Rajasthan News: राजस्थान में आबकारी विभाग को 333 करोड़ रुपए की चपत लगी है, और यह घाटा भी 300 करोड़ रुपए से अधिक रहा है.दरअसल पिछले 5 महीनों में आबकारी विभाग के राजस्व में लगातार गिरावट आई है. आशंका यह है कि दूसरे राज्यों से शराब की अवैध आमद बढ़ने और विभागीय अफसरों की ढिलाई से विभाग का घाटा बढ़ रहा है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अप्रैल से जून तक तेज गर्मी के चलते आबकारी विभाग की बीयर और भारत निर्मित अंग्रेजी शराब की डिमांड बढ़ जाती है.इस दौरान खासतौर पर बीयर की बिक्री रिकॉर्ड ऊंचाईयों पर रहती है. लेकिन इस वित्त वर्ष में आबकारी विभाग को विपरीत हालातों का सामना करना पड़ रहा है. आबकारी विभाग को राजस्व लक्ष्य की गारंटी राशि में बढ़त के स्थान पर टूट झेलनी पड़ रही है. विभाग का अब तक 333 करोड़ रुपए का शॉर्टफाल रहा है.


 यह आंकड़ा इसलिए चिंताजनक है,क्योंकि सितंबर माह में भी शराब की बिक्री में कोई खास बढ़ोतरी होने के संकेत नहीं हैं. ऐसे में आबकारी विभाग की गारंटी राशि में शॉर्टफाल की राशि और अधिक बढ़ सकती है.यह शॉर्टफाल सबसे ज्यादा अंग्रेजी शराब और बीयर की कैटेगरी में ही रहा है. विभागीय सूत्रों की मानें तो मदिरा उठाव में तो बढ़ोतरी हुई है,लेकिन जिस अनुपात में राजस्व लक्ष्य बढ़ाया गया है,उस अनुपात में मदिरा उठाव से इसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है.


अप्रैल से अगस्त तक 333.54 करोड़ रुपए रहा है शॉर्टफाल


- इसमें सर्वाधिक नुकसान अंग्रेजी शराब और बीयर में 321.50 करोड़ का हुआ
- आरएमएल में 8.59 करोड़ रुपए का शॉर्टफाल रहा
- देशी शराब में 3.45 करोड़ रुपए का शॉर्टफाल रहा
- 4242.55 करोड़ रुपए की थी अप्रैल से अगस्त की कुल गारंटी
- इसमें से 3929.30 करोड़ रुपए की गारंटी राशि की हो सकी पूर्ति
- हालांकि मदिरा उठाव में पिछले साल से हुई 6 फीसदी की वृद्धि
- पिछले साल 2799.81 लाख बल्क लीटर का हुआ था मदिरा उठाव
- इस वर्ष 2980.93 लाख बल्क लीटर का हुआ है मदिरा उठाव


इस वित्त वर्ष में भी आबकारी विभाग को राजस्व लक्ष्य में नुकसान झेलना पड़ सकता है. दरअसल कोविड के बाद से यह स्थिति हर साल देखने को मिल रही है. वित्त वर्ष 2021-22 में जब नई आबकारी नीति लागू की गई थी, और ऑक्शन पॉलिसी लागू की गई थी.तब यह माना गया कि लाइसेंसियों ने काफी अधिक दरों पर दुकानें खरीद ली थी. वित्त वर्ष 2021-22 में आबकारी विभाग लक्ष्य पूर्ति से करीब 1072 करोड़ रुपए पीछे रहा था.


किन जिलों का शॉर्टफाल है अधिक


- जयपुर शहर DEO का शॉर्टफाल रहा 35.28 करोड़ रुपए
- अलवर DEO का शॉर्टफाल रहा है 29.55 करोड़ रुपए
- जोधपुर DEO का शॉर्टफाल 19.40 करोड़ रुपए रहा
- 16.58 करोड़ रुपए रहा है नागौर डीईओ का शॉर्टफाल
- बीकानेर डीईओ का शॉर्टफाल रहा 15.96 करोड़ रुपए
- झुंझुनूं डीईओ का शॉर्टफाल रहा है 15.57 करोड़ रुपए
- भरतपुर डीईओ का 15.30 करोड़ रुपए का रहा है शॉर्टफाल


- सर्वाधिक 117 फीसदी की गारंटी पूर्ति डूंगरपुर जिले में हुई
- इसके बाद 106 फीसदी की गारंटी पूर्ति बांसवाड़ा जिले में हुई
- सबसे कम 83 फीसदी की गारंटी पूर्ति करौली व झालावाड़ जिले में रही


कुलमिलाकर आबकारी विभाग का यह घाटा राज्य सरकार के राजस्व लक्ष्य पूरा करने की उम्मीदों पर कुठाराघात साबित होगा. आबकारी विभाग जब राज्य सरकार के टॉप 3 राजस्व लाने वाले विभागों में शामिल है,ऐसे में विभागीय अफसरों की ढिलाई से हो रहे इस नुकसान के चलते जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई किया जाना भी अपेक्षित है.


ये भी पढ़ें- Rajasthan Politics: सनातन धर्म मामले में गजेंद्र सिंह का भाषण हुआ वायरल, ओवैसी ने मंत्री पर उठाए सवाल


रिपोर्टर- काशीराम चौधरी