Jaipur News: वर्ष 1994 में केन्द्र सरकार ने पांच राज्यों- हिमाचल प्रदेश,आंध्र प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान के बीच यमुनाजल के बँटवारे को लेकर एक समझौता करवाया था. राजस्थान के अलावा अन्य चार राज्यों में अपने हक़ का पानी ले लिया है. लेकिन ताजेवाला हैड से (हरियाणा) से झुनझुनू की सीमा पर आने वाले पानी का हिस्सा हमें आज तक नही मिला है. यह प्रोजेक्ट शेखावाटी के तीन जिलों (सीकर, झुनझुनूँ, चुरु ) के लिए बनी है. 


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यमुनाजल के बंटवारे के समझौता हुआ 
अब स्थिति यहाँ तक पहुँच गई है कि 2 साल बाद कृषि तो दूर, पीने का पानी भी हमें नहीं मिलेगा.शेखावाटी के लोग पलायन करने को मजबूर हैं. ऐसी स्थिति में “यमुना जल हमारा हक आन्दोलन समिति” बनाकर हमने एक जन आंदोलन 15 महिने से छेड़ रखा है. यह आंदोलन उग्र रूप लेने जा रहा है. हमने राज्य व केंद्र सरकार को उस स्थिति से अवगत करवा दिया है. एक यह एक अत्यंत ही ज्वलंत मुद्दा है, जिसको राज्य व केंद्र  स्तर तक पहुँचाना ही हमारा उद्देश्य है.



4 राज्यों को यमुनाजल मिला
 जनहित में ही नहीं मानवता व कृषि और बेजुवान जानवरों से जुडा हुआ है.यह प्रोजेक्ट पूरा हो इसके लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा व केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मुलाक़ात की. यमुना जल के मुद्दे पर मंत्री शेखावत व मुख्यमंत्री का रुख़ सकारात्मक था और उन्होंने इस सम्बन्ध में कार्रवाई को आगे बढ़ा कर जल्दी ही शेखावटी के हित में निर्णय करने का आश्वासन दिया.



पीने का पानी को तरस जाएंगे
हमने आंदोलन को जनता के माध्यम से जारी रखेंगे. क्योंकि हम तीस साल से धोखा खाते आ रहे है, लेकिन अब हमारा दृढ़ निश्चय है कि केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से अपना ये हक़ लेकर रहेंगे.आज “यमुना जल हमारा हक आन्दोलन समिति” के बैनर तले प्रेस वार्ता कर यमुना जल हमारा हक़ आंदोलन समिति के संयोजक सहीराम चौधरी के साथ पीआर घायल, सीआर झाजड़िया,डॉ.शालिनी तोमर गर्षा, मदन सिंह फानडन समेत सदस्य मौजूद रहे.


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