Rajasthan By Election 2024: प्रदेश की 7 सीटों पर विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. इनमें एक सीट झुंझुनूं ऐसी है, जहां पर भाजपा ने हर चुनाव में अपना प्रत्याशी बदला है. अर्थात एक ही प्रत्याशी को अगले चुनाव में कभी रिपीट नहीं किया, चाहे विधानसभा चुनाव हो, लोकसभा चुनाव या फिर उपचुनाव. इनमें भाजपा की कभी जीत हुई तो कभी हार मिली. अब सवाल यह उठता है कि भाजपा ने लगातार एक से दूसरी बार किसी पर भरोसा क्यों नहीं किया ?


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प्रदेश में विधानसभा की सात सीटों झुंझुनूं, खींवसर, दौसा, देवली उनियारा, रामगढ़, सलूम्बर, चौरासी में उपचुनाव का घमासान मचा हुआ है. इनमें झुंझुनूं का अपना अलग ही दिलचस्प चुनावी इतिहास है. भाजपा ने इस सीट पर कभी भी प्रत्याशी रिपीट नहीं किए.



मूलत: झुंझुनूं कांग्रेस की परम्परागत सीट मानी जाती है. भाजपा वर्ष 1980 में गठन के बाद से इस सीट पर अब तक केवल दो बार ही चुनाव जीत सकी है. वहीं उप चुनाव केवल एक बार भाजपा को जीत मिली. वर्ष 1996 में हुए उप चुनाव में भाजपा के मूलसिंह शेखावत ने जीत हासिल की थी. शेखावत ने बृजेंद्र ओला को हराया था.



इधर लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव भाजपा ने इस सीट पर हर बार अपना प्रत्याशी बदला है. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस हमेशा ही परिवारवाद की नाव पर सवार रही है. झुंझुनूं में कांग्रेस ने हर बार ओला परिवार भरोसा किया.



इस बार अमित ओला परिवार की तीसरी पीढ़ी जो 19 वां चुनाव लड़ेगी. इस सीट पर 5 बार शीशराम ओला सांसद, 4 बार विधायक रहे, वहीं शीशराम के पुत्र बृजेंद्र ओला 7 बार चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं. ओला एक बार सांसद बने, कुल मिला कर कांग्रेस ने किसी अन्य कार्यकर्ता पर भरोसा नहीं किया.



तीसरा मौका जब विधायक सांसद बने


झुंझुनूं जिले के साथ एक अनूठा चुनावी संयोग भी जुड़ा हुआ है. यह लगातार तीसरा अवसर है, जब विधायक ने एमपी का चुनाव जीता है. झुंझुनूं सीट पर पहले जब उप चुनाव हुआ था, तब शीशराम ओला के पहली बार सांसद बनने पर हुआ था.



अब शीशराम के बेटे बृजेन्द्र ओला के सांसद बनने के कारण उप चुनाव होंगे. इस बीच वर्ष 2013 में भाजपा की संतोष अहलावत विधायक चुनीं गई. फिर 2014 में संतोष अहलावत ने कांग्रेस की राजबाला ओला को हराकर लोकसभा का चुनाव जीता था.



- 1980 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सुमित्रा सिंह को समर्थन दिया, जबकि कांग्रेस शीशराम ओला को टिकट दिया, जिसमे शीशराम ओला की जीत हुई.



- 1985 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी चुनाव नहीं लड़ा, निर्दलीय प्रत्याशी नरोत्तम लाल जोशी को समर्थन दिया, जबकि कांग्रेस से शीशराम ओला को उम्मीदवार बनाया, इस चुनाव में भी शीशराम ओला की जीत हुई.



-1990 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने जनता दल के साथ समझौते में मोहम्मद माहिर आजाद को समर्थन दिया. कांग्रेस ने फिर शीशराम ओला को मैदान में उतारा, इस चुनाव में ओला को हार का सामना करना पड़ा और माहिर आजाद की जीते हुई.



- 1993 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पहली बार सांवरमल वर्मा को टिकट दिया, कांग्रेस ने फिर शीशराम ओला पर भरोसा जताया. इस चुनाव में ओला की जीत हुई.



