Jaipur: प्रदेश के 1 करोड़ 7 लाख घरों में 2025-26 में नल के माध्यम से पेयजल उपलब्ध होने लगेगा. अभी 75 प्रतिशत योजनाओं में सतही स्त्रोतों की उपलब्धता है. जल जीवन मिशन के तहत समस्त परियोजनाएं पूरी होने पर 2025 के अंत तक राजस्थान में 90 फीसदी पेयजल सतही स्त्रोतों से उपलब्ध होने लगेगा और भूजल पर निर्भरता 10 फीसदी रह जाएगी. रिपोर्ट में 11 अरबन टाउन में मापदंडों के मुताबिक सल्फेट नहीं पाए गए.


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'स्टेटस रिपोर्ट ऑन ड्रिंकिंग वाटर क्वालिटी इन अरबन टाउन्स ऑफ राजस्थान 2022-23 रिलीज


जलदाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल ने अग्रवाल ने ''स्टेटस रिपोर्ट ऑन ड्रिंकिंग वाटर क्वालिटी इन अरबन टाउन्स ऑफ राजस्थान 2022-23'' भी रिलीज की.जल जीवन मिशन में केन्द्र और राज्य सरकारों का उद्देश्य हर घर तक पीने योग्य पानी पहुंचाना है. मिशन के तहत हर घर तक जल पहुंचाने के लिए मौजूदा 130 करोड़ लीटर जल की जरूरत बढ़कर इसकी तीन गुना हो जाएगी. 2025-26 तक अतिरिक्त पानी उपलब्ध कराने के साथ ही उपयोग में लिए गए पानी के लिए सही ड्रेनेज सिस्टम तैयार करना भी चुनौती होगी. उन्होंने पानी के उपयोग की आवश्यकताओं को सीमित करने, वाटर रिसाइकल, रियूज और वेस्ट वाटर डिस्पोजल के बारे में अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करने पर जोर दिया. साथ ही,जल जीवन मिशन में पानी की गुणवत्ता जांच के लिए टेस्टिंग बढ़ाने के निर्देश दिए.


डॉ. अग्रवाल ने पानी की गुणवत्ता को लेकर रियल टाइम डेटा संग्रहण का सुझाव दिया ताकि स्टेटस रिपोर्ट के प्रकाशन की बजाय संग्रहित डेटा सीधे ही इस्तेमाल किया जा सके. यूनिसेफ की स्टेट हैड इजाबेल बर्डम ने कहा कि सभी के पीने योग्य जल की उपलब्धता आज की सबसे बड़ी जरूरत है. उन्होंने वाटर हार्वेस्टिंग के लिए आधुनिक तकनीक के साथ ही परंपरागत जल संचय प्रणालियों के उपयोग की आवश्यकता जताई. उन्होंने उम्मीद जताई कि कार्यशाला के माध्यम से पानी की गुणवत्ता के संबंध में भविष्य में आवश्यक कदम उठाने का रोडमैप तैयार हो सकेगा.


भूजल स्तर लगातार तेजी से गिर रहा-


कार्यशाला में मुख्य अभियंता के. डी. गुप्ता ने कहा कि भूजल स्तर लगातार तेजी से गिर रहा है. ऐसे में पीने योग्य जल उपलब्ध कराने के लिए विभाग द्वारा सतही स्त्रोतों पर आधारित पेयजल योजनाएं तैयार की जा रही हैं. उन्होंने कहा कि वाटर क्वालिटी पर तैयार स्टेटस रिपोर्ट का लाभ फील्ड अभियंताओं, रसायनज्ञों एवं अरबन प्लानिंग से जुड़े अधिकारियों को मिलेगा.


कार्यक्रम की शुरूआत में स्टेटस रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए मुख्य रसायनज्ञ श्री एच एस देवन्दा ने बताया कि प्रदेश के 235 शहरी क्षेत्रों का सर्वे इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए किया गया है. 89 कस्बों में पेयजल आपूर्ति सतही जल स्त्रोतों से, 70 में सतही एवं भूजल दोनों से तथा 76 कस्बों में सिर्फ भूजल आधारित है.


उन्होंने बताया कि राज्य की समस्त 33 प्रयोगशालाएं एन.ए.बी.एल. मान्यता प्राप्त हैं. इन प्रयोगशालाओं के एन.ए.बी.एल. सर्टिफिकेशन की निरंतरता के लिए यूनिसेफ एवं नीरी के सहयोग से समय-समय पर रसायनज्ञों एवं अन्य कार्मिकों के लिए प्रशिक्षण आयोजित किए गए हैं.  


कार्यशाला में विशेषज्ञ के रूप में आए पीएचईडी के पूर्व मुख्य रसायनज्ञ एस. एस. ढिंढसा ने पानी की गुणवत्ता से संबंधित आंकड़ों को संग्रहित कर रिपोर्ट के रूप में प्रकाशित करने के विभाग के कदम की सराहना की. यूनिसेफ के वॉश अधिकारी नानक संतदासानी ने बताया कि स्टेटस रिपोर्ट तैयार करने में यूनिसेफ की ओर से पीएचईडी को तकनीकी सहयोग दिया गया.


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