी है. जहां आसानी से रसद या अन्य दूसरी चीजे पहुंचाई जा सकेगी. भारत माला प्रोजेक्ट के तहत बनाए जा रहे इस ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे की राजस्थान में कुल लम्बाई 637 किलोमीटर है. जबकि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में इस पूरे प्रोजेक्ट की कुल लम्बाई 1224 किलोमीटर है. इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद ये राजस्थान का सबसे बड़ा डेडिकेटेड एक्सप्रेस-वे बन जाएगा. वर्तमान में 6 लेन वाले प्रोजेक्ट का राजस्थान में 64 फीसदी (407KM) काम पूरा हो चुका है. इस पूरे प्रोजेक्ट पर करीब 14,707 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान है और इस प्रोजेक्ट को सितम्बर 2023 तक पूरा करने का टारगेट है.
प्रोजेक्ट की डिटेल
प्रोजेक्ट की लम्बाई--1224 KM. (अमृतसर से जामनगर)
राजस्थान में लम्बाई--637 KM. (संगरिया हनुमानगढ़ से संथालपुर जालौर तक)
प्रोजेक्ट की लागत---14,000 (राजस्थान में)
इन जिलों में बनेगा---हनुमानगढ़, बीकानेर, जोधपुर, बाड़मेर और जालौर
काम पूरा होने का समय--सितम्बर 2023
NHAI राजस्थान के रीजनल ऑफिसर पवन कुमार ने बताया अभी तक हाइवे पर टोल टैक्स एक निर्धारित दूरी का एकमुश्त वसूला जाता है. जैसे आप किसी एक हाइवे पर गुजरते है तो उस पर बने टोल बूथ को क्रॉस करने के बाद वहां निर्धारित रेट के मुताबिक आपको टोल टैक्स देना पड़ता है. फिर चाहे टोल बूथ क्रॉस करने के बाद 5 किलोमीटर दूरी पर ही आपका डेस्टिनेशन क्यों न हो, लेकिन इस नए एक्सप्रेस-वे पर आपसे उतना ही टोल लिया जाएगा, जितनी किलोमीटर गाड़ी आपकी इस एक्सप्रेस वे पर चलेगी. इसके लिए ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर (एएनपीआर) सिस्टम शुरू किया जाएगा. इस एक्सप्रेस-वे पर स्पेसिफिक लोकेशन पर एंट्री-एग्जिट पोइंटस बनाए जाएंगे. इन्हीं एंट्री-एग्जिट पोइंट्स से गाड़ियां एक्सप्रेस-वे आएगी और निकलेगी. इन एंट्री-एग्जिट पोइंट्स पर हाई रिजोल्यूशन वाले कैमरे और नंबर प्लेट रीडर लगाए जाएंगे. जहां से एंट्री पोइंट से गाड़ी एंट्री होगी वहां से गाड़ी के नंबर प्लेट्स को रीड करके उसकी सारी डिटेल सेंट्रल कमाण्ड सेंटर तक पहुंच जाएगी और जहां से गाड़ी एक्सप्रेस-हाइवे से उतरेगी वहां एग्जिट पोइंट पर भी इसी तरह के सिस्टम लगे होंगे, जहां नंबर प्लेट को रीड किया जाएगा. इस तरह दोनों पोइंट्स पर नंबर प्लेट्स मैच होने के बाद उसके डिस्टेंस (दूरी) की गणना करके टोल की राशि को गाड़ी के मालिक के एकाउंट से काट ली जाएगी. इकॉनोमिक कॉरिडोर पर भारी वाहन ज्यादा चलेंगे. ये पोरबंदर, मुंद्रा और कांडला पोर्ट को जोड़ेगा. यहां उत्तर और पश्चिमी के राज्यों के सामान का निर्यात जल्दी और सस्ता होगा. पहली बार जामनगर, बठिंडा, पचपदरा रिफाइनरी भी आपस में इससे जुड़ेगा.
बहरहाल, एक्सप्रेस-वे विदेशों की तर्ज पर बनाया जा रहा है. इस पर वाहनों की अलग-अलग लेन होगी. हादसों की गुंजाइश कम रहेगी. शहर के सटे नेशनल हाइवे पर भारी वाहन नहीं आएंगे तो वहां भी सड़क हादसों में कमी आएगी. साथ मे वर्ल्ड क्लास फैसिलिटी इस राह में मिलेगी. इस पर स्पीड लिमिट 100 किमी प्रतिघंटे की रहेगी. पहला ऐसा कॉरिडोर होगा. जिसके दोनों तरफ पांच-पांच फीट ऊंची दीवार होगी. कोई मवेशी प्रवेश नहीं कर सकेगा. वाहन को आराम देने के लिए रेस्ट लाइन भी बनेगी.
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