-1996 में शीशराम ओला विधानसभा का उपचुनाव हुआ जिसमें बीजेपी ने डॉ मूल सिंह को चुनाव मैदान में उतारा, जबकि कांग्रेस ने ओला परिवार से हट कर सुमित्रा सिंह को मैदान में उतारा. वहीं शीशराम ओला के बेटे बृजेंद्र ओला ने तिवारी कांग्रेस से चुनाव में ताल ठोकी. त्रिकोणीय मुकाबले में बीजेपी के प्रत्याशी डॉक्टर पेशे से आने वाले मूल सिंह को जनता का समर्थन मिला और जीते.



- 1998 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने गुल मोहम्मद और कांग्रेस बृजेन्द्र ओला को मैदान में उतारा. वहीं टिकट नहीं मिलने से नाराज सुमित्रा सिंह ने निर्दलीय पर्चा भरा, सुमित्रा सिंह मैदान में उतरी और जीती हासिल की.



- 2003 में बीजेपी की सुमित्रा सिंह कांग्रेस के बृजेन्द्र ओला को हराकर विधानसभा पहुंची.


-2008 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने डॉक्टर मूल सिंह को टिकट दिया, तो कांग्रेस ने बृजेन्द्र ओला को तीन बार हारने के बाद पहली बार जीते मिली.



- 2013 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने राजीव सिंह शेखावत को टिकट दिया, तो कांग्रेस ने फिर बृजेन्द्र ओला को मैदान में उतारा, बृजेन्द्र ओला की इस बार भी जीत हुई.


- 2018 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने राजेंद्र भामू बीजेपी और कांग्रेस ने बृजेन्द्र ओला को मैदान में उतारा, जिसमें ओला जीते.


- 2023 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने फिर प्रत्याशी बदला और बबलू चौधरी को टिकट दिया, जबकि कांग्रेस से बृजेन्द्र ओला ओला मैदान में रहे, जिसमे ओला की जीत हुई.


- 2024 के उपचुनाव में बीजेपी ने फिर प्रत्याशी बदला और भामू चौधरी को चुनावी मैदान में उतारा है.


लोकसभा में भी बीजेपी का बदलता रहा प्रत्याशी 


- 1984 लोकसभा चुनाव बीजेपी का पहला चुनाव जनरल कुंदन सिंह को हराकर कांग्रेस मोहम्मद अयूब खान पहुंची.


- 1989 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जनता दल को समर्थन देते हुए जगदीप धनकड़ मैदान में, जबकि कांग्रेस से अयूब खान को टिकट दिया. खान की हार हुई धनकड़ की जीत हुई.


- 1991 लोकसभा चुनाव में बीजेपी से मदन लाल सैनी, कांग्रेस अयूब खान को टिकट दिया, जिसमे सैनी की हार हुई और खान जीते.


-1996 लोकसभा चुनाव में बीजेपी कांग्रेस अयूब खान, बीजेपी मातु राम सैनी को टिकट दिया, जबकि शीशराम ओला तिवाड़ी कांग्रेस से मैदान में उतरे और जीते.


- 1998 लोकसभा चुनाव बीजेपी से मदन लाल सैनी, कांग्रेस से जगदीप धनकड़ , वहीं ऑल इंडिया कांग्रेस सेकुलर से सीसराम ओला चुनाव मैदान में रहे, ओला की जीत हुई.


- 1999 लोकसभा चुनाव में बीजेपी से बनवारी लाल सैनी, कांग्रेस से शीशराम ओला, ओला जीते.


- 2004 में बीजेपी से संतोष अहलावत, कांग्रेस से शीशराम ओला को टिकट दिया, ओला जीते.


- 2009 में बीजेपी से दशरथ सिंह शेखावत, कांग्रेस शीशराम ओला को टिकट दिया, ओला जीते.


- 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी संतोष अहलावत और कांग्रेस ने बृजेन्द्र ओला की पत्नी राजबाला ओला को टिकट दिया, बीजेपी की प्रत्याशी संतोष अहलावत की जीती हुई.


- 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने नरेंद कुमार खीचड़ को तो कांग्रेस ने श्रवण कुमार को टिकट दिया. इस चुनाव में खीचड़ की जीते हुई.


- 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी शुभकरण चौधरी ने कांग्रेस से बृजेन्द्र ओला को टिकट दिया